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जप कितने प्रकार का होता है और माला पर मंत्र जपने के नियम क्या हैं ?

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जप कितने प्रकार का होता है और माला पर मंत्र जपने के नियम क्या हैं ?

How many types of chanting are there and what are the rules for chanting mantras on the rosary?

Author © copyright - Sadhak Prabhat

मंत्र जाप करने का विधान हिंदू धर्म शास्त्रों में साधना सिद्धि के लिए विहित है, जो किसी खास उद्देश्य से किसी खास देवी या देवता के कृपा पाने के लिए की जाती है। जप तीन प्रकार का होता है— वाचिक, उपांशु और मानसिक । वाचिक जप धीरे-धीरे बोलकर होता है। उपांशु जप इस प्रकार किया जाता है, जिससे दूसरा न सुन सके। मानसिक जप में जीभ और ओष्ठ नहीं हिलते। नृसिंह पुराण के अनुसार तीनों जपों में पहले की अपेक्षा दूसरा और दूसरेकी अपेक्षा तीसरा प्रकार श्रेष्ठ हैं अर्थात मानसिक जप सबसे अच्छा और श्रेष्ठ है ।

अग्नि पुराण के अनुसार प्रातः काल दोनों हाथों को उत्तान कर (दोनों हाथों का मुँह ऊपर की ओर हो ), सायंकाल नीचेकी ओर करके और मध्याहमें सीधा करके जप करना चाहिये । प्रातः काल हाथको नाभिके पास, मध्याह्नमें हृदयके समीप और सायंकाल मुँह के समानान्तर में रखे । जप की गणना चन्दन, अक्षत, पुष्प, धान्य, हाथके पोर और मिट्टीसे न करें। जपकी गणना के लिये लाख, कुश, सिन्दूर और सूखे गोबरको मिलाकर गोलियाँ बना ले। जप करते समय दाहिने हाथको जपमालीमें डाल ले अथवा कपड़ेसे ढक लेना आवश्यक होता है, किंतु कपड़ा गीला न हो" । यदि सूखा वस्त्र न मिल सके तो सात बार उसे हवामें फटकार ले तो वह सुखा जैसा मान लिया जाता है । जप के लिये मालाको अनामिका अँगुलीपर रखकर अँगूठेसे स्पर्श करते हुए मध्यमा अंगुली से फेरना चाहिये । सुमेरुका उल्लङ्घन न करे, तर्जनी न लगावे, सुमेरुके पाससे मालाको घुमाकर बार जपे। जप करते समय हिलना, डोलना, बोलना निषिद्ध है। यदि जप करते समय बोल दिया जाय तो भगवान्‌का स्मरण कर फिरसे जप करना चाहिये। यदि माला गिर जाय तो एक सौ आठ बार जप करे। यदि माला पैर पर गिर जाय तो इसे धोकर दुगुना जप करे" ।

मंत्रों के जाप में उनकी जप संख्या भी तय होती है।अत: जप संख्या की संख्या शुद्धतता के लिए हमारे ऋषियों ने इसे माला पर करने का विधान बनाया ताकि साधक का पूरा ध्यान जपते समय ईश्वर पर हो न की मन्त्रों की संख्या गिनने पर। आमतौर पर एक माला में 108 दाने होते हैं परंतु 27 दाने के माले भी मिलते हैं जो रुद्राक्ष, तुलसी, कमलगट्टा ,मोती, वैजयंती और हल्दी आदि का आमतौर पर बना होता है। रुद्राक्ष की माला को जाप के लिए सबसे शुभ माना जाता है, इस पर हर देवी-देवता के मन्त्रों का जाप हो जाता है। बाकि जैसे तुलसी पर विष्णु भगवान का जाप होता है तो कमलगट्टा पर लक्ष्मी जी का और रक्तचंदन पर माता चंडी या अन्य देवी-मां का।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माला में दिए गए 27 दानों का अर्थ 27 नक्षत्र होता है और प्रत्येक नक्षत्र में 4 चरण होते हैं। जिनका गुणनफल 108 होता है। यदि आप 27 दानों की माला ले रहे हैं तो चार बार जाप करें ताकि 108 जाप पूरे हो सकें। वहीं 108 संख्या वाली माला का मतलब भी बेहद खास है। ब्रह्मांड को 12 भागों (12 राशियों) में बांटा गया है। इस तरह 12 राशियों और 9 ग्रहों का गुणनफल 108 आता है।

 
 मंत्र जाप माला पर जपने के नियम माला जपने के नियम

Sadhak Prabhat Kumar

॥ ॐ ॥

माला जपने के नियम -

Rules for chanting the rosary

माला पर मंत्र जाप शुरू करने से पूर्व माला की वन्दना निम्नलिखित मन्त्र से करें -

ॐ मां माले महामायें सर्वशक्तिस्वरूपिणी ।
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ॥
ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृह्णामि दक्षिणे करे ।
जपकाले च सिद्ध्यर्थं प्रसीद मम सिद्धये ॥

