महाकालस्तुतिः हिंदी अर्थ के साथ
Mahakaalstuti with Hindi meaning
महाकालस्तुतिः हिंदी अर्थ के साथ
आलेख - Sadhak Prabhat
महाकालस्तुति श्री स्कन्द महापुराण के ब्रह्मखण्ड में ब्राह्मा जी के मुखारविंद से आया है। ईश्वर तत्त्व, शिव स्वरुप और सृष्टि स्वरुप के अन्तर्निहित संबंधों का इसमें रहस्योद्धाटन किया गया है। अपने भीतर आवेष्ठित ईश्वर को जानने पहचानने हेतु एक विचार दृष्टि मिलेगी और सभी प्रकार का कल्याण होगा , अत: इसका पाठ अवश्य करना चाहिए।
महाकालस्तुतिः
ब्रह्मोवाच
नमोऽस्त्वनन्तरूपाय नीलकण्ठ नमोऽस्तु ते।
अविज्ञातस्वरूपाय कैवल्यायामृताय च ॥ १॥
हिंदी भावार्थ - ब्रह्माजी बोले- हे नीलकण्ठ ! आपके अनन्त रूप हैं, आपको बार-बार नमस्कार है। आपके स्वरूपका यथावत् ज्ञान किसीको नहीं है, आप कैवल्य एवं अमृतस्वरूप हैं, आपको नमस्कार है ॥ १ ॥
नान्तं देवा विजानन्ति यस्य तस्मै नमो नमः ।
यं न वाचः प्रशंसन्ति नमस्तस्मै चिदात्मने ॥ २ ॥
हिंदी भावार्थ - जिनका अन्त देवता नहीं जानते, उन भगवान् शिवको नमस्कार है, नमस्कार है। जिनकी प्रशंसा (गुणगान) करनेमें वाणी असमर्थ है, उन चिदात्मा शिवको नमस्कार है ॥ २ ॥
योगिनो यं हृदः कोशे प्रणिधानेन निश्चलाः ।
ज्योतीरूपं प्रपश्यन्ति तस्मै श्रीब्रह्मणे नमः ॥ ३॥
हिंदी भावार्थ - योगी समाधिमें निश्चल होकर अपने हृदयकमलके कोषमें जिनके ज्योतिर्मय स्वरूपका दर्शन करते हैं, उन श्रीब्रह्मको नमस्कार है ॥ ३ ॥
कालात्पराय कालाय स्वेच्छ्या पुरुषाय च।
गुणत्रयस्वरूपाय नमः प्रकृतिरूपिणे ॥ ४ ॥
हिंदी भावार्थ - जो कालसे परे, कालस्वरूप, स्वेच्छासे पुरुषरूप धारण करनेवाले, त्रिगुणस्वरूप तथा प्रकृतिरूप हैं, उन भगवान् शङ्करको नमस्कार है ॥ ४ ॥
विष्णवे सत्त्वरूपाय रजोरूपाय वेधसे ।
तमोरूपाय रुद्राय स्थितिसर्गान्तकारिणे ॥ ५ ॥
हिंदी भावार्थ - हे जगत्की स्थिति, उत्पत्ति और संहार करनेवाले, सत्त्वस्वरूप विष्णु, रजोरूप ब्रह्मा और तमोरूप रुद्र ! आपको नमस्कार है ॥ ५॥
नमो नमः स्वरूपाय पञ्चबुद्धीन्द्रियात्मने ।
क्षित्यादिपञ्चरूपाय नमस्ते विषयात्मने ॥ ६ ॥
हिंदी भावार्थ - बुद्धि, इन्द्रियरूप तथा पृथ्वी आदि पञ्चभूत और शब्द-स्पर्शादि पञ्च विषयस्वरूप ! आपको बार-बार नमस्कार है ॥ ६ ॥
नमो ब्रह्माण्डरूपाय तदन्तर्वर्तिने नमः ।
अर्वाचीनपराचीनविश्वरूपाय ते नमः ॥ ७ ॥
हिंदी भावार्थ - जो ब्रह्माण्डस्वरूप हैं और ब्रह्माण्डके अन्तः प्रविष्ट हैं तथा जो अर्वाचीन भी हैं और प्राचीन भी हैं एवं सर्वस्वरूप हैं, उन्हें नमस्कार है, नमस्कार है ॥ ७॥
अचिन्त्यनित्यरूपाय सदसत्पतये नमः ।
नमस्ते भक्तकृपया स्वेच्छाविष्कृतविग्रह ॥ ८ ॥
हिंदी भावार्थ - अचिन्त्य और नित्य स्वरूप वाले तथा सत्-असत् के स्वामिन् ! आपको नमस्कार है। हे भक्तों के ऊपर कृपा करने के लिये स्वेच्छा से सगुण स्वरूप धारण करनेवाले ! आपको नमस्कार है ॥ ८ ॥
तव निःश्वसितं वेदास्तव वेदोऽखिलं जगत् ।
विश्वभूतानि ते पादः शिरो द्यौः समवर्तत ॥ ९ ॥
हिंदी भावार्थ - हे प्रभो ! वेद आपके निःश्वास हैं, सम्पूर्ण जगत् आपका स्वरूप है। विश्व के समस्त प्राणी आपके चरणरूप हैं, आकाश आपका सिर है ॥ ९ ॥
नाभ्या आसीदन्तरिक्षं लोमानि च वनस्पतिः ।
चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यस्तव प्रभो ॥ १०॥
हिंदी भावार्थ - हे नाथ! आपकी नाभि से अन्तरिक्ष की स्थिति है, आपके लोम (रोम, केश) वनस्पति हैं। भगवन् ! आपके मन से चन्द्रमा और नेत्रों से सूर्य की उत्पत्ति हुई है ॥ १० ॥
त्वमेव सर्वं त्वयि देव सर्वं सर्वस्तुतिस्तव्य इह त्वमेव ।
ईश त्वया वास्यमिदं हि सर्वं नमोऽस्तु भूयोऽपि नमो नमस्ते ॥ ११ ॥
हिंदी भावार्थ - हे देव ! आप ही सब कुछ हैं, आपमें ही सबकी स्थिति है। इस लोकमें सब प्रकारकी स्तुतियोंके द्वारा स्तवन करनेयोग्य आप ही हैं। हे ईश्वर ! आपके द्वारा यह सम्पूर्ण विश्वप्रपञ्च व्याप्त है, आपको पुनः-पुनः नमस्कार है ॥ ११ ॥
॥ इति श्री स्कन्दमहापुराणे ब्रह्मखण्डे महाकालस्तुतिः सम्पूर्णा ॥
॥ इस प्रकार श्री स्कन्दमहापुराण के ब्रह्मखण्डमें महाकालस्तुति सम्पूर्ण हुई ॥