स्त्री में प्रजनन संस्थान के रोग
Diseases of the female reproductive system
स्त्री में प्रजनन संस्थान के रोग - Diseases of the female reproductive system
अनियमित मासिक धर्म / मासिक धर्म कम होना और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Irregular Menstruation / Decreased Menstruation and its Ayurvedic Home Remedies)
1. अनियमित मासिक धर्म / मासिक धर्म कम होना
1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या नारी संजीवनी और गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।
2. काली मिर्च 20 ग्राम, गुड़ 10 ग्राम को 300 मिली पानी में उबालें। एक चौथाई पानी रह जाने पर छानकर पीयें।
3. मासिक धर्म के समय गोंद (खाने वाला) को घी में तलकर फुला लें। अब घी में अजवायन को तले। उसमें गुड़ फुला हुआ गोंद डालकर पाक बनाकर खायें।
4. प्रतिदिन दूध में कालीमिर्च उबालकर घी डालकर पीयें।
5. मसिक धर्म के दिनों में पैर के तलवे पर सरसों का तेल रगड़ें।
अपथ्य : खटाई, कब्ज करने वाले आहार जैसे मैदा, बेसन, आलू, फ्रिज की चीजें, बासी भोजन रात को देर से खाना गोभी, खमीर वाली चीजें ।
पथ्य : मेथी, करेला, हींग, ताजा दही, बाजरा।
विशेष : : 1. यह वात रोग है अतः रूखे ठंडे आहार-विहार से बचें। कब्ज बिल्कुल ना होने दें।
2. भोजन के बाद गरम पानी अवश्य पीयें।
3. शरीर को ढक कर रखें। तेज हवा न लगने दें।
मासिक धर्म के समय अधिक रक्तस्राव और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Excessive bleeding during menstruation and its Ayurvedic home remedies)
2. मासिक धर्म के समय अधिक रक्तस्राव
1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या नारी संजीवनी और गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।
2. प्रतिदिन दूध में मुनक्का उबालकर घी डालकर पीयें।
3. मासिक धर्म के दिनों को छोड़कर छाछ या तक्रारिष्ट या तक्रासव का सेवन करें।
4. मासिक धर्म के दिनों में पैर के तलवों पर घी रगड़ें।
अपथ्य : सभी गर्म आहार जैसे, तली चीजें, गर्म मसाले, मिर्च, लहसुन, प्याज, चाय-कॉफी, बैंगन, गुड़, आलू, फ्रिज की चीजें ।
पथ्य : मिश्री, जौ आदि पित्तशामक ठंडी चीजें।
विशेष :: यह पित्त प्रधान रोग है अतः मासिक धर्म के पाँच दिन पहले अधिक मात्रा में गौमूत्र का सेवन करें, जिससे दस्त लगकर पित्त कम हो जायें सात दिन पहले से
पथ्य -अपथ्य : का विशेष ध्यान रखें।
श्वेत प्रदर - योनि संक्रमण और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Leucorrhoea-Vitiligo - vaginal infection and its Ayurvedic Home treatment)
3. श्वेत प्रदर (Leucorrhoea) /योनि संक्रमण (Vaginal Infection)
1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें या नारी संजीवनी और गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।
2. प्रतिदिन दूध में हल्दी या सौंठ उबालकर घी डालकर पीयें।
3. योनि को भीतर से प्रतिदिन गौमूत्र से धोना चाहिए। इसके लिये पिचकारी या मेडीकल स्टोर पर उपलब्धा 'वेजाइनल रबर स्प्रे' का उपयोग करें।
अपथ्य : तेज खटाई, उदर रोगों को बढ़ाने वाले आहार, अनियमितता।
पथ्य : सुपाच्य आहार, दूध, दही, घी, छाछ
विशेष : भोजन के बाद गर्म पानी पीयें।
गर्भाशय में गाँठ और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Ovarian Cyst and its Ayurvedic Home treatment)
1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या नारी संजीवनी और गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।
2. कंचनार अर्क का सेवन करें।
3. दूध में सौंठ उबालकर घी डालकर सेवन करें।
