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श्री शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत हिंदी में

Shri Shiv Sahastranam Stotra in Hindi

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श्री शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत हिंदी में

श्री शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत हिंदी में

'शिव पुराण' में वर्णित शिव सहस्रनाम में भगवान शिव की एक हजार नामों की स्तुति है। यह संस्कृत में 'शिव पुराण' में वर्णित है। हिंदी भाषी साधकों के लिए शिव सहस्रनाम हिंदी दोहों में उपलब्ध किया जा रहा है। भगवान् शिव आपका कल्याण करें -

श्री शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत हिंदी में


जय अज अव्यय अमित शक्ति जय। जय अनियम अध्रुव अनादि जय ।।1।।

जय अमृताश अमृतवपु जय जय । अमृतप अमृत रूप अक्षय जय ।।2।।

अप्राकृतिक दिव्य तनु जय जय जय अनादि मध्यान्त जयति जय ।।3।।

अर्थिगम्य जय अष्टमूर्ति जय। अपरिच्छेद्य अध्यात्म निलय जय ।।4।।

जय अचलेश्वर अजितप्रिय जय । जय असाध्य अनिवृत्तात्मा जय ।।5।।

जय अभिवाद्य अकल्मष जय जय । जय अनन्तद्दक् अन्न रूप जय ।।6।।

जयति अजातशत्रु अघरिपु जय। जय अन्तर्हित आत्मा जय जय ।।7।।

अऋणी अक्रिय अकथनीय जय । अभिजन अकुतोभय अकुण्ठ जय ।।8।।

अति प्राकृत अतिदैव अजर जय। अति मानुष अतिवेल अचर जय ।।9।।

जयति अखण्ड अग्य अक्षर जय। अति बल अतनु प्राणहर जय जय ।।10।।

जय अधिराज अधृष्य जयति जय। असंदिग्ध असुरारि जयति जय ।।11।।

जय अद्रयालय अद्रि अतिथि जय जय अविशिष्ट अंपानिधि जय जय ।।12।।

जय अराग अभिराम अमृत जय। जय अगस्त्य अंगिरा अत्रि जय ।।13।

जय अनन्त अरिदमन अचल जय। जय अभेद अज्ञेय अमल जय ।।14।।

जय अनर्थ नाशन अमोघ जय। जयति अनर्थ अर्थ अभिनव जय ।।15।।

जयति अचंचल असंसृष्ट जय। जय अधर्मरिपु अन्धकारि जय ।।16।।

जय अघोर अनिरुद्ध अभव जय । जय अरिन्दम अमरेश्वर जय ।।17।।

जय अलोभ अपराजित अणु जय। जय अक्रूर अकिञ्चन जय जय ।।18।।

जय अक्षुण्ण अनघ अग्रह जय। जयति अगुण अनन्त गुणनिधि जय ।।19।।

जय अक्षय गुण अधिष्ठान जय। जयति अपूर्व अनुत्तर जय जय ।।20।।

जय अप्रतिम अकम्प अधृत जय। जयति अकाल अकल अमृत्यु जय ।।21।।

जय असुरासुरपति अहपति जय। जयति अमाय अनामय जय जय ।।22।।

जयति अकर्ता अखिलकर्तृ जय। जयति अतीन्द्रिय अखिलेन्द्रिय जय ।।23।।

जय अनपायोक्षर अदम्य जय जय आनन्द आत्मचेतन जय ।।24।।

आत्मयोनि आश्रित वत्सल जय । आशुतोष आलोक जयति जय ।।25।।

जयति इष्ट ईशान ईश जय। जय उन्नघ्र उग्र उत्तर जय ।।2611

