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रुद्रों के तथ्य

रूद्र शैव-शाक्त परंपरा के हैं | रूद्र लोग एकेश्वरवादी होते हैं।

  1. रुद्र मंदिरों में अनिवार्य रुप से काला शिवलिंग एवं महाकाली की स्थापना होती है। साधना कक्ष में अर्द्धनारीश्वर स्थापित होते हैं। आराधना का सरलतम रुप है। कर्मकांड पर जोर नहीं होता। भक्त और ईश्वर क बीच मानसिक एकता की आवश्यकता होती है। अतः कहीं भी किसी अवस्था में भी निष्कल महादेव की आराधना फलदायक है।
  2. सभी रुद्र अपने नाम के आगे रुद्र लगाते हैं।
  3. इनमें मौन साधना पर बल होता है। धार्मिक आयोजनों में शोर से बचा जाता है। शांत वातावरण पर बहुत जोर है।
  4. इसमें सिर तो मुंडाते हैं, लेकिन चोटी नहीं रखते।
  5. इनके अनुष्ठान रात्रि में होते हैं।
  6. रूद्र चंद्र पर आधारित व्रत उपवास करते हैं।
  7. माता पिता की शिव एवं शक्ति के रूप में प्रतिष्ठा करना। प्रत्येक मासशिवरात्रि को अनिवार्य रूप से उनकी आरती द्वारा पूजन करना।
  8. हमारी अगाध आस्था है कि सभी मनुष्य बराबर है एवं हर एक रुद्र है। अतः रुद्रों में भेदभाव के लिए जगह नहीं है। सब रुद्र हैं।
  9. खुद आराध्य शिव जब बिना किसी जाति-गोत्र के हैं तो उनके संतान भी अपने परमपिता की तरह सिर्फ़ रुद्र हीं होंगे।

सादर निवेदित -
प्रभात कुमार
संस्थापक
www.samyaksamaj.com

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