उत्तम दूध देनेवाली गाय (दुधारू गौ माता) की पहचान कैसे करें।
गौ-माता, पंचगव्य और गोमूत्र से होने वाले लाभ की जानकारी जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से निर्मित वेब पेज, गो-सेवा को समर्पित।
देशी गाय के मौर्य (Hump) में सूर्य नाड़ी होती है जो सूर्य की किरण पड़ने पर सक्रिय हो जाती है और स्वर्ण धातु का निर्माण करती है।
हंप सूर्य किरण को अवशोषित करती है जिससे स्वर्ण का निर्माण होता है। गाय के दूध में पीलापन स्वर्णतत्व के कारण होता है। गीर गाय का सर्वश्रेष्ठ नस्ल है।
दूध देनेवाली गौ के शरीर पर मांस अधिक नहीं होता, क्योंकि वह जो कुछ खाती है, उससे दूध ही अधिक निर्माण होता है।
गौ की आकार कंधोंसे लेकर पूँछतक उसकी लम्बाई काफी होनी चाहिये। पीठ लचकी हुई न हो, मेरुदण्ड ऊपर उठा हुआ हो और उसके मनके अलग-अलग दिखायी दें। पेटका घेरा जितना ही बड़ा होगा, उतना ही वह अधिक खानेवाली होगी और उतना ही दूध भी अधिक देगी।
गौ दुधारू है या नहीं, इसकी पहचान कैसे करें?
गौ दुधारू है या नहीं, इस विषय की जानकारी निम्न प्रकार से कर सकते हैं -
1. गौ की बगलमें खड़े होकर देखना -
गौ की बगलमें खड़े होकर देखनेसे पहले उसका आकार देख पड़ेगा। कंधों से लेकर पूँछ तक उसकी लम्बाई काफी होनी चाहिये। पीठ लचकी हुई न हो, मेरुदण्ड ऊपर उठा हुआ हो और उसके मनके अलग-अलग दिखायी दें। पेट का घेरा जितना ही बड़ा होगा, उतना ही वह अधिक खानेवाली होगी और उतना ही दूध भी अधिक देगी। यह ध्यान में रहे कि कम खाकर अधिक दूध देनेवाली गौ की सृष्टि अभी तक नहीं हुई है। पेट की पसलियाँ जब उठी हुई और फैली हुई होती हैं, तब पेट में चारा-पानी के लिये अधिक अवकाश होता है। दूध देनेवाली गौ के शरीर पर मांस अधिक नहीं होता, क्योंकि वह जो कुछ खाती है, उससे दूध ही अधिक निर्माण होता है। हाँ, गाभिन होने पर पौष्टिक पदार्थ खाने को मिलें तो वह अवश्य ही पुष्ट होती है। गौ के बदन पर हाथ फेरकर देख लेना चाहिये। यदि खाल मुलायम और पतली हो तो यह अच्छा लक्षण है; यदि खाल मोटी हो तो यह समझना चाहिये कि रक्ताभिसरण ठीक नहीं हो रहा है । और रोएँ घने हों तो समझना चाहिये कि इसकी परवरिश ठीक तरह से नहीं हो रही है और इसका स्वास्थ्य अच्छा नहीं है।
2. पीठके पीछे खड़े होकर देखना -
पीठ के पीछे खड़े होकर गौ की ओर देखने से पेट का भराव दिख पड़ता है। पुट्ठों और नितम्बों की चौड़ाई सामने आ जाती है। पुट्ठों का चौड़ा होना यह सूचित करता है कि गर्भाशय में गर्भ का पोषण ठीक तरह से हो रहा है। गौ के थन का पिछला भाग और चूँचियाँ भी यहाँ से दिख पड़ते हैं। गौ की जाँघे भरी हुई और दोनों जाँघों के बीच काफी अन्तर होना चाहिये जिसमें थन के समाने के लिये पूरा अवकाश हो।
3. पेटके नीचे से देखना -
गाय के पेट पर दूधवाली शिरा होती है। यह थन की ओर रक्त पहुँचानेवाली रक्तवाहिनी है। यह जितनी लम्बी और बड़ी होगी, थन उतना ही अधिक पीसा जायगा और उतना ही उसमें दूध उत्पन्न होगा। इसीलिये इस रक्तवाहिनीको दूधवाली शिरा कहते हैं। यह पेट के नीचे जितनी ही स्पष्ट देख पड़े और थन के ऊपर की नसें भी जितनी स्पष्ट लक्षित हो, उतना ही यह समझना चाहिये कि गाय दुधारू है। थन का अगला भाग भी यहीं से देख लेना चाहिये। थन बड़ा और पेट के बराबर में हो। लटक आया हुआ या मांसल न हो और उस पर की नसें साफ दिख पड़े। आगे और पीछे दोनों ओर थन पेट से सटा हुआ हो। चारों चूँचियाँ बराबर फासले पर और एक सी बढ़ी और भरी हुई हों। बहुत पतली चूँचियों से, जो अँगुलियों में भी न आयें, दूध भी कितना निकलेगा। अन्य सब लक्षणों की अपेक्षा थन और चूँचियों की परख में ही अधिक ध्यान देना चाहिये।