जयति उष्ण उन्मत्त वेश जय। जयति उपप्लव उत्तारण जय ।।27।।

जय उद्योगी उद्यमप्रिय जय। जय ऋषि ऋक्ष चर्मधर जय जय ।।28।।

एक रुद्र जय एक बन्धु जय। जय एकात्मा एक नेत्र जय ।।29।।

जय ऐश्वर्याचिन्त्य जयति जय। जयति ओज ओंकारेश्वर जय ।।30।।

अम्बुजाक्ष अन्तर्यामी जय। अन्तरहित अन्तरप्रिय निधि जय ।।31।।

जय कमलाक्ष कमण्डलुधर जय। जयति कल्प कर्त्ता कवि जय जय ।।32।।

कर्णिकार प्रिय कर-कपाल जय। जय कमनीय कलेवर क्रतु जय ।।33।।

जय कनकाभा कपिलश्मश्रु जय। जय कल्याण नाम गुणधर जय ।।34।।

जय कल्याण विधायक जय जय। जयति कलाधर कल्पवृक्ष जय ।।35।।

जयकल्पादि कपर्दि करण जय। जयति कपाली कारण जय जय ।।36।।

जयति कामशासन कामी जय। काम कामरिपु कामपाल जय ।।37।।

जयति काल जय कल्पवृक्ष जय। कालाधार कालभूषण जय ।।38।।

कालकाल जय काल रहित जय। जयकान्ता प्रिय कान्त जयति जय ।।39।।

जय किन्नर सेवित किरात जय। किंकर वश्य कितव अरि जय जय ।।40।।

कीर्ति विभूषण जय किरीटि जय। जय कृतज्ञ जय कृतानन्द जय ।।41।।

जयति कृष्ण जय कृष्ण वरद जय। जय कुमार कुशलागम जय जय ।।42।।

जय केवल केदारनाथ जय। जय कैवल्य प्रदाता जय जय 1143।।

जय कैलाश शिखरवासी जय। जय कंकणिकृत वासुकि जय जय ।।44।।

जय खग खगवाहन प्रिय जय जय। जय खट्वांगी खण्डपरशु जय ।।45।।

जय खलकण्टक खल दलारि जय। जय गणेश गणकाय गहन जय ।।46।।

गगन कुन्द प्रभ गणनायक जय। जय गायत्री वल्लभ जय जय ।।47।।

जय गिरीश गिरिजापति जय जय। जय गिरिजामाता गिरिरत जय ।।48।।

जय गुह गुरु गुण सत्तम जय जय। जय गुणराशि गुणाकर जय जय ।।49।।

जय गुणग्राहक ग्रीष्म जयति जय। जय गोपति गोप्ता गोप्रिय जय ।।50।। जय

गोविन्द गोशाखा जय जय। गौरी भर्त्ता गंगाधर जय ।।51।।

जय घुश्मेश्वर घनानन्द जय। जयति चतुर जय चन्द्रचूड़ जय ।।52।।

चतुर्वेद जय चन्द्रमौलि जय। चतुर्भाव चतुरप्रिय जय जय ।।53।।

जयति चतुष्पद चतुर्बाहु जय। जयति चतुर्मुख चिदानन्द जय ।।54।।

जयति चिरन्तन चित्रवेश जय। चन्द्रापीड़ छिन्नसंशय जय ।।55।।

जय जगदीश जगद्‌गुरु जय जय जय जन्मारि जनार्दन जय जय ।।56।।

जय जगदादिज जनक जनन जय। जयति जप्य जमदग्नि जयति जय ।।57।।

जटिल जलेश्वर जगद बन्धु जय। जनाध्यक्ष जनमन रंजन जय ।।58।।

जयति जरादिशमन जगपति जय। जगजीवन जय जातुकर्ण्य जय ।।59।।

जय जितकाम जितेन्द्रिय जय जय। जीवितान्तकर जीवनेश जय ।।60।।

जयति ज्योति ज्योतिर्मय जय जय। जयति तत्व तत्वज्ञ जयति जय ।।61।।

जय तापस तमिस्रहा जय जय। जय तम रूप तमोहर जय जय ।।62।।

जय तत्पुरुष ताक्ष्य तारक जय। जय तिग्मांशु तीर्थधामा जय ।।63।।

