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Sperm - its structure and functions in Hindi

शुक्राणु (स्पर्म) किसे कहते हैं और इसकी संरचना एवं कार्य क्या हैं?

Author and Copyright - Sadhak Prabhat

नर के सेक्स सेल (प्रजजन कोशिका) को स्पर्म यानी शुक्राणु कहते हैं। इसका कार्य मादा के अंडाणु को निषेचित कर नए जीव के जन्म की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना है। यही निषेचित अंडाणु जिसे जाइगोट कहते हैं, पहले भ्रूण (embryo) बनता है। फिर विकसित भ्रूण (fetus)। और फिर पूर्ण विकसित हो कर बच्चे के रूप में जन्म लेता है।

शुक्राणु की संरचना -

शुक्राणु की कोशीका काफी छोटी होती है एवं इसे हम माइक्रोस्कोप की सहायता से ही देख पाते हैं। स्पर्म की लंबाई 0.05 mm होती है। मादा का अंडाणु आकार में शुक्राणु से बड़ा होता है। किसी एक शुक्राणु में गुणसूत्रों की संख्या 22 + X या 22 + Y होती है। यानी एक शुक्राणु में या तो X क्रोमोसोम होता है या Y क्रोमोसोम होता है। X क्रोमोसोम या Y क्रोमोसोम दोनों एक साथ किसी एक शुक्राणु में कभी नहीं पाए जाते। एक व्यस्क नर में एक दिन में 10¹² से 10¹³ शुक्राणु एक दिन में बनते हैं और उनमें X क्रोमोसोम या Y क्रोमोसोम का बंटवारा औसतन आधा-आधा होता है।

शुक्राणु तीन भागों में बंटा एक एकल कोशीका होता है जिसमें किसी कोशीका में आमतौर पर पाए जाने वाले सभी तत्व जैसे न्यूक्लियस, साइटोप्लाजम, प्लाज्मामेम्ब्रेन, माइटोकॉन्ड्रिया पाए जाते हैं। बनावट के दृष्टिकोण से शुक्राणु के तीन भाग हैं, सिर, मध्य भाग एवं पूंछ। -

सिर (Head) - इसके सिर वाले भाग में सबसे किनारे प्लाज्मा मेम्ब्रेन होता है फिर थोड़ी मात्रा में साइटोप्लाज्म होता है। सिर के बीच में न्यूक्लियस पाया जाता है जो कि बेहद कस कर भरा हुआ होता है। न्यूक्लियस में हीं 23 क्रोमोसोम पाए जाते हैं जिसमें सारे आनुवांशिक गुण मौजूद रहते हैं। सिर के सबसे ऊपरी भाग में एक्रोसोम (Acrosome) होता है जो स्पर्म लाइसिन (sperm lysine) नामक प्रोटीन युक्त एंजाइम स्रावित करता है। यह एंजाइम निषेचन के समय अंडाणु के कवच को तोड़कर उसके अंदर प्रवेश करने में सहायता करता है।

शुक्राणु के मध्य भाग में सिर के ठीक नीचे से सेंट्रीओल्स (centrioles) पाए जाते हैं जिनका कार्य शुक्राणु के सिर एवं पूंछ को आपस में जोड़े रखना तथा यह श्वसन प्रक्रिया को नियंत्रित करना है। सेंट्रीओल्स के नीचे माइटोकॉन्ड्रिया (mitochondria) पाया जाता है जिसका कार्य शुक्राणु को ऊर्जा प्रदान करना है। इसी ऊर्जा की मदद से शुक्राणु निषेचन के समय आवश्यक गति कर पाता है।

शुक्राणु के अंतिम भाग को पूंछ कहते हैं जो कोशिका द्रव्य से बना हुआ एक लंबी संरचना होती है जिसे कशाभिका (flagellum) कहते हैं। पूरे शुक्राणु की संरचना का 90% भाग यह पूंछ हीं होता है। शुक्राणु इसी कशाभिका (flagellum) की सहायता से तरल माध्यम में चाबुक की तरह गति करते हैं जिसे शुक्राणु हमेशा आगे की ओर हीं गति करता है, पीछे की ओर नहीं लौटता।

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