Devi Pratishtha - Importance of respecting woman
देवी प्रतिष्ठा - स्त्री के सम्मान का महत्व
सनातन तंत्र परंपरा में यह मान्यता है कि मानव को हड्डी एवं मांसपेशी पिता से एवं रक्त एवं मांस माता से मिला होता है। माता यानि स्त्री तत्व से मिले रक्त के प्रति कृतज्ञता भी व्यक्त होगा जिससे आनंद और सौभाग्य प्राप्त होगी।
विचार - प्रभात कुमार
वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदाम् ।
हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैर्नाना विधैर्भूषिताम् ॥
Meaning:
I worship that Goddess whose hands are delicate like lotuses, with a pleasing countenance and who grants all auspicious things and good fortune, whose hands, which are adorned with ornaments and beautiful gems of all kinds, are a source of refuge to all devotees.
पुरुष द्वारा स्त्री के सम्मान का महत्व -
स्त्री (पत्नी) के सम्मान से तीन लाभ होंगे,
पहला, लक्ष्मीस्त्रोतम में स्त्री रुपी लक्ष्मी देवी को प्रसन्नवदना कहा गया है। हम उनका सम्मान करें, प्रसन्न रखें, उनके शिव रूप को स्वीकार करें ताकि इनमें उनका लक्ष्मी भाव जागे और वो सौभाग्यदात्री हो।
प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां
इससे लक्ष्मी प्रसन्न होगी। धन एवं ऐश्वर्य देंगी।
दूसरा, सनातन तंत्र परंपरा में यह मान्यता है कि मानव को हड्डी एवं मांसपेशी पिता से एवं रक्त एवं मांस माता से मिला होता है। माता यानि स्त्री तत्व से मिले रक्त के प्रति कृतज्ञता भी व्यक्त होगा जिससे आनंद और सौभाग्य प्राप्त होगी।
तीसरी बात, स्त्री-पुरुष समानता का भाव जैसा हिन्दू धर्म में प्रकट होता है वैसा किसी अन्य धर्म में नहीं है। इसका प्रमाण भगवान शिव का यह अर्धनारीश्वर स्वरूप है जिसमें शिव के आधे अंग में देवी अदिशक्ति का वास माना गया है। इसी स्वरूप को आधार मानकर हिन्दू धर्म में जीवनसंगिनी को अर्धांगिनी भी कहा गया है। भृंगी ऋषि को जब भगवन शिव ने अर्धनारीश्वर रूप का ज्ञान दिया था तो उस दिन भगवन शिव ने खुद माता पार्वती की आरती कर नारी जाति को सम्मानित किया था | संसार को एक राह दिखाई थी | सम्मान कर हम अपने परमपिता के मार्ग पर चलेंगे | सनातन मार्ग पर चलेंगे |
स्पष्ट है कि स्त्री हो या पुरुष, दोनों हीं रूप में वो रुद्र शिव है। अतः जब हम उनका सम्मान करेंगे तो उनके शिव रूप को स्वीकार करेंगे और धीरे-धीरे यह भाव समाज के अवचेतन अवस्था में भी स्थायी भाव से रहेगा।
Word meanings:
वन्दे = I worship; bow;
पद्मकरां = the one having lotus-like hands;
प्रसन्नवदनां = the one with pleasing face;
सौभाग्यदां = the one granting the good and auspicious things;
भाग्यदां = one who grants good fortune;
हस्ताभ्यामभयप्रदां = the one giving freedom from fear through the two hands;
मणिगणैः = through groups of gems;
नाना = many; several;
विधैः = by several or different ways or kinds;
भूषितां = the one decorated with ornaments;
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