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गोघृत से चमत्कारी इलाज

Miraculous cure from Goghrit

गौ-माता, पंचगव्य और गोमूत्र से होने वाले लाभ की जानकारी जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से निर्मित वेब पेज, गो-सेवा को समर्पित।

गौ नमस्कार एवं प्रदक्षिणा मंत्र * गौ दुधारू है या नहीं, इसकी पहचान कैसे करें? * गाय का दूध बढ़ाने के उपाय * शरीर के रोग और उनका पंचगव्य चिकित्सा * गोघृत से चमत्कारी इलाज * गोमूत्र एक महौषधि है * गोमूत्र से कीटनाशक कैसे बनाएं? * गाय में पंच तत्व * गोपाल सहस्त्रनाम - भगवान श्रीकृष्ण के गोपालक रुप का पाठ * गोवर्धन पूजा और अन्नकूट * गोपाष्टमी

श्यामा गाय का गोघृत तैयार करने की प्रक्रिया -

श्यामा गाय के घृत के प्रयोग से की रोगों से रोगमुक्त होते देखा है। इससे गठिया, कुष्ठरोग, जले तथा कटे घाव के दाग, सफेद दाग, चेहरे की झाँई, नेत्र विकार, जलन, मुँह का फटना आदि पर आश्चर्यजनक लाभ होता है। गौ माता के शरीर से निरंतर सत्वकणों का प्रक्षेपण होता रहता है, इसलिए पंचगव्य से निर्मित औषधियां और उत्पाद सात्विक एवं रोगों से शरीर को रोगमुक्त करने वाले होते हैं। पंचगव्य से बने उत्पाद पूर्णतः रसायनमुक्त होने के कारण आरोग्यदायी होते हैं । उनके प्रयोग से सात्विकता मिलती है। ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने वैद्यों द्वारा, खासकर आदिवासी समाज में अभी भी इन नुस्खों का प्रयोग किया जाता है। एक वैद्य जो नुस्खा तरीका अपनाते थे वो दे रहा हूं।
- साधक प्रभात

श्यामा गाय को एक माह तक हरे चारे के अतिरिक्त ढाई ढाई सौ ग्रामकी मात्रा में गेहूँ, गुड़, कच्ची गरी, कच्ची मूँगफली, आमा हल्दी, चना, सफेद दूब, बेलकी पत्ती, महुआ, सेंधा नमक, सफेद नमक देना चाहिए। साथ में अजवाइन और मेथी 50-50 ग्राम प्रतिदिनके हिसाबसे एक माहतक खिलाया जाना चाहिए।

गाय को अत्यन्त स्वच्छ वातावरणमें रखकर गर्मी में दोनों समय नहलाया-धुलाया जाना चाहिए। प्रात: और सायं थोड़ा गुड़ खिलाकर तीसरे दिन से निकाले गये उक्त गायके दूधसे ग्रामीण पद्धतिके अनुसार गोहरी की आँचपर मिट्टी के पात्रमें पकाये गये दूध से दही तैयार कर उसका घी निकाला जाना चाहिए।

कैंसर, गठिया, सफेद दाग जोड़ों में दर्द, नेत्र सम्बन्धी विकार, चोट, सूजन, फोड़े-फुंसी आदि अनेक विकारों से पीड़ित का श्यामा गाय के गोघृत से उपचार।

गठिया के रोगी को इसी घी की मालिश करने से हफ्ते भरमें गठिया गायब हो जाता है।
ऑपरेशनके दौरान नाक में हफ्तों नली पड़नेके कारण आवाज चले जाने पर तीन-चार दिन तक गलेमें इस तरीके से निकाले गए घीकी मालिश करते रहने से आवाज खुलने लगती है और 8-10 दिन में आदमी बोलने लगता है।

इस घीकी मालिशसे महीने भरमें ही ऑपरेशन का दाग एक सामान्य रेखाके रूपमें शेष रह जाता है। त्वचा का कड़ापन खत्म हो जाता है।

