शिव यजुर मंत्र - कर्पूरगौरं करुणावतारम् मंत्र
शिव यजुर मंत्र
आलेख - Sadhak Prabhat
॥ ॐ नमः शिवाय ॥
शिव यजुर मंत्र, जिसे कर्पूरगौरं करुणावतारम् मंत्र के नाम से भी जाना जाता है यजुर्वेद में है। यह सबसे प्रसिद्ध शिव मंत्रों में से एक है। यह किसी भी आरती के उपरांत अवश्य उच्चारण किया जाता है तभी आरती पूर्ण मानी जाती है। भगवान शिव की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय भगवान विष्णु द्वारा की गई थी।
शिव यजुर मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भवं भवानीसहितं नमामि॥
शिव यजुर मंत्र का अर्थ इस प्रकार है:-
कर्पूरगौरं :- कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले।
करुणावतारं :- करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं।
संसारसारं :- समस्त सृष्टि के जो सार हैं।
भुजगेंद्रहारम् :- इसका अर्थ है जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं।
सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि :- इसका अर्थ है कि जो शिव,पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं,उनको मेरा नमन है।
शिव यजुर मंत्र का सम्पूर्ण अर्थ
वह जो कपूर के समान शुद्ध, जो जिनका व्यक्तित्व करुणा का अवतार है। जो संपूर्ण सृष्टि के सार है और जो सांपों के राजा को अपने गले में हार के रूप में धारण करते है, वे भगवान, शिव और माता भवानी सहित हृदय में सदैव निवास करें जिसका प्रकार कीचड में कमल रहता है और मैं आपको नमन करता हूँ।