× SanatanShakti.in About Us Home Founder Religion Education Health Contact Us Privacy Policy
indianStates.in

What is tissue in Hindi

ऊतक किसे कहते हैं ?

Author and Copyright - Sadhak Prabhat

बहुकोशिकीय जीवों (multicellular organism) में कोशिकाओं में उनके कार्य के अनुसार श्रम विभाजन (division of labour) एक विशेष लक्षण (characteristics) हैं जो एक कोशिकीय जीवों (unicellular) में नहीं पाया जाता। शरीर में, विशेष कार्यों को करने वाली कोशिकाएं एक साथ समूह में पाई जाती हैं। इन्हीं कोशिकाओं के संगठित स्वरूप को ऊतक कहते हैं। ऊतक संरचना में समान कोशिकाओं का एक समूह है जो एक विशेष कार्य करने के लिए एक साथ काम करते हैं। (A group of cells similar in structure that work together to perform a particular function form a tissue.)

पौधे और जीव अलग प्रकार के विभिन्न ऊतकों से क्यों बने होते हैं?

Why are plants and animals made of different types of tissues?

संरचनात्मक और कार्यात्मक विविधताओं के कारण, पौधों और जीवों में ऊतक विभिन्न प्रकार के होते हैं।
पादप (Plants) और जीव (Animals) विभिन्न प्रकार के जीवधारी (organism) हैं। पौधे स्वपोषी (Autotrophic) जीव हैं। वे प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं। पौधे एक जगह पर हीं स्थिर होते हैं। उन्हें अपने भोजन की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की आवश्यकता नहीं होती है । इससे उन्हें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है। अतः पौधों के अधिकांश ऊतक सहायक (supportive) होते हैं जो उन्हें एक संरचनात्मक शक्ति (structural strength) प्रदान करते हैं। ऐसे अधिकांश ऊतक मृत (dead Tissues) होते हैं जैसे जाइलम (Xylem), फ्लोयम (Phloem), स्क्लेरेनकाइमा (Sclerenchyma) और कार्क (Cork)। ये सभी मृत ऊतकों में जीवित प्रोटोप्लाज्म नहीं पाया जाता।
दूसरी ओर जीव-जंतु परपोषी जीव (heterotrophic organism) हैं। इन्हें अपना भोजन प्राप्त करने के लिए दूसरे जीवों या पादपों पर निर्भर होना पड़ता है। यह अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते। जब कोई जीव अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर करते हैं, परपोषी या विषमपोषी कहलाते हैं। विषमपोषी जीवों को अपने भोजन के तलाश में गमन (चलना) करना पड़ता है, अपने रहने के लिए आश्रय स्थल बनाना या ढूंढ़ना पड़ता है और साथ हीं साथ अपने संतती को बनाए रखने के लिए सहवास (mate) करना पड़ता है। इसके लिए पौधों के मुकाबले बहुत ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः जीवों में अधिकतर जीवित ऊतक (living protoplasm) पाए जाते हैं। अर्थात इनके ऊतकों में जीवित प्रोटोप्लाज्म पाए जाते हैं।

पादप ऊतक (Plant Tissues)

पौधों में ऊतक दो प्रकार के होते हैं -
1. विभज्योतकी ऊतक (Meristematic tissue)
2. स्थायी ऊतक (Parmanent tissue)

विभज्योतकी ऊतक (Meristematic tissue)

पौधों में वृद्धि कुछ निश्चित हिस्सों में हीं होती है। यह वृद्धि विभज्योतक उत्तक के हीं कारण होता है। इसीलिए यह पौधों के वृद्धि वाले हिस्से (Growing Regions) में हीं पाई जाती है।
अतः विभज्योतकी ऊतक को परिभाषित करते हुए हम कह सकते हैैं कि विभज्योतकी ऊतक के अन्तर्गत कोशिकाओं के वे समूह आते हैं जिनमें कोशिकाएं विभाजित हो रही हों या उनमें विभाजित होने की क्षमता हो। ये ऊतक पौधों के वर्धी भागों में मिलते हैं। इन ऊतकों के निरन्तर विभाजन से ही पौधों में वृद्धि होती है। इनमें निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं-
1. इन ऊतकों में सभी कोशिकाएं जीवित, समान आकृति वाली तथा पतली सेल्युलोज- भित्ति वाली होती हैं।
2. ये कोशिकाएं आकृति में गोल, अण्डाकार अथवा बहुभुजीय (polygonal) होती हैं
3. इनमें सधन (घना) जीवद्रव्य (protoplasm), बड़ा केन्द्रक (nucleus) तथा रसधानी (छोटी रिक्तिकाएँ) (vacuoles) होती हैं, अथवा अनुपस्थित होती है।
4. इन कोशाओं के बीच-बीच में अन्तराकोशीय स्थान (intercellular spaces) नहीं होते हैं। ये कोशिकाएं उपापचयी रूप से (metabolically) अत्यधिक क्रियाशील होती हैं।

