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माघ अमावस्या व्रत

Mauni Amavasya Magh Amavasya Vrat

माघ अमावस्या का महत्व Mauni Amavasya Magh Amavasya
 

मौनी अमावस्या माघ अमावस्या

आलेख © कॉपीराइट - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

माघ अमावस्या शुभ मुहूर्त

माघ माह की अमावस्या 9 फरवरी 2024, शुक्रवार को सुबह 08 बजकर 02 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 10 फरवरी शनिवार को प्रात: 04 बजकर 28 मिनट पर होगी। इस तिथि की समाप्ति अगले दिन अमावस्या तिथि 10 फरवरी को सूर्योदय पूर्व ही समाप्त हो जा रही है, इस वजह से उदया तिथि से मौनी अमावस्या 9 फरवरी शुक्रवार को मनाई जाएगी।

माघ मास की अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या कहते हैं माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होती है। मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या, माघ अमावस या माघ अमावस्या के नाम से भी जानते हैं। यह योग पर आधारित महाव्रत है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर इसी कारण भक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर गंगा स्नान व ध्यान करते है। प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले में मौनी अमावस्या का स्नान सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

मौनी अमावस्या पर स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है, पाप मिटते हैं। पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि करने से जीवन में सुख और शांति आती है। इस अमावस्या तिथि को 'मौनी' कहने के पीछे यह मान्यता है कि इसी पावन तिथि पर मनु ऋषि का जन्म हुआ था और मनु शब्द से इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाने लगा। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन मौन रहकर ईश्वर की साधना की जाती है, इसलिए इसे मौनी अमावस्या कहते हैं।

मौनी अमावस्या 2024 मुहूर्त एवं योग


मौनी अमावस्या वाले दिन पवित्र नदियों में ब्रह्म मुहूर्त से ही स्नान प्रारंभ हो जाएगा। मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05:21 एएम से सुबह 06:13 एएम तक है। इसके अलावा सुबह 07 बजकर 05 मिनट से पूरे दिन स्नान, दान और पूजा के लिए शुभ समय है।

मौनी अमावस्या के दिन का शुभ मुहूर्त यानि अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक है। उस दिन का सूर्योदय 07:05 एएम पर होगा और सूर्यास्त 06:06 पीएम पर होगा। मौनी अमावस्या पर श्रवण नक्षत्र प्रात:काल से रात 11:29 पीएम तक है।

सर्वार्थ सिद्धि योग में मौनी अमावस्या 2024
मौनी अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 05 मिनट से बन रहा है, जो रात 11 बजकर 29 मिनट तक है। यह एक शुभ योग है। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए दान, पूजा पाठ का पूर्ण फल प्राप्त होता है। उस दिन व्यतीपात योग भी बन रहा है, जो सुबह से शाम 07:07 बजे तक है।

मौनी अमावस्या का महत्व

माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में होता है,तब तीरथपति यानि प्रयागराज में देव,ऋषि,किन्नर और अन्य देवतागण तीनों नदियों के संगम में स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत धारण कर प्रभु का स्मरण करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है,प्राणी की आध्यात्मिक ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। पुराणों के अनुसार इस दिन सभी पवित्र नदियों और पतितपाविनी माँ गंगा का जल अमृत के समान हो जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता समान है। मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान, पुण्य तथा जाप करने चाहिए,ऐसा करने से उसके पूर्वजन्म के पाप दूर होते हैं। मान्यता है कि इस दिन पीपल के वृक्ष तथा भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करना विशेष फलदाई है। इस तिथि को मौन एवं संयम की साधना,स्वर्ग एवं मोक्ष देने वाली मानी गई है। यदि किसी व्यक्ति के लिए मौन रखना संभव नहीं हो तो वह अपने विचारों को शुद्ध रखें मन में किसी तरह की कुटिलता का भाव नहीं आने दें।

