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मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत एवं दत्तात्रेय जयन्ती

Margashirsha Purnima Vrat and Dattatreya Jayanti

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व Margashirsha Purnima fast and Dattatreya Jayanti
 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत एवं दत्तात्रेय जयन्ती

दत्तात्रेय जयन्ती

दत्तात्रेय जयंती 14 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर को स्नान दान हेतु मनाई जाएगी इसी दिन षोडशी त्रिपुर सुंदरी जयंती भी मनाई जाएगी।

मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा 14 दिसंबर 2024 को शाम 04 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 15 दिसंबर को दोपहर 02 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन दान करने का फल अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना अधिक है। यही कारण है कि इस पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा को कोरला पूर्णिमा, नरक पूर्णिमा, या मार्गशीर्ष पूनम उदयतिथि पूर्णिमा भी कहा जाता है। आध्यात्मिक विकास और आत्मज्ञान चाहने वालों के लिए भी यह दिन अत्याधिक फलदायी माना जाता है। भगवान् शिव एवं विष्णु का ध्यान करना चाहिए। मार्गशीर्ष पूर्णिमा दिन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्ञान और बुद्धि के हिंदू देवता भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में हुआ था। भगवान दत्तात्रेय एक समधर्मी देवता है और उन्हें त्रिमूर्ति अथार्त ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश का अवतार माना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सर्वोच्च स्थिति में होता है क्योंकि सूर्य और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत होते हैं। मान्यता है की इस दिन व्रत एवं पूजन करने से मन और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस दिन चंद्र ग्रह की शांती के लिए भी विधि- विधान किया जाता है जिससे जीवन में शांति एवं सुख समृद्धि प्रदान होती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तुलसी की मिट्टी से पवित्र नदी, तालाब या तालाब में स्नान करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा या कथा करना बहुत फलदायी होता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व:

मार्गशीर्ष माह को बहुत शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में इस माह को 'मगसर', 'अगहन' या 'अग्रहायण' भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि जो युवा लड़कियां मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर यमुना नदी में पवित्र स्नान करती हैं उन्हें वांछित जीवनसाथी मिलता है। वैशाख, कार्तिक और माघ के चंद्र महीनों की तरह, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत महत्वपूर्ण है। पंडितों और विद्वानों का मानना ​​है कि इस पवित्र दिन पर दान-पुण्य करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की 'नारायण' रूप में पूजा की जाती है। साथ ही मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए ?

1. मार्गशीर्ष पूर्णिमा ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर तुलसी के पौधे की जड़ों से औपचारिक स्नान करते हैं। नहाने के पानी में तुलसी के पत्ते डालें। जल को सिर पर लगाकर पूजा करें और फिर स्नान करें। स्नान करते समय 'ओम नमो नारायण' या गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।

2. यदि आप किसी पवित्र नदी में स्नान कर सकें तो बहुत अच्छा रहेगा। ऐसा माना जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर गंगा नदी में पवित्र स्नान करना बहुत लाभकारी माना जाता है।

3. स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें । इसके बाद मंत्रों का जाप करें और साफ कपड़े पहनें। मंत्र जाप के बाद जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान करना अत्यंत लाभकारी रहेगा।

4. रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देना भी न भूलें । चंद्र देवता को प्रसन्न करने और मानसिक शांति पाने के लिए आप मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत भी कर सकते हैं।

5. मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर बेटियों और परिवार की अन्य महिलाओं को नए कपड़े देने की भी परंपरा है।

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