तीर्थ तीर्थमय तीर्थदृश्य जय। तुम्बवीण जय तुष्ट तेज जय 1164।।

तेज द्युतिधर तेजराशि जय। जयति त्रिवर्ग स्वर्ग साधन जय ।।65।।

जय त्रैविध त्रयीतनु जय जय। जयति त्रिलोचन त्रिदशाधिप जय ।।66।।

जय त्रिलोकपति त्र्यम्बक जय जय। जय त्रिशूलधर त्र्यक्ष जयति जय ।।67।।

जय दुर्जय दुस्सह दम जय जय जय दुर्धर्ष दुरति क्रम जय जय ।।68।।

जय दक्षारि दक्षत्राता जय। जय दक्ष जामाता जय जय 1169।।

जय दर्पद दर्पहा जयति जय। दनुज दमन दमयिता जयति जय ।।70।।

दान्त दयानिधि दाता जय जय। जयति दिवाकर दिव्यायुध जय ।।71।।

जयति दिवस्पति दीर्घतपा जय। जय दुर्जय दुःसह दुर्लभ जय ।।72।।

जय दुज्ञेय दुर्ग दुर्गति जय। जय दुर्वासा दुराधर्ष जय ।।73।।

जय दुर्गति नाशन दुरंत जय। दुरावास दुष्कृतिहा जय जय ।।74।।

जय दुःस्वप्न विनाशक द्रुत जय। दूरश्रवा दुरासद जय जय ।।75।।

देव देव देवाधिप जय जय। देवासुर गुरुदेव जयति जय ।।76।।

देवासुर पूजित ईश्वर जय। देवासुर सर्वाश्रय जय जय ।।77।।

देवसिंह देवात्म रूप जय। देवनाथ जय देवप्रिय जय ।।78।।

जय दृढ़ दृढ़प्रतिज्ञ दृढ़मति जय। जय द्युतिधर जय धुमणि तरणि जय ।।79।।

जयति दुहिण द्रोहान्तक जय जय। जयति धर्म जय धर्म धाम जय ।।80।।

जय धर्माङ्ग धर्म साधन जय। धर्मधेनु जय धर्मचारि जय ।।81।।

जय धन्वी धव धनदस्वामि जय। जयति धनागम धनाधीश जय ।।82।।

जयति धनुर्धर धनुर्वेद जय। जय धात्रीश धातृधामा जय ।।83।।

जय धीमान धुर्य धूर्जटि जय। ध्यानाधार ध्येय ध्याता जय ।।84।।

धृतव्रत धृतियुत धृत जनकर जय। जयप्रिय नर नारायण जय जय ।185।।

जय नरसिंह रूप धर जय जय जय नरसिंह तपन नन्दी जय ।।86।।

नन्दीश्वर नग्नव्रत जय जय। नन्दि स्कन्धधर नभो योनि जय ।।87।।

जय नक्षत्र मालि नव रस जय। नयनाध्यक्ष नदीधर जय जय ।188।।

नागेश्वर नागेश नाक जय। जय नागेन्द्रहार भूषण जय ।।89।।

जय निर्वार निशाकर जय जय। निरावरण निधि नियताश्रय जय ।।90।।

नित्य निरञ्जन नियतात्मा जय। निःश्रेयसकर निराकार जय ।।91।।

जय निष्कण्टक निष्कलङ्क जय। जय निरूपद्रव निरातङ्क जय ।।92।।

जय निर्व्याज नित्य सुखमय जय। जयति निरङ्कुश निष्प्रपञ्च जय ।।93।।

जय निर्व्यङ्ग नित्य सुन्दर जय। नित्य शान्तिमय नित्य नृत्य जय ।।94।।

नित्य नियत कल्याण नीति जय। नीतिमान जय नीलकण्ठ जय 1195।।

जय नीलाभ नीललोहित जय। नैककर्म कृत नैकात्मा जय ।।96।।

न्यायगम्य जय न्यायी जय जय । न्याय नियामक न्याय प्रिय जय ।197।।

जयति परात्पर परब्रह्म जय। जय परमात्मा परमेष्ठी जय ।।98।।

जयति परावर परं ज्योति जय। जय पशुपति जय पद्मगर्भ जय ।।99।।

जय परश्वधी पटु परिवृढ़ जय। जयति परंतप पंचानन जय ।।100।।

