शीतला महामंत्र
Shitala Mahamantra
श्री शीतला महामंत्र
शीतला अष्टमी को शीतला माता की पूजा से चेचक, कुष्ठ रोग, दाह, ज्वर, पीतज्वर, फोड़े तथा अन्य चर्मरोगों से मुक्ती मिलाती है। नीचे शीतला माता का महामंत्र दिया जा रहा है जिसके जाप से साधक का कल्याण होता है।
शीतला पौराणिक महामंत्र -
ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः
माता शीतला का यह पौराणिक मंत्र ''ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः'' भी प्राणियों को सभी संकटों से मुक्ति दिलाते हुए समाज में मान-सम्मान, पद एवं गरिमा की वृद्धि कराता है। उनके घर-परिवार की सभी विपत्तियों से रक्षा करती हैं।
शीतला माता का स्तवन -
शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता।
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः।।
अर्थात् - हे माता शीतला! आप ही इस संसार की आदि माता हैं, आप ही पिता हैं और आप ही इस चराचर जगत को धारण करतीं हैं, अतः आप को बारंबार नमस्कार है।
माता शीतला का ध्यान वंदना मंत्र -
वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।
मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।
अर्थात्, मैं गर्दभ पर विराजमान, दिगंबरा, हाथ में झाड़ू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की वंदना करता हूं।