सफेद दाग में श्यामा गायका यही घृत लगाने से महीना बीतते- बीतते सफेद दागके स्थानपर लाली आने लगती है और दूसरे माहमें त्वचा एक रंगकी हो जाती है। दाग बिल्कुल ठीक हो जाता है।
इसी प्रकार जोड़ों में दर्द, नेत्र सम्बन्धी विकार, चोट, सूजन, फोड़े-फुंसी आदि अनेक विकारोंसे पीड़ित अनेक लोगोंका उक्त घृतसे उपचार किया गया है, जिसमें आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त हुई।

कैंसर में काली गाय के दुग्ध और काली तुलसी पर कम से कम छह माह रखा जाता था। दुग्ध और तुलसी मरीज जितना का सके दिया जाता है। इसके अतिरिक्त सिर्फ कभी कभी स्वाद बदलने हेतु मुंग के दाल का रस और जौ की रोटी दी जा सकती है। यह उपाय कैंसर रोग को ठीक करता था।

नोट - यह वेब पेज सिर्फ पंचगव्य और गोमूत्र चिकित्सा संबंधी जानकारी प्रदान करने हेतु है। चिकित्सा हेतु नहीं है। चिकित्सा हेतु प्रयोग से पूर्व किसी पंचगव्य और गोमूत्र चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।

 
 कैंसर, सफेद दाग जोड़ों में दर्द, नेत्र सम्बन्धी विकार, चोट, सूजन, फोड़े-फुंसी आदि अनेक विकारोंसे पीड़ित का श्यामा गाय का गोघृत पंचगव्य से उपचार। घी की मालिश

How to identify the best milk giving cow (Dudharu Gau Mata).

It has been seen that by using ghee of Shyama cow, people get cured of diseases. It has wonderful benefits on rheumatism, leprosy, scars of burns and cuts, white spots, freckles on the face, eye disorders, burns, eruption of the mouth etc. Sattva particles are continuously emitted from the body of mother cow, therefore the medicines and products made from Panchagavya are pure and free from diseases. The products made from Panchgavya are healthy because they are completely chemical free. Their use gives sattvikta. These remedies are still used in rural areas by old healers, especially in tribal society. I am giving the prescription method which a doctor used.
-Sadhak Prabhat

Process of preparing goghrit
In addition to green fodder, black cows should be given 250 grams of wheat, jaggery, raw beetroot, raw groundnut, turmeric, gram, white dub, belki leaf, mahua, rock salt, white salt in quantity for one month. Along with this, celery and fenugreek should be fed 50-50 grams per day for one month.
Keeping the cow in a very clean environment, it should be bathed and washed both times in summer. According to the rural method, curd should be prepared from the milk cooked in an earthen vessel on the fire of gohri and ghee extracted from the milk extracted from the third day after feeding a little jaggery in the morning and evening.

By massaging this ghee to an arthritis patient, arthritis disappears within a week.
During the operation, if the voice is lost due to the tubes in the nose for weeks, by massaging the ghee extracted in this way in the throat for three to four days, the voice starts to open and in 8-10 days the person starts speaking.
With this ghee massage, the operation scar remains in the form of a normal line within a month. The hardness of the skin ends.
By applying this ghee of Shyama Gaika in the white spots, with the passing of a month, redness starts coming in place of the white spots and in the second month, the skin becomes monochromatic. The stain heals completely.
Similarly, many people suffering from joint pain, eye disorders, injuries, swelling, boils etc. have been treated with this aloe, in which amazing success has been achieved.
In cancer, black cow's milk and black basil were kept for at least six months. Milk and Tulsi are given to the patient as much as possible. Apart from this, only occasionally, to change the taste, moong dal juice and barley bread can be given. This remedy used to cure cancer.

Note - This web page is only for providing information related to Panchagavya and cow urine therapy. Not for medical purposes. Be sure to consult a Panchgavya and cow urine doctor before using it for medical purposes.

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