परावरज्ञ परार्थवृत्ति जय। परकार्येक सुपण्डित जय जय ।।101।।

जयति प्रणव प्रणवात्मक जय जय। जय प्रधान प्रभु प्रमाणज्ञ जय ।।102।।

जयति प्रभाकर प्रमथ नाथ जय। जय प्रच्छन्न प्रशान्त बुद्धि जय ।।103।।

जयति प्रतप्त प्रकाशक जय जय। जय प्रतापमय प्रभव जयति जय ।।104।।

जय प्रलम्ब भुज प्रलयंकर जय। जयति प्रगल्भ प्रकीर्ण प्राण जय ।।105।।

जय पावन पारावर मुनि जय। पारिजात जय पाञ्चजन्य जय ।।106।।

पिंगल जटी पिनाकी जय जय। पिंगलाभ शुचि नयन जयति जय ।।107।।

पुण्य श्लोक पुरंदर जय जय। पुलह पुलस्त्य पुरंजय जय जय ।।108।।

पुष्कर पुष्प विलोचन जय जय । पुषदन्तभित् पूर्ण पूत जय ।।109।।

प्रमथाधिप प्रबुद्ध प्रणप्रिय जय। प्रभावान प्रभु विष्णु जयति जय ।।110।।

प्रेताधीश प्रेतचारी जय । जय पौराण पुरुष फणिधर जय ।।111।।

जय बहुश्रुत बहुरूप बली जय। बाणहस्त बाणाधिप जय जय ।।112।।

जयति ब्रह्म ब्रह्मा ब्राह्मण जय। जय ब्राह्मणप्रिय ब्रह्मगर्भ जय ।।113।।

ब्रह्मवर्चसी ब्रह्म ज्योति जय। ब्रह्म वेदनिधि ब्रह्मचारि जय ।।114।।

बीज विधाता बिन्दु रूप जय। बीजाधार बीजवाहन जय ।।115।।

बृहदगर्भ बृहदश्व जयति जय। बृहदीश्वर मंगलमय जय जय ।।116।।

जय भव भव्य भस्मप्रिय जय जय। जय भगवान भस्मशायी जय ।।117।।

भस्मोद्धलित विग्रह जय जय। भस्म शुद्धिकर भक्तिकाय जय ।।118।।

भक्तिवश्य जय भक्त भक्त जय। भालनेत्र जय भानुदेव जय ।।119।।

भावात्मात्मनि संस्थित जय जय। भीम पराक्रम भीम जयति जय ।।120।।

जय भुवनेश भुवन जीवन जय। भूति भूतिनाशन भूशय जय ।।121।।

जयति भूतवाहन भूपति जय। जयति भूतकृत भूत भव्य जय ।।122।।

जयति भूतवाहन भूषण जय। जयति भोग्य भोक्ता भोजन जय ।।123।।

जयति महेश्वर महादेव जय । जयति महाद्युति महातपा जय ।।124।।

जयति महानिधि महामाय जय। महागर्त जय महागर्भ जय ।।125।।

महानाद जय महातेज जय। महावीर्य जय महाशक्ति जय ।।126।।

महाबुद्धि जय महाकल्प जय। महाकाल जय महाकोष जय ।।127।।

महायशा जय महामना जय। महाभूत जय महापूत जय 11128।।

जयति महौषधि मंगलमय जय। जय महदाश्रय महत् जयति जय ।।129।।

महामहिम मत्सर विहीन जय। जयति महाहृद महाबली जय ।।130।।

जयति मन्त्र मन्त्राधिप मय जय। जयति मन्त्र प्रत्यय मन्त्री जय ।।131।।

महोत्साह जय महीभर्त्ता जय। मधुरप्रिय दर्शन महर्षि जय ।।132।।

जयति महारेता मधुप्रिय जय। जयति महाकवि महाप्राण जय ।।133।।

जय मघवान महाधन जय जय। जय मानधन महापुरुष जय ।।134।।

जय मध्यस्थ महास्वन जय जय। महेष्वास जय मृदु मृड जय जय ।।135।।

जयति मल्लिकार्जुन मृगपति जय। मारुति रूप मोह विरहित जय ।।136।।

