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बिल्वाष्टकम् , शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र

बेलपत्र शिवजी पर कैसे चढ़ाएं?

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बिल्वाष्टकम् , शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र

बेलपत्र शिवजी पर कैसे चढ़ाएं?

आलेख - Sadhak Prabhat

॥ ॐ नमः शिवाय ॥

बेलपत्र को हमेशा अनामिका,अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से मध्य वाली पत्ती को पकड़कर शिवलिंग पर अर्पित करें। बेलपत्र को हमेशा उलटकर चिकनी सतह को शिवलिंग पर रखें। बेलपत्र कभी भी अशुद्ध नहीं होता है। यदि आपको नया बेलपत्र नहीं मिल रहा हो तो आप चढ़ाये हुए बेलपत्र को धोकर दोबारा शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। बेलपत्र की तीन पत्तियाँ रज,सत्व व तमोगुण का प्रतीक है साथ ही यह त्रिगुणस्वामी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना गया है। इसीलिए भगवान शिव की पूजा में बेल पत्र का प्रयोग किया जाता है।

बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र क्या है ?

बेलपत्र चढ़ाते समय शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ किया जाता है। बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र इसी बिल्वाष्टकम् से लिया गया है। यह स्कंद पुराण में वर्णित है। बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र है -

दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनं पापनाशनम्।
अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥

स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया। चूंकि माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ।अत: इसमें माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं। वे पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में,इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं।फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप निवास करता है।इस सभी रूपों के अलावा,मां लक्ष्मी का रूप समस्त वृक्ष में निवास करता है।बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है।भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं।जो व्यक्ति किसी तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता है अगर वह श्रावण मास में बिल्व के पेड़ के मूल भाग की पूजा करके उसमें जल अर्पित करे तो उसे सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य मिलता है।

बिल्वाष्टकम्

त्रिदलं त्रिगुणा कारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम् ।
त्रिजन्म पाप संहारं ह्विक बिल्वं शिवार्पणम् ।।१।।

तीन दलवाला, सत्त्व, रज एवं तमस्वरूप, सूर्य, चन्द्र तथा अग्नि त्रिनेत्रस्वरूप और आयुध त्रयस्वरूप
तथा तीनों जन्मों के पापों को नष्ट करनेवाला बिल्वपत्र मैं भगवान् शिव के लिये समर्पित करता हूँ ।। १ ।।

त्रिशाखे बिल्व पत्रैश्च हच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः ।
शिव पूजा करिष्यामि ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ||२||

छिद्ररहित, सुकोमल, तीन पत्तेवाले, मंगल प्रदान करनेवाले बिल्वपत्र से मैं भगवान् शिव की पूजा करूँगा।
यह बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ ।।२।।

अखण्ड बिल्व पत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे ।
ध्यान्ति सर्वपापेभ्यो ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ।।३।।

अखण्ड बिल्वपत्र से नन्दिकेश्वर भगवान् की पूजा करने पर मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर शुद्ध हो जाते हैं।
मैं बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ ।।३।।

शालिग्राम शिला मेकां विप्राणां जातु अर्पयेत् ।
सोमयज्ञ महा पुण्यं ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ॥४॥

मेरे द्वारा किया गया भगवान् शिव को यह बिल्वपत्र का समर्पण, ब्राह्मणों के शालिग्राम की शिला के समान तथा
सोमयज्ञ के अनुष्ठान के समान महान् पुण्यशाली हो। अतः भगवान् शिव को मैं बिल्वपत्र समर्पित करता हूँ ।।४।।

दन्ति कोटि सहस्राणि वाजपेय शतानि च ।
कोटि कन्या महादानं ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ।।५।।

मेरे द्वारा किया गया भगवान् शिव को यह बिल्वपत्र का समर्पण, हजारों करोड़ों गजदान, सैकड़ों वाजपेय यज्ञ के
अनुष्ठान तथा करोड़ों कन्याओं के महादान के समान हो । अतः मैं बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ ।।५।।

लक्ष्म्याः स्तनत उत्पन्नं महा देवस्य च प्रियम् ।
बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ।।६।।

विष्णु प्रिया भगवती लक्ष्मी के वक्षःस्थल से प्रादुर्भूत तथा महादेव के अत्यंत प्रिय बिल्व वृक्ष को मैं समर्पित करता हूँ,
यह बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित है ।।6।।

दर्शनं बिल्व वृक्षस्य स्पर्शनं पाप नाशनम्।
अघोर पाप संहार ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ।।७।।

बिल्व वृक्ष के दर्शन और उसका स्पर्श समस्त पापों को नष्ट करनेवाला तथा शिव अपराध का संहार करनेवाला है।
यह बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित है ।।७।।

मूलतो ब्रह्म रुपाय मध्यतो विष्णु रुपिणे ।
अग्रतः शिव रूपाय ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ॥८।।

बिल्वपत्र का मूलभाग ब्रह्मरूप, मध्यभाग विष्णु रूप एवं अग्रभाग शिव रूप है,
ऐसा बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित है।।८।।

बिल्वाष्टक मिदं पुण्यं यः पठेच्छिव सन्निधौ ।
सर्व पाप विनिर्मुक्तः शिवलोक मवाप्नुयात् ।।९।।

जो भगवान् शिव के समीप इस पुण्य प्रदान करनेवाले शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ करता है,
वह समस्त पापों से मुक्त होकर अन्त में शिवलोक को प्राप्त करता है ।।९।।

बेलपत्र चढ़ाने क्या लाभ से होता है ?

भगवान् शिव को बेलपत्र अर्पित करने से आर्थिक समस्या दूर हो जाती है। शादीशुदा व्यक्ति के वैवाहिक जीवन खुशहाली आती है। इससे संतान सुख की भी प्राप्ति होती है।

बेल वृक्ष का क्या लाभ एवं महत्व है ?

१-बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते।

२-अगर किसी की शवयात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है।

३-वायुमंडल में व्याप्त अशुद्धियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है।

४-प्राय: तीन पत्ती वाला बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पण किया जाता है जो कि कल्याणकारी होता है।चार,पाँच,छ एवं सात पत्तों वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम् भाग्यशाली और शिव इनको अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है।

५-बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।

६-सुबह-शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है।

७-बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते हैं।

८-बेल वृक्ष और सफेद आक को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

९-बेलपत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे।

१०-जीवन में सिर्फ एक बार और वह भी यदि भूल से भी शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते हैं।

११-बेल वृक्ष का रोपण,पोषण और संवर्द्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है।

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