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what is manvantara?

मन्वंतर क्या है?

आलेख © कॉपीराइट - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

मन्वन्तर काल-मापन की एक ईकाई है।

मन्वन्तर प्रत्येक मनु के काल को कहते हैं । अतः यह भारतीय ज्योतिष में काल-मापन की एक ईकाई है।
ब्रह्माजीके एक दिन (कल्प अर्थात् 1000 महायुग) में 14 मनु होते हैं। अब 1000 महायुगों को 14 से भाग दें तो प्रत्येक मन्वन्तर 71 महायुग और 3/14 महायुग होगा।
1 चतुर्युगी = चार युग (सतयुग - 1728000 वर्ष, त्रेतायुग- 1296000 वर्ष, द्वापरयुग-864000 वर्ष और कलियुग- 432000 वर्ष) = कुल 4320000 वर्ष।
अतः 1 मन्वन्तर = 71 × 4320000 (एक चतुर्युगी) = 306720000 वर्ष होगा।

प्रथम मनु स्वायम्भुव थे। उनके अनन्तर क्रमशः स्वारोचिष, उत्तम, रैवत और चाक्षुष हुए। ये छः मनु पूर्वकाल में हो चुके हैं। इस समय सूर्यपुत्र वैवस्वत (श्राद्धदेव) मनु हैं, जिनका यह सातवाँ मन्वन्तर वर्तमान है । चौदहवें मन्वन्तर के पश्चात सूर्य में विस्फोट होगा, इससे कई सूर्य उत्पन्न होंग। परिणामस्वरूप इस सौर्यमण्डल का विनाश हो जायेगा। विष्णु योगनिंद्रा में चले जायेंगे। जब युगों-युगों के बाद नींद से जागेंगे तब पुनः सृष्टि की शुरुआत करेंगे।

प्रत्येक मन्वन्तर में सात सप्तऋषि होते हैं। विभिन्न पुराणों में मन्वन्तर के भेद से सप्तर्षियों के नाम में अन्तर है।

विष्णुपुराण के तृतीय अंश के अनुसार सप्तऋषियों के नाम -

1. प्रथम मन्वन्तर जिसके मनु स्वायम्भुव नामक मनु थे उस सृष्टि के शुरुआत वाले मन्वन्तर में मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु और वसिष्ठ सप्तर्षि थे।

2. दूसरे मन्वन्तर जिसके मनु स्वारोचिष नामक मनु थे उस मन्वन्तर में ऊर्ज, स्तम्भ, प्राण, वात, पृषभ, निरय और परीवान्- ये उस समय सप्तर्षि थे।

3 तीसरे मन्वन्तर में जिसके मनु उत्तम नामक मनु थे उस मन्वन्तर में तथा वसिष्ठजी के सात पुत्र सप्तर्षिगण थे।

4. चौथे मन्वन्तर में जिसके मनु तामस नामक मनु थे उस मन्वन्तर में ज्योतिर्धामा, पृथु, काव्य, चैत्र, अग्नि, वनक और पीवर ये उस मन्वन्तर के सप्तर्षि थे।

5. पाँचवे मन्वन्तर में जिसके मनु रेवत नामक मनु थे उस मन्वन्तर में हिरण्यरोमा, वेदश्री, ऊर्ध्वबाहु, वेदबाहु, सुधामा, पर्जन्य और महामुनि (वसिष्ठ) – ये सात सप्तर्षिगण थे।

6. छठे मन्वन्तर में जिसके मनु चाक्षुष नामक मनु थे उस मन्वन्तर में सुमेधा, विरजा, हविष्मान्, उत्तम, मधु, अतिनामा और सहिष्णु – ये सात सप्तर्षि थे।

7. सातवें मन्वन्तर में जिसके मनु सूर्य के पुत्र महातेजस्वी और बुद्धिमान श्राद्धदेवजी मनु है जो वर्तमान में अभी चल रहा है, इस मन्वन्तर में वसिष्ठ, काश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज- ये सात सप्तर्षि हैं।

8. आठवें मन्वन्तर में जिसके मनु सावर्णि नामक मनु होंगे उस मन्वन्तर में दीप्तिमान्, गालव, राम, कृप, द्रोण-पुत्र अश्वत्थामा, व्यास और ऋष्यशृङ्ग- ये सप्तर्षि होंगे।

9. नवें मन्वन्तर में जिसके मनु दक्षसावर्णि नामक मनु होंगे उस मन्वन्तर में सवन, द्युतिमान्, भव्य, वसु, मेधातिथि, ज्योतिष्मन् और सत्य सप्तर्षि होंगे।

10. दसवें मन्वन्तर में जिसके मनु ब्रह्मसावर्णि नामक मनु होंगे उस मन्वन्तर में हविष्मान्, सुकृत, सत्य, तपोमूर्ति, नाभाग, अप्रतिमौजा और सत्यकेतु सप्तऋषि होंगे।

11. ग्यारहवाँ मन्वन्तर में जिसके मनु धर्मसावर्णिक नामक मनु होंगे उस मन्वन्तर में निःस्वर, अग्नितेजा, वपुष्मान्, घृणी, आरुणि, हविष्मान् और अनघ सप्तर्षि होंगे।

12. बारहवाँ मन्वन्तर में जिसके मनु रुद्रपुत्र सावणि नामक मनु होंगे उस मन्वन्तर में तपस्वी, सुतपा, तपोमूर्ति, तपोरति, तपोधृति, तपोद्युति तथा तपोधन - ये सात सप्तर्षि होंगे।

13. तेरहवाँ मन्वन्तर में जिसके मनु रुचि नामक मनु होंगे उस मन्वन्तर में निर्मोह, तत्त्वदर्शी, निष्प्रकम्प, निरुत्सुक, धृतिमान्, अव्यय और सुतपा सप्तर्षि होंगे।

14. चौदहवाँ मन्वन्तर में जिसके मनु भौम नामक मनु होंगे उस मन्वन्तर में अग्रिबाहु, शुचि, शुक्र, मागध, अग्निध्र, युक्त और जित- ये सप्तर्षि होंगे।

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