मृग बाणार्पण मेरु मेघ जय। जयति यज्ञ जय यज्ञ श्रेष्ठ जय ।।137।।

जयति यज्ञ भोक्ता जय यश जय। जयति यशोधन युगपति जय जय ।।138।।

जयति युगावह योगपार जय। जय योगेश्वर योगीश्वर जय ।।139।।

योगाध्यक्ष योगविद् जय जय। जय रवि रविलोचन रसप्रिय जय ।।140।।

जयति रसज्ञ रसद रसनिधि जय। रजनी जनक रमापति जय जय ।।141।।

रामचन्द्र राघव जय रुचि जय। रुचिरांगद जय जयति रुद्र जय ।।142।।

रिपुमर्दन रोचिष्णु जयति जय। जयति ललित जय ललाटाक्ष जय ।।143।।

लिङ्गाध्यक्ष लिङ्ग प्रतिमा जय। जयति लोककर लोकबन्धु जय ।।144।।

लोकनाथ जय लोकपाल जय। लोक गूढ़ जय लोकवीर जय ।।145।।

लोकोत्तर सुख आलय जय जय। लोकानामग्रणी जयति जय ।।146।।

जयति लोक सारंग जयति जय। लोकशल्य धृक् लोकोत्तम जय ।।147।।

जयति लोक वर्णोत्तम जय जय। लोक लवणताकर्त्ता जय जय ।।148।।

लोक रचयिता लोकचारि जय। लोहितात्मा लोकोत्तर जय ।।149।।

जय वरेण्य जय वरवाहन जय। वरद वशिष्ठ वसुप्रद जय जय ।।150।।

वसु वसुमना वरांग जयति जय। जय वसुधामा वसुश्रवा जय ।।151।।

जय वसंत माधव वत्सल जय। जय वर्णी वर्णाश्रम गुरु जय ।।152।।

जय वसुरेता वज्रहस्त जय। जय वरशील जयति वरगुण जय ।।153।।

जय वागीश वायु वाहन जय। वालखिल्य जय वाचस्पति जय ।।154।।

वामदेव वामाङ्क उमा जय। वासुदेव वासव सेवित जय ।।155।।

जय वाराह शृंगधृक् जय जय। जय वाणीपति वाणीवर जय ।।156।।

जय वृषांक वृषवाहन जय जय। जयति वृषाकपि वृषवर्धन जय ।।157।।

जयति विश्व विश्वम्भर जय जय। विश्वमूर्ति जय विश्वदीप्ति जय ।।158।।

जयति विश्वसृक् विश्व-वास जय। विश्वनाथ जय विश्वेश्वर जय ।।159।।

जयति विश्वकर्त्ता हर्त्ता जय। विश्वरूप जय विश्वधर्म जय ।।160।।

विश्वोत्पत्ति विश्वगालव जय। जयति विश्ववाहन विशोक जय ।।161।।

जयति विश्वगोप्ता विराट जय। जयति विरंचि विमोचन जय जय ।।162।।

विश्वदेह विद्येश जयति जय। जय विशाख विजितात्मा जय जय ।।163।।

जयति विश्वसह विद्वतम जय। जयति विनीतात्मा विराम जय ।।164।।

जयति विरोचन विरूपाक्ष जय। जय विगत ज्वर विमलोदय जय ।।165।।

जय विषमाक्ष विशाल अक्ष जय। जय विरूप विक्रान्त विमल जय ।।166।।

विद्याराशि वियोगात्मा जय। जयति विधेयात्मा विशाल जय ।।167।।

जयति विधाता विष्णु विरत जय। जयति विशारद विशृंखल जय ।।168।।

जय वीरेश्वर वीरभद्र जय। वीर्यवान वीरासन विधि जय ।।169।।

वीर शिरोमणि वीराग्रणि जय। वीतराग जय वीतभीति जय ।।170।।

वेद रूप जय वेदवेद्य जय जय वेदाङ्ग वेद विद् मुनि जय ।।171।।

जयति वेदकर वेत्ता जय जय। वेदशास्त्र तत्वज्ञ जयति जय ।।172।।

जय वेदान्त सार निधि जय जय। वैद्यनाथ वैयाघ्यधुर्य जय ।।173।।

