Male reproductive system in Hindi
What do you understand by reproductive system in male?
पुरुष में प्रजनन प्रणाली से क्या समझते हैं?
मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम में निम्नलिखित अंग होते हैं- 1. वृषण (Testes टेस्टिस) 2. अंडकोश की थैली (scrotal sac) 3. अधिवृषण (epididymis इपिडिडेमिस) 4. स्पर्म डक्ट्स (sperm ducts) 5. सेमिनल वेसिक्लिस (seminal vesicles) 6. शिश्न (penis पेनिस)
1. वृषण (Testes टेस्टिस)- यह ओवल के आकार का अंग (ऑरगेन) होता है जो एब्डोमिनल कैविटी के बाहर अवस्थित होता है। नर में दो वृषण पाए जाते हैं। मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम का मुख्य अंग यही टेस्टिस है जहां स्पर्म (मेल सेक्स सेल जिसे मेल गैमेट भी कहते हैं) एवं मेल सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन (testosterone) का निर्माण होता है। टेस्टिस लाखों शुक्राणु का निर्माण करता है। टेस्टिस यानी वृषण के अंदर कुंडलित आकार के seminiferous tubules पाए जाते हैं जो स्परमाटोजैनेसिस (spermatogenesis.) की प्रक्रिया द्वारा मेल सेक्स सेल स्पर्म का उत्पादन करता है। seminiferous का अर्थ होता है वीर्योत्पादक एवं spermatogenesis का अर्थ होता है शुक्राणुजनन।वृषण को हीं अंडकोष भी कहते हैं।
2. अंडकोष की थैली (Scrotum or scrotal sac) - यह ढीला-ढाला थैलीनुमा संरचना है जो आवश्यकता के अनुसार फैलता एवं सिकुड़ता है। इसीमें दोनों वृषण सुरक्षित रहते हैं। इसका एक बेहद महत्वपूर्ण कार्य तापमान को नियंत्रित करना है। स्पर्म को विकास के लिए शरीर के तापमान (body temperature) से कम तापमान की आवश्यकता होती है। इसी कारण से वृषण शरीर के बाहर अंडकोष की थैली में अवस्थित होता है। जब यह सिकुड़ कर शरीर से सटता है तो तापमान बढ़ जाता है इससे सेक्सुअली एक्टिव होने में सहायता मिलती है। जब यह फैल कर लटकता है तो वृषण की शरीर से दूरी बढ़ जाती है और स्पर्म के विकास के लिए उचित माहौल मिल जाता है।
3. अधिवृषण - अधिवृषण या एपिडिडीमिस (epididymis) कुंडलित नलिका (coiled tube) होती है जो अण्डकोष (testicle) को शुक्रवाहिका से जोड़ती है। शुक्राणु अंडकोष में बनने के बाद एपिडिडीमिस में हीं जमा (store) होता है। जब शुक्राणु अंडकोष में बनता है तो अपरिपक्व होता है अर्थात डिंब को निषेचित करने योग्य नहीं होता। शुक्राणु निषेचन योग्य एपिडिडीमिस में हीं होता है। कामोत्तेजना के दौरान जब अंडकोष की थैली में संकुचन होता है तब उस दबाव से शुक्राणु एपिडिडीमिस से वास डिफेरेंस (Vas deferens) में जाता है। वास डिफरेंस को स्पर्म डक्ट ( sperm duct) भी कहते हैं।
4. स्पर्म डक्ट ( sperm duct) - स्पर्म डक्ट को वास डिफरेंस भी कहते हैं। यह एक लंबी पेशीय नली ( muscular tube) है जो एपिडिडीमिस से यूरेथ्रा (urethra) को जोड़ती है। इसका कार्य परिपक्व शुक्राणु (sperm) को वीर्य (semen) के रूप में यूरेथ्रा में पहुंचाना है।