अपथ्य : खटाई, मिर्च, गर्म मसाले, तली चीजें क्रोध, ईर्ष्या, भय, शोक, मन में गाँठ बाँधना।
पथ्य : जौ, भुने हुए चने, मिश्री।
विशेष : सभी महिलाओं के गर्भाशय में गाँठे बनती और खत्म होती रहती हैं। गाँठ का आकार बढ़ता रहे या वह दर्द करें, तभी उपचार करने की आवश्यकता होती है।
स्तनों में दूध की कमी और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Lack of milk in breasts and its Ayurvedic Home treatment)
1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या नारी संजीवनी और गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।
2. दूधा में छुहारे (खजूर) उबालकर घी डालकर लें।
3. पूरे शरीर की तेल से मालिश करें।
4. अधिकाधिक मात्र में घी का सेवन करें।
अपथ्य : फ्रिज की ठंडी चीजें, बासी भोजन, आलू, प्याज, मैदा, बेसन, खमीर वाली चीजें, अचार, रिफाइण्ड तेल।
पथ्य : अजवायन, मेथी, सौंठ, तिल, देशी गुड़, बाजरा, खाने का गोंद, तिल का तेल।
गर्भावस्था और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Pregnancy and its Ayurvedic Home treatment)
1. स्त्री की प्रकृति व ऋतु के अनुसार गौमूत्र की जो मात्रा होती है, उससे आधी मात्रा में गौमूत्र या गौमूत्र अर्क और घनवटी का सेवन करना चाहिए।
2. प्रतिदिन चांदी के प्याले में दही जमाकर ताजे दही का सेवन करना चाहिए। इससे बच्चा मेधावी व स्वस्थ होता है मंदबुद्धि अथवा विकलांग नहीं होता।
3. छाछ या गौतक्रासव या गौतक्रारिष्ट का सेवन करें।
4. त्रिफलादि घृत का सेवन करें।
5. गर्भवती माता को दूध का खूब पीना चाहिए। दूध को लौहे की कढ़ाई में खूब औटाकर और काली मिर्च डालकर लेने से शरीर में रक्त की कमी नहीं होती।
6. खट्टा खाने की इच्छा हो तो आंवला, नींबू, कोकम, छाछ, टमाटर का सेवन करें अचार, इमली, कैरी और राई की खटाई का सेवन ना करें।
7. शरीर में खून की कमी हो तो खून की कमी वाले उपचार करें।
8. शरीर में कैल्शियम की कमी हो तो पान की दुकान से एक रुपये का चूना लाकर उसे एक लीटर पानी में डालकर खूब हिलायें। 6-7 घंटे बाद जब चूना तली में है जायें, तब पानी को निथार लें। यह पानी दिन में दो बार दो-दो चम्मच लें।
9. आटा पीसने की हाथ की चक्की चलाने से गर्भाशय क्षेत्र की तथा की मांसपेशियाँ लचीली व बलशाली होती है। शरीर में सूजन नहीं आती व सामान्य होता है। चक्की न हो तो इसी प्रकार का व्यायाम करें।
10. साबुन का प्रयोग ना करें, अंगराग चूर्ण या अंगराग बट्टी से स्नान करें।
अपथ्य : सभी तामसीक चीजें लहसुन, प्याज, चाय-कॉफी, भैंस का दूध, दही, बासी भोजन सभी प्रकार के व्यसन। क्रोध, ईर्ष्या, भय, लालच टी. वी के कार्यक्रम व विज्ञापन बहुत ही तामसीक हैं। टी. वी. से निकलने वाली प्रकाश की किरणे तरंगे भी बहुत नुकसान करती है। टी. वी. पर केवल कुछ संस्कारप्रद कार्यक्रम हीं कुछ देर देखें।
सभी पित्त दोष बढ़ाने वाली चीजें आलू, बैंगन, दही, गरम मसालें, तेज खटाई, पपीता इनसे गर्भपात होने का खतरा रहता है।
सभी वात दोष बढ़ाने वाली चीजें पंखे की तेज हवा, फ्रिज का पानी, मैदा, रात को जागना। इनसे सूजन आती है और प्रसव वेदना अधिक होती है।
सभी कफ दोष बढ़ानेवाली चीजें अधिक मीठा, अधिक घी, तेल, आलस्य, दिन में अधिक सोना । इनसे बच्चे का मोटापा बढ़ता है और प्रसव में समस्या होती है।
पथ्य : प्रसन्न रहना, हल्के व्यायाम करना या श्रम करना, सुबह की किरणों का सेवन करना, अच्छी पुस्तके पढ़ना, कला के सौन्दर्य का पान करना ।
नोट - यह वेब पेज सिर्फ पंचगव्य और गोमूत्र चिकित्सा संबंधी जानकारी प्रदान करने हेतु है। चिकित्सा हेतु प्रयोग से पूर्व किसी पंचगव्य और गोमूत्र चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।