जयति वैद्य वैरिञ्च्य जयति जय। जयति शर्व जय शक्र जयति जय ।।174।।

जयति श्मशान निलय शरण्य जय। जय श्मशानप्रिय शमनशोक जय ।। 175।।

जय शत्रुघ्न शत्रु तापन जय। शबल शक्त शम शरभ जयति जय ।।176।।

जय शनि शरण शत्रुजित जय जय । जयति शवासन शक्तिधाम जय ।।177।।

शब्द ब्रह्म जय जयति शम्भु जय। शबर बन्धु जय शमनदमन जय ।।178।।

शंकर शंवर शर्वरीश जय। शाश्वत शान्त शाख शास्ता जय ।।179।।

शान्तभद्र शाकल्य जयति जय। जय शिव जय शिपिविष्ट जयति जय ।।180।।

शिशु शिखि शिखि सारथी जयति जय। जय शिव ज्ञान निरत शिखण्डि जय ।।181।।

जय शिष्टेष्ट शिवालय जय जय। श्रीकण्ठ श्रीमान जयति जय ।।182।।

श्रीशैल श्रीवास जयति जय। शुचि शुचिसत्तम शुचिस्मित जय जय ।।183।।

जय शुभ शुभद शुभांग जयति जय। शुद्धमूर्ति शुद्धात्मा जय जय ।।184।।

शुभ्र शुभंकर शुभ स्वभाव जय। जय शुभकर्त्ता शुभनामा जय ।।185।।

शूली शूर शूलनाशन जय । शोभाधाम शोकनाशन जय ।।186।।

शंका विरहित शंखवर्ण जय। श्रीश रूप श्रीवृद्धिकरण जय ।।187।।

श्रुतिप्रकाश श्रुतिमान जयति जय। सम समान जय समान्नाय जय ।।188।।

सदाचार जय समावर्त जय। सगण स्थपित सनातन जय जय ।।189।।

सद्योजात सदाशिव जय जय । सत्य सत्यव्रत सत्यसंध जय ।।190।।

सत्य परायण सत्य कीर्ति जय। सत्य पराक्रम सत्य मूर्ति जय ।।191।।

सफल सकल निष्कल समाधि जय। सती देहधर सत्तम जय जय ।।192।।

सदय सदाशय समतामय जय । सकलाधार सकल आश्रय जय ।।193।।

सकलागम पारग स्वभाव जय। सच्चरित्र सच्चिदानन्द जय ।।194।।

सत्पुरुषाधिप सदानन्द जय। सर्व सर्वस्रष्टा पालक जय ।।195।।

सर्वेश्वर सर्वादि जयति जय। जयति सर्वसंहार मूर्ति जय ।।196।।

सर्वाचार्य मनोगति जय जय। सर्वावास सर्व शासन जय ।।197।।

सर्वरूप चर अचर जयति जय। सर्वलोक सर्वेश जयति जय ।।198।।

सर्वलोक ईश्वर महान जय। सर्वभूत ईश्वर महान जय ।।199।।

सर्वशास्त्र रक्षक महान जय। सर्वशास्त्र भंजन महान जय ।।200।।

सर्वधर्म रक्षक महान जय। सर्वधर्म भक्षक महान जय ।।201।।

सर्वसाध्य साधन महान जय। सर्वदेव सत्तम महान जय ।।202।।

सर्वशास्त्र सत्सार जयति जय। सर्वबन्ध मोचन स्वभाव जय ।।203।।

सर्वलोक धृक् सर्वशुद्धि जय। जयति सर्वदृक् सर्वयोनि जय ।।204।।

सर्वप्रजापति सर्वसत्य जय जय सर्वज्ञ सर्वगोचर जय ।।205।।

जयति सर्वसाक्षी सर्वग जय। सर्वदिव्य आयुध ज्ञाता जय ।।206।।

सर्वपापहर त्राता जय जय जय सर्वर्तु विधायक जय जय ।।207।।

जयति सर्वसुर नायक जय जय। सर्वशक्ति मत सर्ववीर्य जय ।।208।।

सर्वोत्तर सर्वेसर्वा जय। सर्वाणी स्वामी ससज्ज जय ।।209।।

सद्गति सत्कृति सद्योगी जय। जय सज्जाति सदागति जय जय ।।210।।

