रक्त संस्थान के रोग
Diseases of Blood -High blood pressure, Anemia, Cholesterol, Blood Infection
रक्त के रोग - Diseases of Blood
उच्च रक्त चाप और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (High blood pressure and its Ayurvedic Home treatment)
1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गोनूष घनवटी या गौमूत्र की नटी का सेवन करें।
2. रात को सोते समय नाक में घी डालें। साथ ही नाभि पर भी दो बूँद घी लगाकर अनामिका उंगली से पाँच बार उल्टा सुल्टा मन्थन करें।
3. साबुन की बजाय अंगराग चूर्ण या अंगराग बट्टी से स्नान करें।
4. प्रतिदिन छिलके सहित कच्ची लौकी का एक गिलास रस निकाल 5 काली मिर्च + 5 तुलसी के पत्ते + पुदीने के पत्ते घोंटकर मिलायें। स्वाद के अनुसार अदरक व सेंधा नमक मिलाकर पीयें।
अपथ्य : खटाई, तली चीजें, नमक, रिफाइन्ड तेल, आलू, कड़ा उपवास, रात्रि में भोजन।
पथ्य : दूध, छाछ, आंवला, संतरा, लहसुन, घी, तवे पर भूनकर भूरा बनाया नमक, सेंधा नमक, हरी पत्ते वाली सब्जियाँ ।
विशेष उपचार -1., 2, 3 लगातार छः महीने तक करने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
रक्ताल्पता - खून की कमी और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Anemia - Blood deficiency and its Ayurvedic Home Panchagavya treatment)
1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गोमूत्र अर्क या गोमूत्र की वटी का सेवन करें।
2. दूध को लोहे की कढ़ाई में औटाकर (मंद आँच पर काफी देर तक गर्म कर ) पीयें। इसमें सर्दी में छुहारे और गर्मी में मुनक्के डालकर औटायें।
3. प्रतिदिन छिलके सहित कच्ची लौकी का एक गिलास रस निकाल 5 काली मिर्च +5 तुलसी के पत्ते + पुदीने के पत्ते घोंटकर मिलायें। स्वाद के अनुसार अदरक व सेंधा नमक मिलाकर पीयें।
4. अनार के दानों को लोहे के ओखली में कूटकर या लोहे की कढ़ाई में कुचलकर रात्रि में उसी में ढककर रख दें। सुबह उसे पतले कपड़े से छानकर एक महीने तक उसका रस पीयें।
अपथ्य : खटाई, आलू, रिफाइन्ड तेल, लाल मिर्च, फ्रिज की चीजें।
पथ्य : पालक, मेथी के पत्ते, बथुआ, खजूर, अंजीर, मुनक्का, गन्ना, काला गुड़, बाजरा, चना।
कोलेस्ट्रॉल और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Cholesterol and its Ayurvedic Home treatment)
1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।
2. छाछ में एक चम्मच मीठे नीम की पत्ती (कढ़ी पत्ता) की चटनी डालकर उसका सेवन करें।
3. प्रतिदिन छिलके सहित कच्ची लौकी का एक गिलास रस निकाल 5 काली मिर्च + 5 तुलसी के पत्ते + पुदीने के पत्ते घोंटकर मिलायें। स्वाद के अनुसार अदरक व सेंधा नमक मिलाकर पीयें।
4. घाणी के तेल का सेवन करें।
अपथ्य : रिफाइन्ड तेल, गाय के घी के अलावा अन्य सभी घी।
पथ्य : लहसुन, गेहूँ के जवारे, साग-सब्जी, फल, सलाद, फिल्टर्ड तेल, बिना बीज की लाल मिर्च।
विशेष : दो प्रकार के कौलेस्ट्रॉल होते हैं। अच्छा कौलेस्ट्रॉल और खराब कोलेस्ट्रॉल | अच्छे कोलेस्ट्रोल से मस्तिष्क स्वस्थ रहता है, शरीर की नसों, जोड़ों में लचीलापन रहता है। खराब कोलेस्ट्रॉल रक्तवाहिनियों में जमकर रुकावट पैदा करता है। गाय का घी अच्छा कौलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। गाय के घी में बाइलरी लिपिड सेक्रिसन बढ़ जाता है जिसके कारण ब्लड और आंत में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो जाती है।
घाणी का तेल (तिल, मूँगफली और सरसों का तेल ) खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।
सोयाबीन, सूर्यमुखी, पाम तेल दोनों प्रकार के कोलेस्ट्रोल को कम कर शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं।
रक्त विकार और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Blood Infection and their Ayurvedic Home treatment)
1. अधिक मात्रा में ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गोमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।
2. दूध में हल्दी उबालकर घी डालकर पीयें।
3. प्रतिदिन छिलके सहित कच्ची लौकी का एक गिलास रस निकाल 5 काली मिर्च + 5 तुलसी के पत्ते + पुदीने के पत्ते घोंटकर मिलायें। स्वाद के अनुसार अदरक व सेंधा नमक मिलाकर पीयें।
4. नीम + तुलसी का सेवन करें।
अपथ्य खटाई, तली चीजें, गर्म मसालें, खमीर वाले आहार, फ्रिज की चीजें।
पथ्य : लहसुन, करेला, दूध, कुलथी, शहद।
नोट - यह वेब पेज सिर्फ पंचगव्य और गोमूत्र चिकित्सा संबंधी जानकारी प्रदान करने हेतु है। चिकित्सा हेतु प्रयोग से पूर्व किसी पंचगव्य और गोमूत्र चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।