× SanatanShakti.in About Us Home Founder Religion Education Health Contact Us Privacy Policy
indianStates.in

शिवलिंग पर जलधारा की मटकी - गलंतिका (वसोधारा)

सनातनी परंपरा रही है कि मेष संक्रांति के हीं दिन से शिवलिंग पर जेष्ठ शुक्ल दशमी तक (गंगा दशहरा के दिन तक) के लिए गलंतिका (जल से भरा हुआ मटका) लगाते हैं जिससे बूंद बूंद शीतल जल शिवलिंग पर टपकता रहता है। साथ हीं आज के हीं दिन शिवलिंग पर नये उपजे चने का सत्तू, आम एवं बेल फल का गुद्दा प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं।

महाशिवरात्रि * हरतालिका तीज * शिव आरती * शिव चालीसा * श्री शिवाष्टक * शिव स्तुति * श्री शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत हिंदी में * श्री शिव सहस्त्रनामावली * महामृत्युंजय मंत्र * शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र * शिव यजुर मंत्र - कर्पूर गौरम करुणावतारं * शिव प्रातः स्मरण स्तोत्र * श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्र * लिंगाष्टकम स्तोत्र * मृतसंजीवनी कवचं * पशुपति स्तोत्रम् * अर्धनारी नटेश्वर स्तोत्रम् * दारिद्र दहन शिव स्तोत्र * महाकालस्तुतिः * श्रीकालभैरवाष्टकम् * शिव तांडव स्तुति * श्री विश्वनाथमङ्गल स्तोत्रम् * श्रीकाशीविश्वेश्वरादिस्तोत्रम् * पुत्र प्राप्ति हेतु शिव अभिलाषाष्टक-स्तोत्र का पाठ * सावन में शिव साधना मंत्र * वैदिक शिव पूजन विधान * बैद्यनाथ धाम देवघर को पुराणों में चिताभूमि क्यों कहा जाता है? * शिवपञ्चमाक्षर * त्रिपुंड की तीन रेखाओं का रहस्य * भगवान शिव के इक्कीस नाम * भगवान शिव शतनामावली स्तोत्रम्-108 नाम * शिवलिंग-पूजन से जुड़े सवाल-जवाब * बिल्वाष्टकम् * सावन में तिथि वार देव पूजन * सावन में शिवलिंग पर राशि के अनुसार क्या चढ़ाएं? * पार्थिव शिवलिंग कैसे बनाएं * देव दिवाली * मास शिवरात्रि * सौभाग्य सुंदरी व्रत * प्रदोष का व्रत * रवि प्रदोष व्रत - दीर्घ आयु और आरोग्यता के लिये * सोम प्रदोष व्रत - ग्रह दशा निवारण कामना हेतु * मंगल प्रदोष व्रत - रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य हेतु * बुध प्रदोष व्रत - सर्व कामना सिद्धि के लिये * बृहस्पति प्रदोष व्रत - शत्रु विनाश के लिये * शुक्र प्रदोष व्रत - सौभाग्य और स्त्री की समृद्धि के लिये * शनि प्रदोष व्रत – खोया हुआ राज्य व पद प्राप्ति कामना हेतु * शिवलिंग पर जलधारा की मटकी - गलंतिका (वसोधारा) * ॐ का जप क्यों करते हैं? * शिवलिंग सिर्फ लिंग और योनि नहीं है * काले शिवलिंग को पूजने वाले सभी एक वर्ण हैं * रुद्र और शिव में क्या अंतर है?
 
Galantika

शिवलिंग पर घड़ा कब चढ़ता है?

शिवलिंग पर जलधारा की मटकी - गलंतिका (वसोधारा)

मेष संक्रांति के दिन से शिवलिंग पर जेष्ठ शुक्ल दशमी तक (गंगा दशहरा के दिन तक) के लिए शिवलिंग के ऊपर जल से भरा मटका बांधा जाता है, इस मटके में नीचे की ओर एक छोटा सा छेद होता है जिसमें से एक-एक बूंद पानी शिवलिंग पर निरंतर गिरता रहता है। इसी मटके को गलंतिका या वसोधारा कहा जाता है। गलंतिका का शाब्दिक अर्थ है जल पिलाने का बर्तन। ये मटका मिट्टी या किसी अन्य धातु की भी हो सकती है। मटके में प्रतिदिन जल सिर्फ एक बार प्रातःकाल में भरा जाता है जो पूरे चौबीस घंटे बून्द बून्द गिरते रहता है। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि इस मटके का जल खत्म न हो। जेष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा दशहरा के दिन घड़ा उतारते हैं जिस दिन धरती पर गंगा का अवतरण हुआ है। कहीं कहीं गंगा दशहरा के दिन वशोधारा को न उतार कर पूरे सावन मास तक रखते हैं।

गलंतिका चढ़ाने की विधि -

नया घड़ा लेकर करके शुद्ध जल से धो करके उस घड़े में आठ रूद्र यानि हल्दी, चावल और सिंदूर से टीका करना चाहिए। फिर मटके में छेद कर उसमें कच्चा सूत से बना एक डोरी डालें जिससे जल की बूंद शिवलिंग पर टपकती रहे। इसके बाद कपड़ा से छानकर उसमें जल भरें।
अब ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिव जी के ऊपर कोई तिपाई बना कर के वहां खड़ा रख दें। और उसके ऊपर घड़े को रख दें।

भगवान भोलेनाथ के ऊपर घड़ा स्थापित करके दिनभर बूंद-बूंद पानी क्यों गिराया जाता है? शिवलिंग के ऊपर वसोधारा क्यों लगाई जाती है?

धार्मिक कारण के रूप में शास्त्रों में वर्णन है कि जब समुद्र मंथन हुआ था तो उस समय 14 रत्नों के साथ कालकूट नमक एक विष भी निकला। शिवजी सृष्टि की रक्षा के लिए उस विष को पी कर अपने गले में अवस्थित कर लिये। विष का प्रभाव गर्मी बहुत ज्यादा होता है, इसका प्रभाव मस्तिष्क में भी रहता है। शिवजी के क्रोध की शांति हो और मन मस्तिष्क और शरीर ठंढ़ा रहे , इसलिए घड़े में छेद करके जल भर के शिव जी के ऊपर उसे स्थापित करते हैं और बूंद-बूंद करके जलधार लगाते हैं।

वैज्ञानिक दृष्टि से इसका कारण यह है कि शिवलिंग बहुत ही शक्तिशाली सृजन है। तमाम वैज्ञानिक अध्ययनों में ये स्पष्ट हो चुका है कि शिवलिंग एक न्यूक्लियर रिएक्टर के रूप में काम करता है। यदि आप भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठाकर देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि भारत सरकार के न्यूक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है। एक शिवलिंग एक न्यूक्लियर रिएक्टर की तरह रेडियो एक्‍टिव एनर्जी से भरा होता है। इस प्रलयकारी ऊर्जा को शांत रखने के लिए ही हर शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है। मंदिरों में कलश में जल भरकर शिवलिंग के ऊपर रख दिया जाता है ताकि इससे गिरती एक एक बूंद शिवलिंग की प्रलयकारी ऊर्जा को शांत रखे।

www.indianstates.in

शिवलिंग पर जलधारा की मटकी - गलंतिका (वसोधारा) - Pot of water stream on Shivalinga - Galantika (Vasodhara)