4. गौ के सामने खड़े होकर देखना
सामने से गाय का मुँह दिखाई पड़ता है। उसका जबड़ा और नथुने चौड़े हों, आँखें पानीदार हों। गौ सीधी है या नहीं, यह उसका मुँह देखनेसे पता चलता है। दाँतों से उसकी उम्र का अनुमान होता है। गाय के नीचेवाले जबड़े में 8 (दूधिया) दाँत होते हैं। दो वर्ष बाद बीच के दो (दूधिया) दाँत गिर जाते और उनके स्थान में दो बड़े (स्थायी) दाँत निकलते हैं। इस तरह हर साल दो दो बड़े दाँत निकलते और पाँच वर्ष में आठों बड़े (स्थायी) दाँत पूरे हो जाते हैं। पाँच-छः वर्ष के बाद ज्यों- ज्यों गौ माता की उम्र ढलने लगती है, त्यों-त्यों उसके दाँत भी घिसते जाते हैं और खूँटी सरीखे होने लगते हैं। गाय के ऊपर के जबड़े में दाँत नहीं होते। इन नीचे के दाँतों से घास चारा काटकर वह पेट में उतारती है और पीछे दोनों जबड़ों के किनारे की मजबूत दाढ़ों से चबाकर (जुगाली करके) निगल जाती है।
गौ के कानों में यदि कुछ पीली सी चमक दिखायी दे तो समझना चाहिये कि गौ दुधारू है और उसके दूध में मक्खन का अंश अधिक है। गौ का गलकम्बल पतला होना चाहिये, इससे यथेष्ट वायु अंदर खींचने में उसे सुविधा होती है और वह नीरोग रहती है। पेट का घेरा भी सामने से दिखाई पड़ता है। पिछले पैरों की तरह अगले पैर भी दूर-दूर हों।
5. पीठ परसे देखना -
पीठ पर से नीचे देखने से भी पेट का आकार और पुट्टे दीख पड़ते हैं। पुट्ठा एकदम उतारदार न हो। यदि दुहती गाय खरीदी जाय तो बिना अन्तर दिये तीन-चार बार स्वयं दूध निकालकर देख लेना चाहिये। दूध निकालते समय पात्र में धार गिरने का जो शब्द होता है, उसके द्वारा भी गाय दुधारू है या नहीं, इसकी परीक्षा होती है। थन में यदि दूध अधिक होगा तो पात्र में धार के गिरते समय जोर से शब्द होगा। यदि दूध अधिक न हुआ तो धार पतली होगी और शब्द भी धीमा ही होगा।
पाश्चात्त्य पद्धति से गौकी परीक्षा करनेकी एक रीति निम्नलिखित हैं -
1. पीठ पर से देखने पर गाय का शरीर गले से पीछे की ओर दोनों तरफ चौड़ा होता चला गया हो तो यह लक्षण अच्छा है। ऐसी गाय के उदर तथा पाकाशय का पूर्ण विकास हुआ समझा जाता है। वह भरपूर खा सकती है और पचा भी सकती है।
2. बगल से देखने पर गाय के गले से पूँछ तक का भाग चढ़ता और गलकम्बल से थन तक का भाग उतरता हुआ चला गया हो ऐसी गाय का थन बड़ा होता है और उसमें दूध भी भरपूर होता है। उसी प्रकार गर्भाशय में गर्भ के विकास के लिये पर्याप्त स्थान मिल जाता है और उससे बच्चा बलिष्ठ होता है।
3. सामने से देखने पर दोनों तरफ गौ का शरीर ऊपर से नीचे की ओर चौड़ा होता हुआ दिख पड़े तो इससे गौ के फुफ्फुस और हृदय पूर्ण विकसित तथा बलिष्ट हैं ऐसा समझना चाहिये।
सारांश यह कि ऊपर से बगल से अथवा सामने से किसी ओर से भी देखने पर गौ का शरीर सब ओर से तिहरे पच्चर (Triple Wedge) की तरह (एक ओर से दूसरी ओर बारीक होता हुआ) दिखायी देना चाहिये। उसका यह आकार जितना पूर्ण होगा, उतनी ही वह अधिक दुधारू होगी।
How to identify the best milk giving cow (Dudharu Gau Mata).
