× SanatanShakti.in About Us Home Founder Religion Education Health Contact Us Privacy Policy
indianStates.in

कमल सप्तमी व्रत

Kamal Saptami Vrat

कमल सप्तमी व्रत Kamal Saptami Vrat

कमल सप्तमी

पद्मपुराण वर्णित कमल सप्तमी व्रत सब प्रकार के सुख - समृद्धि प्राप्त करने के लिए वर्ष पर्यन्त यानी पुरे एक वर्ष तक किया जाता है। यह व्रत प्रत्येक शुक्ल सप्तमी को एक वर्ष करे तो सब प्रकारका सुख प्राप्त होता है। इस व्रत में सूर्य की पूजा की जाती है। मत्स्यपुराण व भविष्य पुराण में इस व्रत को हीं कमल षष्ठी व्रत के नाम से बताया गया है जो मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी से किया जाने वाला बारहमासी व्रत है। परंतु कमल सप्तमी के रूप में हीं ज्यादा मान्य है।

इस व्रत के लिये सुवर्ण का कमल और सूर्य की मूर्ति बनवाकर वैशाख शुक्ल सप्तमी को वेदी पर कमल और कमल पर सूर्य की मूर्ति स्थापित करे एवं उनका यथाविधि पूजन करके इस प्रकार प्रार्थना करें -

नमस्ते पद्महस्ताय नमस्ते विश्वधारिणे।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते ।।

अब पुरे दिवस उपवास व्रत रखे और अगले दिन फल व दक्षिणा ब्राह्मण को दान कर, उनको भोजन कराकर स्वयं भोजन करे।

कमल सप्तमी व्रत (Kamal Saptami Vrat) व्रत का उद्यापन -

पूरे वर्ष व्रत के उपरांत अंत में व्रती सूर्यास्त के समय एक जल का घड़ा, एक गौ और उक्त कमल, फल व शर्करायुक्त कलश ब्राह्मण को दान करना चाहिए। फिर उनको भोजन कराकर स्वयं भोजन करे। फिर निम्न मंत्र के साथ व्रत को पूरा करना चाहिए -

यथा फलकरो मासस्त्वद्भक्तानां सदा रवे ।
तथानन्तफलावाप्तिरस्तु जन्मनि जन्मानि ।।

यानी है सूर्य देव! जिस प्रकार आप के भक्तों के लिए यह मास-व्रत फलदायी होता है, उसी तरह मुझे भी जन्मजन्मांतर में अनंत फलों की प्राप्ति होती रहे।

***********

www.indianstates.in

कमल सप्तमी व्रत Kamal Saptami Vrat