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अर्धनारी नटेश्वर स्तोत्रम् हिंदी अर्थ के साथ

Ardhanaari Nateshwar Stotram

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Ardhanaari अर्धनारी नटेश्वर

अर्धनारी नटेश्वर स्तोत्रम् हिंदी में

आलेख - Sadhak Prabhat

अर्धनारीनटेश्वरस्तोत्र इष्टसिद्धि करनेवाला है। जो व्यक्ति भक्तिपूर्वक इसका पाठ करता है, वह समस्त संसार में सम्मानित होता है और दीर्घजीवी बनता है, अनन्त काल के लिये सौभाग्य प्राप्त करता है एवं अनन्त कालके लिये सभी सिद्धियों से युक्त हो जाता है। इसका हिंदी पाठ भी बहुत फलदायक है।

अर्धनारी नटेश्वर स्तोत्रम

चाम्पेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय ।
धम्मिल्लकायै च जटाधराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ १ ॥

हिंदी भावार्थ - आधे शरीर में चम्पापुष्पों-सी गोरी पार्वतीजी हैं और आधे शरीर में कर्पूर के समान गोरे भगवान् शङ्करजी सुशोभित हो रहे हैं। भगवान् शङ्कर जटा धारण किये हैं और पार्वतीजी के सुन्दर केशपाश सुशोभित हो रहे हैं। ऐसी भगवती पार्वती और भगवान् शङ्करको प्रणाम है ॥ १ ॥

कस्तूरिकाकुङ्कुमचर्चितायै चितारजःपुञ्जविचर्चिताय ।
कृतस्मरायै विकृतस्मराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ २ ॥

हिंदी भावार्थ - भगवती पार्वती के शरीर में कस्तूरी और कुड्कुम का लेप लगा है और भगवान् शङ्कर के शरीर में चिता-भस्म का पुञ्ज लगा है। भगवती कामदेव को जिलाने वाली हैं और भगवान् शङ्कर उसे नष्ट करनेवाले हैं, ऐसी भगवती पार्वती और भगवान् शङ्कर को प्रणाम है ॥ २ ॥

चलत्क्वणत्कङ्कणनूपुरायै पादाब्जराजत्फणिनूपुराय ।
हेमाङ्गदायै भुजगाङ्ग‌दाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ३॥

हिंदी भावार्थ - भगवती पार्वती के हाथों में कङ्कण और पैरों में नूपुरों की ध्वनि हो रही है तथा भगवान् शङ्कर के हाथों और पैरों में सर्पों के फुफकार की ध्वनि हो रही है। भगवती पार्वती की भुजाओं में सुवर्ण के बाजूबन्द सुशोभित हो रहे हैं और भगवान् शङ्कर की भुजाओं में सर्प सुशोभित हो रहे हैं। ऐसी भगवती पार्वती और भगवान् शङ्करको प्रणाम है ॥ ३ ॥

विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपङ्केरुहलोचनाय ।
समेक्षणायै विषमेक्षणाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ४॥

हिंदी भावार्थ -भगवती पार्वती के नेत्र प्रफुल्लित नीले कमल के समान सुन्दर हैं और भगवान् शङ्कर के नेत्र विकसित कमल के समान हैं। भगवती पार्वती के दो सुन्दर नेत्र हैं और भगवान् शङ्कर के (सूर्य, चन्द्रमा तथा अग्नि-ये) तीन नेत्र हैं। ऐसी भगवती पार्वती और भगवान् शङ्कर को प्रणाम है ॥ ४ ॥

मन्दारमालाकलितालकायै कपालमालाङ्कितकन्धराय ।
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ५॥

हिंदी भावार्थ -मन्दार-पुष्पों की माला से भगवती पार्वती के केशपाशों में सुशोभित है और भगवान् शङ्कर के गले में मुण्डों की माला सुशोभित हो रही है। भगवती पार्वती के वस्त्र अति दिव्य हैं और भगवान् शङ्कर दिगम्बर रूप में सुशोभित हो रहे हैं। ऐसी भगवती पार्वती और भगवान् शङ्कर को नमस्कार है ॥ ५ ॥

अम्भोधरश्यामलकुन्तलायै तडित्प्रभाताम्रजटाधराय ।
निरीश्वरायै निखिलेश्वराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ६ ॥

हिंदी भावार्थ -भगवती पार्वती के केश जल से भरे काले मेघ के समान सुन्दर हैं और भगवान् शङ्कर की जटा विद्युत्प्रभा के समान कुछ लालिमा लिये हुए चमकती दीखती है। भगवती पार्वती परम स्वतन्त्र हैं अर्थात् उनसे बढ़कर कोई नहीं है और भगवान् शङ्कर सम्पूर्ण जगत के स्वामी हैं। ऐसी भगवती पार्वती और भगवान् शङ्कर को नमस्कार है ॥ ६ ॥

प्रपञ्चसृष्टट्युन्मुखलास्यकायै समस्तसंहारकताण्डवाय ।
जगज्जनन्यैजगदेकपित्रे नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ७॥

हिंदी भावार्थ -भगवती पार्वती लास्य नृत्य करती हैं और उससे जगत्‌ की रचना होती है और भगवान् शङ्कर का नृत्य सृष्टिप्रपञ्च का संहारक है। भगवती पार्वती संसार की माता और भगवान् शङ्कर संसार के एकमात्र पिता हैं। ऐसी भगवती पार्वती और भगवान् शङ्कर को नमस्कार है ॥ ७ ॥

प्रदीप्तरत्नोज्ज्वलकुण्डलायै स्फुरन्महापन्नगभूषणाय ।
शिवान्वितायै च शिवान्विताय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥ ८॥

हिंदी भावार्थ - भगवती पार्वती प्रदीप्त रत्नोंके उज्ज्वल कुण्डल धारण किये हुई हैं और भगवान् शङ्कर फूत्कार करते हुए महान् सर्पोंका आभूषण धारण किये हैं। भगवती पार्वती भगवान् शङ्कर की और भगवान् शङ्कर भगवती पार्वती की शक्तिसे समन्वित हैं। ऐसी भगवती पार्वती और भगवान् शङ्कर को नमस्कार है ॥ ८ ॥

एतत् पठेदष्टकमिष्टदं यो भक्त्या स मान्यो भुवि दीर्घजीवी ।
प्राप्नोति सौभाग्यमनन्तकालं भूयात् सदा तस्य समस्तसिद्धिः ॥ ९॥

हिंदी भावार्थ -आठ श्लोकों का यह स्तोत्र इष्टसिद्धि करनेवाला है। जो व्यक्ति भक्तिपूर्वक इसका पाठ करता है, वह समस्त संसार में सम्मानित होता है और दीर्घजीवी बनता है, अनन्त काल के लिये सौभाग्य प्राप्त करता है एवं अनन्त कालके लिये सभी सिद्धियों से युक्त हो जाता है ॥ ९ ॥

॥ इति अर्धनारीनटेश्वरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
॥ इस प्रकार अर्धनारीनटेश्वरस्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥


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