पौधों में इनकी उपस्थिति के आधार पर विभज्योतक ऊतक तीन प्रकार के हैं -

1. शीर्षस्थ Apical, 2. पार्श्व Lateral, 3. अंतविष्ट Intercalary

1. शीर्षस्थ विभज्योतक ऊतक (Apical Meristems Tissue) यह पौधे का वह क्षेत्र है जहां हमेशा सक्रिय (active) रूप से कोशिकाओं में विभाजन होता रहता है। यह जड़ और तने को लंबा करता है। इसके परिणामस्वरूप पौधे की ऊँचाई में वृद्धि होती है, जिसे प्राथमिक वृद्धि कहते हैं।
यह टिशू पौधे में तना एवं जड़ के वृद्धि करने वाले सबसे ऊपरी भाग पर अवस्थित होता है तथा इनकी लंबाई में वृद्धि करता है। जैसे प्ररोह शीर्ष (Shoot Apex) और जड़ शीर्ष (Root Apex)। इसके साथ ही या पत्ती के अग्रभाग (apices of the leaf) पर भी पाया जाता है।
[ Note: Shoot Apex वहां पाए जाते हैं जहां शाखा, नई पत्तियाँ या फूल - फल निकलते हैं और apical meristemes के कारण तेजी से फैलते हैं। जड़ से ऊपर के भाग को प्ररोह (Shoot) कहते हैं।) ]

2. पार्श्व विभज्योतक ऊतक (Lateral Meristems Tissue ) - इसे कैंबियम (Cambium) भी कहते हैं। कैंबियम हीं वह क्षेत्र है जो पेड़ पौधों के परिधि (thikness) में वृद्धि के लिए जिम्मेदार है। यह पेड़ पौधों के तना या जड़ के व्यास (diameter) और परिधि (girth or perimeter - घेरा) में वृद्धि का कारण बनता है। इसे द्वितीयक वृद्धि कहते हैं। उदाहरण के लिए, कॉर्क कैम्बियम (Cork Cambium) या फेलोजेन (Phellogen) बाहर की तरफ एक सुरक्षात्मक कॉर्क और अंदर के तरफ द्वितीयक कॉर्टेक्स ऊतक बनाता है।
पार्श्व विभज्योतक ऊतक पेड़ के छाल (bark - जिसे कार्क कैंबियम (Cork Cambium) भी कहते हैं) के ठीक नीचे पाया जाता है तथा द्विबीजपत्री जड़ (dicot root) और तना (stems जिसे वस्कूलर कैंबियम (vascular Cambium) भी कहते हैं) के संवहनी बंडल (vascular bundles) में पाया जाता है । यह ऊतक बहुत पतले स्तर (thin layer) में पाया जाता है।
(Note - संवहनी बंडल (vascular bundles) जाइलम (xylem) और फ्लोएम (phloem) तथा कैंबियम से मिलकर बने होते हैं तथा पेड़ों में परिवहन (Transportation) का कार्य करते हैं।)

3. अंतविष्ट विभज्योतक ऊतक (Intercalary Meristems Tissue) - यह ऊतक पत्तियों के आधार (base of leaves) में या टहनियों के पर्व (internodes - जहां से पत्तियाँ उगती है उन दो गाँठों के मध्‍य के पेड़ के तने का भाग, e.g. steams of grasses and other monocots) के दोनों ओर उपस्थित होते हैं तथा उनकी लंबाई में वृद्धि करता है।
विभज्योतक ऊतक (Meristems Tissue) के कार्य -
1. विभज्योतक ऊतक मूल ऊतक के रूप में कार्य करता है जिससे अन्य ऊतक विकसित होते हैं।
2. ये ऊतक नई कोशिकाओं के निर्माण द्वारा वृद्धि में भाग लेते हैं।
3. विभज्योतक की सहायता से पौधे नई पत्तियाँ, तने की शाखाएँ और जड़, फूल, फल और जड़ रोम उत्पन्न करते रहते हैं।
4. विभज्योतकों द्वारा नई कोशिकाओं के निर्माण से पौधों में चोट का स्थान भर जाता है।
5. हवा के दबाव के कारण झुकने या एक-दूसरे में फंसने ख कारण टेढ़ी हुई पौधों की टहनियों को इंटरक्लेरी मेरिस्टेम ऊतक के मदद से फिर से सीधा बढ़ने लगते हैं।

पौधे और जंतु ऊतक के बीच अंतर (Difference between plant and animal tissue)

1. पौधों में जीवित ऊतकों की तुलना में मृत सहायक ऊतक अधिक प्रचुर मात्रा में होते हैं। जबकि बहुकोशिकीय जंतुओं में मृत ऊतकों की तुलना में जीवित ऊतक अधिक पाए जाते हैं।
2. पौधों के ऊतकों को कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जबकि बहुकोशिकीय जंतुओं के ऊतकों को सेल ऑर्गेनेल का रखरखाव, उनका उचित कार्य और संचलन आदि बढ़ावा देने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
3. पौधों में विभज्योतक और स्थायी ऊतकों में विभेद होता है जबकि जंतुओं में विभज्योतक और स्थायी ऊतकों में ऐसा विभेद नहीं होता है।
4. विभज्योतक ऊतकों की सक्रियता के कारण पौधे जीवन भर बढ़ते रहते हैं। जबकि जंतु परिपक्वता तक पहुँचने के बाद वृद्धि नहीं दिखाते हैं। हालाँकि, क्षति-पूर्तिकारी वृद्धि (reparative growth) होती रहती है।
5. पादप ऊतकों का बनावट सरल है। जबकि जंतु के ऊतकों का बनावट अधिक विशिष्ट और स्थानीय अंगों (localised organ)और अंग प्रणालियों (organ systems) के विकास के साथ जटिल है।
6. पादप ऊतक बनावट पौधों की स्थिरता (पौधे गतिशील नहीं होते) के अनुसार होता है। जबकि जंतुओं में ऊतकों का बनावट (tissue organisation) जंतु की उच्च गतिशीलता के अनुकूल है।

For Class 8, 9,10,11,12 and for Competitive Examination

www.indianstates.in

***********

Name of the Article- indianstates.in