मौनी अमावस्या कथा

प्राचीन काल में कांचीपुर में एक बहुत सुशील गुणवती नाम की कन्या थी। विवाह योग्य होने पर उसके पिता ने जब ज्योतिषी को उसकी कुंडली दिखाई तो उन्होंने कन्या की कुंडली में वैधव्य दोष बताया। उपाय के अनुसार गुणवती अपने भाई के साथ सिंहल द्वीप पर रहने वाली सोमा धोबिन से आशीर्वाद लेने चल दी।दोनों भाई-बहन एक वृक्ष के नीचे बैठकर सागर के मध्य द्वीप पर पहुंचने की युक्ति ढूंढ़ने लगे। वृक्ष के ऊपर घौसले में गिद्ध के बच्चे रहते थे ।शाम को जब गिद्ध परिवार घौंसले में लौटा तो बच्चों ने उनको दोनों भाई-बहन के बारे में बताया। उनके वहां आने कारण पूछकर उस गिद्ध ने दोनों को अपनी पीठ पर बिठाकर अगले दिन सिंहल द्वीप पंहुचा दिया।वहां पहुंचकर गुणवती ने सोमा की सेवा कर उसे प्रसन्न कर लिया। जब सोमा को गुणवती के वैधव्य दोष का पता लगा तो उसने अपना सिन्दूर दान कर उसे अखंड सुहागिन होने का वरदान दिया। सोमा के पुण्यफलों से गुणवती का विवाह हो गया वह शुभ तिथि मौनी अमावस्या ही थी।

माघ अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए ?

मौनी अमावस्या के दिन आर्थिक स्थिति को मजबूत करने एवं जीवन में हर मोड़ पर सफलता, सुख, समृद्धि पाने लिये निम्न कार्य करें -

1. मौनी अमावस्या के दिन तेल का दान, शिव जी का अभिषेक, पितरों का तर्पण आदि धार्मिक कार्य बहुत फलदायी माने गए हैं। इससे साधर की सात पीढ़ियां तर जाती है। वंश फलता फूलता है।

2. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।

3 . अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें।

4. इस दिन मौन रखा जाता है। मौन रखने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। ऊर्जा का संचय होता है। आप अपने आप को समझ पाते हैं एवं आत्म केंद्रित होते हैं। अपनी आत्मा का साक्षात्कार होता है। मनचाहा फल प्राप्त होता है। जिन लोगों ने मौनी अमावस्या पर मौन व्रत धारण किया है वह इस दिन कुछ भी नहीं बोलें। एकांत में रहकर मुनियों जैसा आचरण करें, साथ ही विचारों में भी शुद्धता रखें। तभी ये फल देगा। तामसिक भोजन न खाएं। इससे दोष लगता है।

5. इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें। मौनी अमावस्या पर पीपल में दूध, जल, काले तिल अर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं। इस दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितृ दोष निवारण यंत्र स्थापित करना चाहिए। ये यंत्र पितृ दोष के दुष्प्रभावों में कमी लाने के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसके प्रभाव से धन, संतान, पारिवारिक जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती है।

6. शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने एवं शनि की महादशा के चलते आ रही बाधा को दूर करने के लिए शनि रक्षा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं जीवन में आर्थिक स्थिति बेहतर होती है।

मौनी अमावस्या पर क्या न करें -

1. अमावस्या पूवर्जों को समर्पित है, ये पूर्वजों को याद करने का दिन है। इसलिए ब्रह्मचर्य का पालन करें, कोई नया कार्य, मांगलिक काम या फिर भूमि, वाहन, आदि न खरीदें।
2. मौनी अमावस्या पर चंद्रमा लुप्त होता है, नकारात्मक शक्तियां सक्रिय होती है। ऐसे में इस दिन कहीं अकेले सुनसान जगह न जाने का सलाह दी जाती है ताकि असुरी - नकारात्मक शक्तियों से बचाव हो सके।

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