परशुराम जयन्ती
Akshayatritiya Vrat
परशुराम जयन्ती
परशुराम जयन्ती (Parshuram Jayanti) पर भगवान विष्णु के छठवें अवतार परशुरामजी के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस दिन अक्षय तृतीया का पर्व भी मनाया जाता है। इस वर्ष 10 मई 2024 को परशुराम जयंती है।
पुराणों में 8 चिरंजीवी महापुरुषों का वर्णन किया गया जिनमें- हनुमान जी, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, भगवान परशुराम, ऋषि मार्कंडेय, राजा बलि, महर्षि वेदव्यास और विभीषण शामिल हैं।
अश्वत्थामा बलिव्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
परशुरामजी का जन्म
परशुरामजी का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था, अतः यह प्रदोषव्यापिनी ग्राह्य होती है। यदि दो दिन प्रदोषव्यापिनी हो तो दूसरा व्रत करना चाहिये। व्रत के दिन प्रातः स्नान के अनन्तर निम्न संकल्प करें -
परशुराम जयन्ती का संकल्प
ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः । ॐ अद्य ब्रह्मणो द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे बौद्धावतारे भूर्लोके जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे - (अपने नगर/गांव का नाम लें) - नगरे/ ग्रामे विक्रम संवत 2081 पिंगल नाम संवत्सरे वैशाख मासे शुक्ल पक्षे तृतीया तिथौ ... वासरे (दिन का नाम जैसे रविवार है तो "रवि वासरे ")..(अपने गोत्र का नाम लें) ... गोत्रोत्पन्न ... (अपना नाम लें)... शर्मा / वर्मा / गुप्तोऽहम् मम ब्रह्मत्वप्राप्तिकामनया परशुरामपूजनमहं करिष्ये।
यह संकल्प करके सूर्यास्त तक मौन रखे और सायंकाल में पुनः स्नान करके परशुरामजी का पूजन करे।
अब निम्न मंत्र से अर्घ्य दें -
जमदग्निसुतो वीर क्षत्रियान्तकर प्रभो।
गृहाणार्घ्य मया दत्तं कृपया परमेश्वर ।।
इस मन्त्र से अर्घ्य देने के पश्चात् अब रात्रि भर राममन्त्र का जप करें ।
भगवान परशुराम के रोचक तथ्य -
1. भगवान विष्णु ने पापी, विनाशकारी तथा अधार्मिक राजाओं का विनाश कर पृथ्वी का भार हरने हेतु परशुराम जी के रूप में छठवाँ अवतार धारण किया था। भगवान परशुराम के बचपन का नाम राम था। लेकिन एक बार उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें परशु नामक अस्त्र वरदान के रूप में दिया था। तब से उन्हें परशुराम के नाम से जाना जाने लगा।
2. . भगवान परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए, अपनी मां रेणुका का मस्तक काटकर धड़ से अलग कर दिया था। अपने पुत्र के कर्तव्य निष्ठा को देखकर महर्षि जमदग्नि ने वरदान मांगने के लिए कहा। तब भगवान परशुराम ने वरदान स्वरूप अपनी माता का जीवन पुनः मांग लिया था।
3. . महाभारत काल में कर्ण ने झूठ बोलकर भगवान परशुराम से शिक्षा ग्रहण की थी। कर्ण ने स्वयं को ब्राह्मण बताकर परशुराम भगवान से अस्त्र-शस्त्र की विद्या ग्रहण की। जब उन्हें इस झूठ का पता चला, तब कर्ण को यह श्राप दिया कि वह समय आने पर अपनी सभी विद्या भूल जाएगा और इसी कारण महाभारत के युद्ध में अर्जुन के हाथों कर्ण का वध हुआ था।
4. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अन्य सभी अवतारों के विपरीत, परशुराम जी वर्तमान में भी पृथ्वी पर ही निवास करते हैं।
5. दक्षिण भारत में, उडुपी के पास पवित्र स्थान पजाका में, एक प्रमुख मन्दिर स्थित है जो परशुराम जी को समर्पित है। भारत के पश्चिमी तट पर भगवान परशुराम को समर्पित अनेक मन्दिर अवस्थित हैं।
6. कल्कि पुराण में वर्णित है कि, परशुराम भगवान विष्णु के 10वें एवं अन्तिम अवतार श्री कल्कि को शस्त्र विद्या प्रदान करने वाले गुरु होंगे।