मासिक कालाष्टमी व्रत
Masik Kalashtami Vrat
मासिक कालाष्टमी व्रत
वैशाख कृष्ण पक्ष को मासिक कालाष्टमी व्रत एवं शीतला अष्टमी व्रत को मानते हैं। कालाष्टमी को काला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पंचांग के अनुसार 1 मई को सुबह 5 बजकर 45 मिनट पर होगी। वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 2 मई को सुबह 4 बजकर 1 मिनट पर होगा। मासिक कालाष्टमी का व्रत 1 मई को रखा जाएगा। इस दिन प्रदोष काल में पूजा करना सबसे शुभ साबित होगासाधक 1 मई को किसी समय काल भैरव देव की पूजा कर सकते हैं। मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु प्रदोष काल में करना श्रेष्ठकर साबित होगा।
कालभैरव के भक्त साल की सभी कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा और उनके लिए उपवास करते हैं। सबसे मुख्य कालाष्टमी जिसे कालभैरव जयन्ती के नाम से जाना जाता है, उत्तरी भारतीय पूर्णिमान्त पञ्चाङ्ग के अनुसार मार्गशीर्ष के महीने में पड़ती है जबकि दक्षिणी भारतीय अमान्त पञ्चाङ्ग के अनुसार कार्तिक के महीने पड़ती है। हालाँकि दोनों पञ्चाङ्ग में कालभैरव जयन्ती एक ही दिन देखी जाती है। मान्यता है कि कार्तिक माह में पड़ने वाली कालभैरव जयन्ती के हीं दिन भगवान शिव भैरव के रूप में प्रकट हुए थे। कालभैरव जयन्ती को भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।
कालाष्टमी व्रत करने का मुहूर्त विधान -
कालाष्टमी का व्रत इस दिन करना चाहिए जिस दिन अष्टमी तिथि रात्रि के दौरान प्रबल होती है। प्रदोष के बाद कम से कम एक घटी के लिए अष्टमी को प्रबल होना चाहिए। अन्यथा कालाष्टमी पिछले दिन चली जाती है जब रात्रि के दौरान अष्टमी तिथि के और अधिक प्रबल होने की सम्भावना होती है।
कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि -
कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म और स्नान आदि करने के बाद भगवान भैरव की पूजा-अर्चना करें।
भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
पूजा के दौरान घर के मंदिर में दीपक जलाएं, आरती करें और भगवान को भोग लगाएं।
भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाना चाहिए।