जय सम्राट स्वधर्मा जय जय जयति स्कन्द जय स्कन्द जनक जय ।।211।।

जयति स्तव्य स्तवप्रिय स्तोता जय। स्वक्ष स्वधृत स्वर्बन्धु जयति जय ।।212।।

जय स्वच्छन्द स्ववश स्वराट् जय। जयति स्वभाव भद्र स्वर्गत जय ।।213।।

स्वतः प्रमाण स्वमहिमामय जय। स्ववश स्वयंभू स्वच्छ जयति जय ।।214।।

स्वर्ग स्वर्गस्वर स्वरमय स्वन जय। जयति स्थविष्ट स्थविर ध्रुव जय जय ।।215।।

सहस पाद जय सहस बाहु जय। सहस नेत्र जय सहस कर्ण जय ।।216।।

सहस शीश जय सहस कण्ठ जय। सहस गिरा जय सहस अर्चि जय ।।217।।

साधुसाध्य जय साधुसार जय। सार सुशोधन साधन जय जय ।।218।।

जयति साध्य सात्त्विक प्रिय जय जय। सामगान प्रिय सानुराग जय ।।219।।

साम्ब सदाशिव जयति जयति जय। सिद्ध सिद्धि जय सिद्धिद जय जय ।।220।।

सिद्धिकरण जय सिद्धखङ्ग जय। सिद्धवृन्द वंदित पूजित जय ।।221।।

स्थिर स्थिरमति जय स्थिर समाधि जय। जय सुरेश सुरपति सेवित जय ।।222।।

जयति सुभग सुव्रत सुपर्ण जय। जयति सुतन्तु सुनीति सुलभ जय ।।223।।

जयति सुधी सुशरण सुकीर्ति जय। सुहृद सुधीर सुचरित जयति जय ।।224।।

जय सुकुमार सुलोचन जय जय। जयति सुखानिल सुप्रतीक जय ।।225।।

जयति सुप्रीत सुमुख सुन्दर जय। जय सुधांशु शेखर सुवीर जय ।।226।।

जय सुकीर्ति शोभन सुस्तुत्य जय। सुमति सुकर सुरनायक जय जय ।।227।।

सुनिष्पन्न जय सुषमामय जय। सुखी परम जय सूक्ष्म तत्व जय ।।228।।

सूर्य सूर्य-उष्मा-प्रकाश जय । सूत्र रूप जय सूत्रकार जय ।।229।।

सोम सोमरत सोमनाथ जय। सोमप सौम्य सौम्यप्रिय जय जय ।।230।।

संकर्षण संकल्प रहित जय। संगरहित संगीत निपुण जय ।।231।।

संग्रह रहित संग्रही जय जय। जय संवृत संभाव्य जयति जय ।।232।।

जय संसार चक्रभित जय जय जय संसरण निवारण जय जय ।।233।।

जय षट्चक्र विकासन जय जय। जय षट्शत्रु विनाशन जय जय ।।234।।

जय षट्कर्म विधायक जय जय। जय षड्दर्शन नायक जय जय ।।235।।

जय षऋतु षड्रसमय जय जय। जयति षडानन जनक जयति जय ।।236।।

जय हर हरि हिरण्यरेता जय। हंस हंसगति हव्यवाह जय ।।237।।

जयति हिरण्यवर्ण हिमप्रिय जय। जयति हिरण्यगर्भ हितकर जय ।।238।।

जयति हिरण्य कवच हिरण्य जय। हिंसा रहित हितैषी जय जय ।।239।।

हृषीकेश जय हृष्ट हृद्य जय जय हृत्पद्म विराजित जय जय ।।240।।

क्षमाशील जय क्षाम क्षपण जय। जय क्षेत्रज्ञ क्षेत्रपालक जय ।।241।।

ज्ञानगम्य जय ज्ञानमूर्ति जय। ज्ञानवान जय ज्ञानरूप जय ।।242।।

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श्री शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत हिंदी में Shri Shiv Sahastranam Stotra in Hindi