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बुधवार का व्रत शुरू करने से पहले गणेश जी के साथ नवग्रहों की पूजा करनी चाहिए। लगातार सात बुधवार तक करना चाहिए।

 
बुधवार व्रत budhavaar vrat

बुधवार व्रत शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से शुरू करना अच्छा माना जाता है। जिस व्यक्ति को बुधवार का व्रत करना हों, उस व्यक्ति को व्रत के दिन प्रात: काल सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए। उठने के बाद प्रात: काल में उठकर पूरे घर की सफाई करनी चाहिए। इसके बाद स्नानादि कर शुद्ध हो जाना चाहिए। स्नान करने के बाद संपूर्ण घर को गंगा जल छिडकर शुद्ध करना चाहिए। गंगा जल न मिलें तो जल में गोमूत्र मिलाकर भी छिडका जा सकता है। इसके पश्चात घर के ईशान कोण में किसी एकांत स्थान में भगवान बुध या गणेश जी या भगवान शंकर की मूर्ति अथवा चित्र किसी कांस्य के बर्तन में या लकड़ी पर स्थापित करना चाहिए। मूर्ति या चित्र स्थापित करने के बाद घी का दीपक जलाकर पूजन करना चाहिए। इसके बाद निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए बुधदेव की आराधना करनी चाहिए

बुधत्वं बुद्धिजनको बोधद: सर्वदा नृणाम्।
तत्वावबोधं कुरुषे सोमपुत्र नमो नम:॥

पूरे दिन व्रत करने के बाद सायंकाल में भगवान बुध की एक बार फिर से पूजा करते हुए, व्रत कथा सुननी चाहिए। और आरती करनी चाहिए । सूर्यास्त होने के बाद भगवान को भोग लगाकर प्रसाद बांटना चाहिए, और सबसे अंत में स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। व्रत करने वाले जातक को हरे रंग की माला या वस्त्रों का अधिक प्रयोग करना चाहिए। व्रत करने वाले व्यक्ति को एक ही समय भोजन करना चाहिए। व्रत को मध्य में कभी नहीं छोडना चाहिए तथा व्रत की कथा के मध्य में उठकर नहीं जाना चाहिये। साथ ही प्रसाद भी अवश्य ग्रहण करना चाहिए। बुधवार व्रत में हरे रंग के वस्त्रों, फूलों और सब्जियों का दान देना चाहिए। इस दिन एक समय दही, मूंग दाल का हलवा या हरी वस्तु से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए।

बुधवार व्रत का महत्व

बुद्धि, जुबान एवं व्यापार मनुष्य के जीवन के तीन मुख्य आधार स्तंभ हैं, जो कि बुध देव कि कृपा पर निर्भर हैं। बुधवार का व्रत करने से व्यक्ति की बुद्धि में वृ्द्धि होती है। इसके साथ ही व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिये भी इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है। व्यापारिक क्षेत्र की बाधाओं को दूर करने में भी यह व्रत लाभकारी रहता है। इसके अतिरिक्त जिन व्यक्तियों की कुण्डली में बुध अपने फल देने में असमर्थ हो, उन व्यक्तियों को यह व्रत विशेष रुप से करना चाहिए। अथवा जिनके कुण्डली में बुध अशुभ भावों का स्वामी होकर अशुभ भावों में बैठा हो, उस अवस्था में भी इस व्रत को करना कल्याणकारी रहता है।
ग्रह शांति तथा सर्व-सुखों की इच्छा रखने वालों को बुद्धवार का व्रत करना चाहिये। इस व्रत में दिन-रात में एक ही बार भोजन करना चाहिए।

बुधवार व्रत का फल -

बुधवार का व्रत करने से व्यक्ति का जीवन में सुख-शांति और धन-धान्य से भरा रहता है। इसके अलावा लक्ष्मी जी उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

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