मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत
Margashirsha Amavasya Vrat
मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत
मार्गशीर्ष अमावस्या शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष माह की अमावस्या 30 नवंबर 2024 को प्रातः काल 09 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 1 दिसंबर को प्रातः 11 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि से 1 दिसंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या है।
30 नवंबर को श्राद्ध की अमावस्या मनाई जाएगी। 1 दिसंबर को स्नान दान की अमावस्या मनाई जाएगी। प्रदोष काल में मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा होने से रूद्रव्रत (पीड़िया) पर्व मनाया जाएगा।
मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मार्गशीर्ष अमावस्या कहते हैं। इसे अगहन अमावस्या या श्राद्धादि अमावस्या के नाम भी कहा जाता है। इस दिन स्नान, दान और अन्य धार्मिक कार्य सम्पन किए जाते हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने से हर समस्याओं का अंत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पिंड दान करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन किये जाने वाले पूजा-पाठ से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मार्गशीर्ष माह में मां लक्ष्मी की खास पूजा-अर्चना होती है। अगहन मास की अमावस्या पर लक्ष्मी पूजन और व्रत करने से पापों का नाश होता है। इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। विधिवत तरीके से पूजा करने के बाद हलवे का भोग लगाना चाहिए।
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए ?
1. मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। साथ ही तिलांजलि दें।
2. स्नान के बाद हथेली में तिल रखकर बहती जलधारा में प्रवाहित करें और गायत्री मंत्र का पाठ करें।
3. इस दिन भगवान विष्णु या भगवान शिव का पूजन करना चाहिए। विष्णु चालीसा का पाठ करें। साथ ही विष्णु स्तोत्र और मंत्र जाप करें।
4. इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें।
5. पूजा-पाठ के बाद किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान जरूर करें।
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