इससे मंत्र जाप सिद्धि साधना शीघ्र सफल होती है।

1. माला में दिए गए सुमेरु को लांघना नहीं चाहिए. सुमेरु यानि जहां माला का जुड़ाव होता है. इसका मतलब है कि माला की गिनती सुमेरू से शुरू होती है और उसी पर समाप्त होती है. इसे लांधे बिना माला को घुमाकर फिर से जाप शुरू करें।

2. माला जपने के लिए हमेशा अंगूठे और अनामिका उंगली का ही इस्तेमाल करना चाहिए. इससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

3. माला जपते समय ध्यान रखें कि माला को किसी कपड़े में ढककर रखना चाहिए. ताकि जपते समय उसे कोई देख न सके. इसके लिए गोमुखी का भी उपयोग किया जा सकता है।

4. माला हमेशा धरती पर आसन बिछाकर उस पर बैठकर ही जपनी चाहिए. तभी उसका शुभ फल प्राप्त होता है।

5. माला नाभि से नीचे नहीं जानी चाहिए और नाक के ऊपर भी माला नहीं रखी जानी चाहिए. इतना ही नहीं माला को सीने से चिपका कर जाप बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

गृहे चैकगुणः प्रोक्तः गोष्ठे शतगुणः स्मृतः ।
पुण्यारण्ये तथा तीर्थे सहस्त्रगुणमुच्यते ॥
अयुतः पर्वते पुण्यं नद्यां लक्षगुणो जपः ।
कोटिर्देवालये प्राप्ते अनन्तं शिवसंनिधौ ॥

अर्थात

घरमें जप करनेसे एक गुना, गोशालामें सौ गुना, पुण्यमय वन या वाटिका तथा तीर्थमें हजार गुना, पर्वतपर दस हजार गुना, नदी-तटपर लाख गुना, देवालय में करोड़ गुना तथा शिवलिङ्गके निकट अनन्त गुना पुण्य प्राप्त होता है। सबसे बेहतर है कि मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उसके सम्मुख साधना करें। जिस स्थान पर जप किया जाता है, उस स्थानकी मृतिका जप के अनन्तर मस्तकपर लगाये अन्यथा उस जप का फल इन्द्र ले लेते हैं।

पार्थिव शिवलिंग कैसे बनाएं -

मिट्टी का शिवलिंग गाय के गोबर, गुड़, मक्खन, भस्म, मिट्टी और गंगा जल मिलाकर बनाया जाता है। पार्थिव शिवलिंग बनाते समय इन सभी चीजों को एक में मिला दें और फिर गंगाजल मिलाकर बनाएं। ध्यान रहे मिट्टी का शिवलिंग बनाते समय पवित्र मिट्टी का इस्तेमाल करें। कोशिश करें कि बेल के पेड़ की मिट्टी या फिर चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल करें।

माला की प्रकृति (किस चीज से वो है ) के अनुसार उसका फल -

पीले रंग के मोती से बने माला पर जाप का लाभ -

पीले रंग के मोती की माला से जाप करने से मन शांत रहता है और दिमाग फोकस रहता है। पीले रंग की माला में आप मूंगे के मोती की माला से भी जाप कर सकते हैं।

रुद्र चंदन से बने माला पर जाप का अथवा रुद्र चंदन को शिवलिंग पर चढ़ाने से लाभ -

रुद्र चंदन का उल्लेख शिव महापुराण में मिलता है। इसको बनाने के लिए पीले चंदन घिसकर तीन मुखी रुद्राक्ष में लपेटा जाता है। चंदन को शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर ले जाकर रख दिया जाए और उस पर धीरे धीरे जल अभिषेक किया जाए तो व्यक्ति का जो काम नहीं हो रहा होगा वो भी पूरा हो जाएगा। अगर किसी को आर्थिक तंगी को लेकर चिंता बनी हुई है तो उसको रुद्र चंदन लगाना चाहिए।

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What are the rules for chanting the mantra on the rosary?

The practice of chanting mantras is prescribed in Hindu religious scriptures for spiritual accomplishment, which is done for a specific purpose to get the blessings of a particular deity or deity. In the chanting of mantras, their number of chants is also fixed. Therefore, for the purity of the number of chants, our sages made a rule to do it on the rosary, so that while chanting, the devotee's full attention should be on God and not on counting the number of mantras.

Usually there are 108 beads in a garland, but garlands of 27 beads are also found which are usually made of Rudraksh, Tulsi, Kamalgatta, Moti, Vaijayanti and Turmeric etc. Rudraksh's garland is considered most auspicious for chanting, on this the mantras of every deity are chanted. For example, Lord Vishnu is chanted on Tulsi, Lakshmi ji on Kamalgatta and Mata Chandi or other Mother Goddesses on Raktchandan.

According to astrology, the 27 grains given in the garland mean 27 Nakshatras and each Nakshatra has 4 phases. whose product is 108. If you are taking rosary of 27 beads then chant four times so that 108 chants can be completed. At the same time, the meaning of the garland with the number 108 is also very special. The universe is divided into 12 parts (12 rashis). In this way the product of 12 zodiac signs and 9 planets comes to 108.

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माला जपने के नियम Rules for chanting the rosary