What is difference between Rudra and Shiva?
रुद्र और शिव में क्या अंतर है?
Shiva is the human form of Rudra see in English
वेदों में रुद्र का वर्णन है। पुराणों में शिव का। रूद्र का मानव रूप ही शिव है। ऋग्वेद में रुद्र का वर्णन है। इनको हिरण्यगर्भ (अग्नि) के रूप में इस सृष्टि का रचयिता माना गया है। ऋग्वेद के ऋचाओं में इनसे आयु एवं स्वास्थ्य एवं अपनी जीवन की रक्षा की कामना की गई है। पुराणों में ब्रह्म के प्रकृति को मानव रुप दिया गया है ताकि सरल ढंग में भी सामान्य समाज समझ सके। मानव रूप में शिव आधार हैं शक्ति के प्रयोग का। शिव इसीलिए काली के नीचे लेटे हैं ताकि संहार शक्ति का प्रयोग कल्याण के लिए हो। पुराण खासकर महिलाओं एवं कम पढ़े लिखे लोगों जो संस्कृत के जानकार नहीं थे (जिसे आप शूद्र कहते हैं), को ध्यान रख रचा गया। पुराणों की रचना इस बात की साक्षी है कि सनातनी व्यवस्था इस वर्ग के लिए भी सकारात्मक सोच के साथ जागरूक था। समाज वैसा नहीं था जैसा वामपंथी एवं हिंदू विरोधी इतिहासकार ने अपने लेखन में दिखाया है। ग्यारह रुद्र ग्यारह संस्कृतियों में प्रचलित शिव का सनातन संस्कृति में समापन है। हमारे यहां किसी भी संस्कृति को नष्ट करने की परंपरा नहीं रही है अपितु उनको हम अपने साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं। वेद के तीन पद्धति हैं, ज्ञान मार्ग, उपासना मार्ग एवं कर्मकांड। ब्राह्मणओं ने कर्मकांड को अपने लिए आरक्षित रखा। बाकी ज्ञान एवं उपासना पर सभी का अधिकार माना।
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