× SanatanShakti.in About Us Home Founder Religion Education Health Contact Us Privacy Policy
indianStates.in

तिलद्वादशी - भीमद्वादशी व्रत की विधि एवं महिमा

Tildwadashi Vrat

Tildwadashi-Vrat

॥ श्रीहरिः ॥

तिलद्वादशी -

तिलद्वादशी व्रत का महत्त्व ब्रह्मपुराण एवं पद्म पुराण में वर्णित है। यह व्रत षट्तिला के समान है। तिल द्वादशी व्रत कलियुग के सभी पापों का नाश करने वाला व्रत माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पद्म पुराण में बताया गया है कि इस व्रत में ब्राह्मण को तिलों का दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल मिलता है।

तिलद्वादशी व्रत विधान -

तिलद्वादशी - माघ शुक्ल द्वादशी को तिलों के जल से स्नान करे। तिलों से विष्णु का पूजन करे। तिलों के तेल का दीपक जलाये। तिलों का नैवेद्य बनाये। तिलों का हवन करे और तिलों का दान करके तिलों का ही भोजन करे तो इस व्रत के प्रभाव से स्वाभाविक, आगन्तुक, कायकान्तर और सांसर्गिक सम्पूर्ण व्याधि दूर होती है और सुख मिलता है।

भीमद्वादशी व्रत -

भीमद्वादशी व्रत भी इसी माघ शुक्ल द्वादशी को होती है। इसमें व्रतको ब्रह्मार्पण करके ब्राह्मणोंको भोजन कराये और फिर पारण करे। शेष विधि एकादशी के समान करे।

***********

www.indianstates.in

भीष्माष्टमी व्रत की विधि एवं महिमा Bhishmashtami Vrat