5. सेमिनल वेसिक्लिस (seminal vesicles) - यह थैलीनुमा संरचना है जो स्पर्म डक्ट से यूरेनरी ब्लाडर के आधार के पास जुड़ता है। इसका कार्य प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate gland) एवं बल्बौरेथ्रल ग्रंथियां या काउपर ग्रंथियां (bulbourethral glands or Cowper's glands) के साथ मिलकर वीर्य (semen) का निर्माण करना होता है। सेमिनल वेसिक्लिस शर्करा से भरपूर फ्रुक्टोज (fructose) नामक तरल पदार्थ बनाता है जो शुक्राणु को ऊर्जा का स्रोत प्रदान करता है एवं उसकी गतिशील रहने की क्षमता को बढ़ाता है। वीर्य जो गाढ़ एवं चिकना पदार्थ होता है उसका अधिकांश भाग सेमिनल वेसिक्लिस में हीं बनता है।
6. शिश्न (Penis) - शिश्न को लिंग भी कहते हैं। इसका उपयोग पेशाब करने एवं शारीरिक संबंध बनाने के लिए होता है । लिंग (Penis) अंडकोष (scrotum) के ऊपर स्थित होता है। यह स्पंजी ऊतक (spongy tissue) और रक्त वाहिकाओं (blood vessels) से बना होता है।लिंग का शाफ्ट (body or shaft) मूत्रमार्ग (urethra) से घिरा होता है और प्यूबिक बोन (pubic bone) से जुड़ा होता है। इसके तीन भाग होते हैं - क. रूट (Root) - यह भाग पेट की दीवार से जुड़ा होता है। ख. शरीर या शाफ्ट (The body or shaft) - यह एक एक ट्यूब या सिलेंडर के आकार का होता है। यह तीन आंतरिक चैम्बर्स का बना होता है। इन चैम्बर्स के अंदर एक विशेष, स्पंज जैसा स्तंभन ऊतक (erectile tissue) होता है जिसमें हजारों बड़े स्थान होते हैं जो यौन उत्तेजना के दौरान रक्त से भर जाते हैं। जैसे ही लिंग रक्त से भरता है, यह कठोर और सीधा हो जाता है। लिंग की त्वचा ढीली और लोचदार होती है, जिससे कठोर और सीधा होने (erection इरेक्शन) के दौरान लिंग के आकार में परिवर्तन संभव हो पाता है। ग. शिश्नमुंड (The glans) - शिश्नमुंड लिंग का सिर है जो शंकु के आकार का होता है। प्रीपुस चमड़ी (foreskin or Prepuce) शिश्न के शिश्नमुंड (ग्लान्स पेनिस glans penis) को ढकती है। प्रीपुस (Prepcue) का अर्थ शिशन के मुख पर खुली त्वचा होती है। मूत्रमार्ग (urethra) जो वीर्य और मूत्र दोनों को शरीर से बाहर ले जाती है - ग्लान्स पेनिस (Glans penis) की नोक पर हीं खुलती है जिससे वीर्य और मूत्र दोनों बाहर निकलते हैं।
7. इजेकुलेटरी डक्ट (Ejaculatory ducts)- ये नलिकाएं वास डिफेरेंस (Vas deferens) और सेमिनल वेसिक्लिस (seminal vesicles) के आपस में जुड़ने से बनती हैं। आपस में प्रोस्टेट ग्रंथि के ठीक पीछे जुड़ती है, चित्र में देखें| इजेकुलेटरी डक्ट (स्खलन नलिकाएं) मूत्रमार्ग में खाली हो जाती हैं।
8. यूरेथ्रा (Urethra) - इसका कार्य यूरेनरी ब्लाडर से मूत्र को शरीर से बाहर ले जाना है। नर में इसका एक अतिरिक्त कार्य यह है कि वीर्य इसी के माध्यम से शरीर से बाहर निकलता है। जब लिंग कठोर और सीधा (erect) होता होता है, तो मूत्र का प्रवाह मूत्रमार्ग से अवरुद्ध हो जाता है, जिससे चरम उत्तेजना के समय केवल वीर्य का स्खलन होता है।
What is Formation of zygote and what is fertilized ovum. in Hindi For Class 8, 9,10 and for Competitive Examination
Function of वृषण Testes टेस्टिस अंडकोश की थैली scrotal sac अधिवृषण epididymis इपिडिडेमिस स्पर्म डक्ट्स sperm ducts सेमिनल वेसिक्लिस seminal vesicles शिश्न penis पेनिस इजेकुलेटरी डक्ट Ejaculatory ducts यूरेथ्रा Urethra
For Class 8, 9,10,11,12 and for Competitive Examination
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