निम्ब-सप्तमी व्रत एवं शर्करासप्तमी व्रत
Nimb Saptami Vrat And Shakrasaptami fast
निम्ब-सप्तमी
निम्बसप्तमी व्रत का वर्णन भविष्योत्तर पुराण में आता है। यह व्रत वैशाख शुक्ल सप्तमी को मनाया जाता है। भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में मुनि सुमंतुजी, राजा शतानीक को निम्ब सप्तमी (वैशाख शुक्ल सप्तमी) की महिमा बताते हुए कहते हैं : ''इस दिन निम्ब-पत्र का सेवन किया जाता है । यह सप्तमी सभी तरह से व्याधियों को हरनेवाली है । इस दिन भगवान सूर्य का ध्यान कर उनकी पूजा करनी चाहिए ।
वैशाख शुक्ल सप्तमी को स्नानादि नित्यकर्म करके अक्रोध और जितेन्द्रिय रहकर फिर निम्न मंत्र द्वारा निम्ब की प्रार्थना करे व भगवान सूर्य को निवेदित करके 10-15 कोमल पत्ते ग्रहण करें -
नीम पत्र खाने का मंत्र -
त्वं निम्ब कटुकात्मासि आदित्यनिलयस्तथा ।
सर्वरोगहरः शान्तो भव मे प्राशनं सदा ।।
हिंदी भावार्थ - हे निम्ब ! तुम भगवान सूर्य के आश्रय स्थान हो । तुम कटु स्वभाववाले हो । तुम्हारे भक्षण करने से मेरे सभी रोग सदा के लिए नष्ट हो जायें और तुम मेरे लिए शांतस्वरूप हो जाओ ।
इस मन्त्र से एक-एक पत्ता खाकर सप्तमी को पृथ्वी पर आसन बिछाकर बैठ के सूर्यमंत्र का जप करें। आज शयन भी पृथ्वी पर आसन बिछाकर हीं करना चाहिए।
इसके बाद अष्टमी को प्रात: सूर्यनारायण का पूजन करें। सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिए नैवेद्य के रूप में गुड़ोदक (गुड़-मिश्रित जल) समर्पित करें। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करावें और उसके बाद स्वयं मौन रहकर बिना नमक का मधुर भोजन करें।
शर्करासप्तमी व्रत -
शर्करासप्तमी भी वैशाख शुक्ल सप्तमीको ही होता है शर्करा सप्तमी व्रत का वर्णन पद्मपुराण में आता है। इस व्रत से आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।
शर्करासप्तमी व्रत विधि -
शर्करासप्तमी को सफेद तिलों के जल से स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए। फिर एक वेदी पर कुंकुम से अष्टदल बना कर 'ॐ नमः सवित्रे' इस मन्त्र से सूर्य भगवन का पूजन करना चाहिए। फिर उस पर खाँड़से भरा हुआ और सफेद वस्त्र से ढँका हुआ सुवर्णयुक्त कोरा कलश स्थापित करें। इसके बाद पद्मपुराण वर्णित निम्न मंत्र से भगवान सूर्यदेव का यथाविधि पूजन करे -
विश्वदेवमयो यस्माद्वेदवादीति पठ्यसे ।
त्वमेवामृतसर्वस्वमतः पाहि सनातन ।।
इसके पश्चात् दूसरे दिन ब्राह्मणों को घृत और शर्करामिश्रित खीरका भोजन कराकर यथा योग्य दान दें और वह घड़ा किसी योग्य ब्राह्मण अथवा अपने गुरु को दान करे। अपात्र ब्राह्मण को किया दान - सत्कार निर्धनता लाता है।