Whether the cow is milch or not, you can know about this subject in the following way -
1. Standing next to the cow, see -
Standing next to the cow, before seeing it, you will see its shape. Its length from shoulders to tail should be sufficient. The back should not be slouched, the spine should be raised and its beads should be visible separately. The larger the abdominal girth, the more voracious she will be and the more milk she will produce. Keep in mind that the cow which gives more milk by eating less has not yet been created. When the ribs of the stomach are raised and spread, then there is more space in the stomach for food and water. A milking cow does not have much flesh on its body, because whatever it eats, milk is produced in excess. Yes, if you get to eat nutritious food when you are pregnant, then she definitely becomes strong. You should see by moving your hand over the body of the cow. If the skin is soft and thin, it is a good sign; If the skin is thick, then it should be understood that the blood circulation is not going well. And if the hair is thick, then it should be understood that it is not being nurtured properly and its health is not good.
2. Standing behind the back and watching -
Standing behind the back and looking at the cow, one can see the fullness of the stomach. The width of the thighs and buttocks comes to the fore. Widening of the pelvis indicates that the fetus is being nourished properly in the uterus. The rear part of cow's udder and teats are also visible from here. The thighs of the cow should be full and there should be a wide gap between the two thighs in which there should be full space for the udder to meet.
3. Viewing from below -
There is a milk vein on the stomach of a cow. This is the blood vessel that carries blood to the udder. The longer and bigger it is, the more the udder will be crushed and the more milk it will produce. That is why this blood vessel is called the milk vein. The more clearly it is visible under the belly and the more clearly the veins above the udder are targeted, the more it should be understood that the cow is milch. The front part of the udder should also be seen from here. The udder should be big and equal to the abdomen. It should not be hanging or fleshy and the veins on it should be clearly visible. The udder should be adjacent to the stomach both in front and behind. All the four teats should be evenly spaced and equally enlarged and full. How much milk will come out of very thin teats, which do not fit even in the fingers. More attention should be paid to the examination of udder and teats than all other symptoms.
4. Standing in front of the cow and looking
The face of the cow is visible from the front. His jaw and nostrils should be wide, eyes should be watery. Whether the cow is straight or not, it can be known by looking at its face. His age is estimated from the teeth. Cow has 8 (milky) teeth in its lower jaw. After two years, the two middle (milky) teeth fall out and two larger (permanent) teeth emerge in their place. In this way, two big teeth come out every year and in five years all the eight big (permanent) teeth are completed. After five-six years, as soon as the age of mother cow starts decreasing, her teeth also wear down and become like pegs. There are no teeth in the upper jaw of the cow. She cuts the fodder with these lower teeth and puts it in the stomach and swallows it by chewing (chewing) with the strong molars on the sides of both the jaws.
If some yellow glow is seen in the ears of the cow, then it should be understood that the cow is milch and the proportion of butter in its milk is high. The cow's throat should be thin, this makes it convenient for it to draw enough air inside and it remains healthy. The abdominal girth is also visible from the front. Like the back legs, the front legs should also be far apart.
5. Looking from behind -
Even looking down from the back, the shape of the abdomen and the folds are visible. The butt should not be completely lowered. If a milking cow is bought, then it should be seen by taking out milk three-four times without giving any difference. Whether the cow is milch or not is tested by the sound of the edge falling in the utensil while milking. If there is more milk in the udder, there will be a loud sound when the stream falls into the vessel. If there is not much milk, then the edge will be thin and the word will also be slow.
The following are the ways of examining a cow according to the western method -
1. When viewed from the back, the cow's body has become wider from the throat towards the back on both sides, then this is a good symptom. Such a cow is considered to have fully developed stomach and intestines. She can eat and digest a lot.
2. When seen from the side, the part of the cow rising from the neck to the tail and the part going down from the neck to the udder, the udder of such a cow is big and there is plenty of milk in it. Similarly, enough space is available in the uterus for the development of the fetus and the child becomes strong.
3. If the cow's body is widened from top to bottom on both the sides when viewed from the front, then it should be understood that the lungs and heart of the cow are fully developed and strong.
The summary is that the cow's body should appear like a triple wedge (becoming thinner from one side to the other) from all sides when viewed from above, from the side or from the front. The more complete its shape, the more milk it will be.