पुरुषों में प्रजनन संस्थान के रोग
Diseases of the reproductive system in Men
पुरुषों में प्रजनन संस्थान के रोग - Diseases of the reproductive system in men
सभी प्रकार के यौन रोगों में निम्नलिखित उपचार करें।
1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें।
या मेदोहर अर्क (केसर युक्त गौमूत्र अर्क) और गोमूत्र हरितकी वटी का सेवन करें।2. गाय के दूध में घी डालकर पीयें।
अपथ्य : अश्लील विचार, किसी भी प्रकार का, व्यसन, मांसाहार, रात को भोज करना, खटाई, नमक, शक्कर, गरिष्ठ भोजन, तली चीजें, मिर्च-मसाले, अधिक मीठा, मैथुन।
पथ्य : ब्रह्मचर्य, हल्का सात्विक भोजन, जौ, सभी दालें, चावल, मिश्री, काली मिर्च, हल्का व्यायाम।
विशेष : : कब्ज बिल्कुल ना होने दें।
पुरुष ग्रंथि का बढ़ना और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Enlargement of Prostate and its Ayurvedic Home treatment)
1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी बटी का सेवन करें।
2. त्रिफलादि घृत में एक चुटकी सेंधा नमक डालकर सेवन करें।
3. छाछ या तक्रारिष्ट या तक्रासव का सेवन करें।
अपथ्य : खटाई, तली चीजें ।
पथ्य : आँवला, नारियल, दूध, दही, अंगूर, तुलसी।
एच. आई. वी / एड्स और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (HIV/AIDS and its Ayurvedic Home treatment)
एच. आई. वी और एड्स ये एक ही रोग नहीं है। एच. आई. वी का सही ढंग से उपचार न होने पर वह एड्स में बदल सकता है। एड्स का उपचार कठिन है, असंभव नहीं।
1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।
2. पंचगव्य घृत का सेवन करें ।
3. पंचगव्य घृत की दो-दो बूंदे नाक में डालें।
4. 31 पत्ती श्यामा तुलसी के रस में उतना ही शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें।
5. प्रतिदिन छिलके सहित कच्ची लौंकी का एक गिलास रस निकाल 5 काली मिर्च + 5 तुलसी के पत्ते + 5 पुदीने के पत्ते घोंटकर मिलायें। स्वाद के अनुसार अदरक व सेंधा नमक मिलाकर पीयें।
अपथ्य : तली चीजें, बेसन, मैदा, भोजन में अनिमियत्तता, भोजन कर तुरन्त सोना, बाजार का खाना, बासी भोजन, फ्रिज की चीजें, खमीरवाला आहार, आलू, बैंगन, प्याज ।
पथ्य : पौष्टिक आहार, घाणी का तेल, दूध, दही, घी सूखे मेवे, पके फल, रसायन मुक्त अनाज, सब्जियाँ गेहूं के जवारे, हल्दी, अनन्नास, अनार, पालक, मेथी, पपीता ।
स्वप्नदोष / शीघ्र पतन / प्रमेह और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा( Nightfall / Premature ejaculation / Prameha and its Ayurvedic Home treatment)
1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या मेदोहर अर्क (केसर युक्त गोगून अर्क) और गौमूव हरितकी वटी का सेवन करें।
2. दूध में हल्दी उबालकर और घी डालकर पीयें।
3. छाछ या तक्रारिष्ट या तक्रासव का सेवन करें।
4. पैर के तलवों पर घी लगाकर काँसे के बर्तन से तब तक रगड़ें जब तक तलवे काले न हो जायें।
अपथ्य : अश्लील विचार, ग्लानि, गर्म मसाले, तली चीजें, खटाई, गैस करनेवाली चीजें जैस फ्रिज की चीजें, आलू, प्याज, मैदा, खमीरवाली चीजें, रात्रि को देरी से भोजन करना, चाय-कॉफी, लहसुन / किसी भी प्रकार का व्यसन, अधिक स्त्री - संग।
पथ्य : सत्संग, अच्छे विचार, उड़द, तिल, भिण्डी, सिंघाड़ा, नारियल (खोपरा)।
विशेष : 1. कभी भी कब्ज न होने दें।
2. सोने पूर्व हाथ पैर धोकर बिस्तर पर जायें।
3. रात को सोने से पूर्व टी. वी. न देखें, फालतू पुस्तकें न पढ़ें। ईश्वर का या अपने जीवन के लक्ष्य का चिंतन कर शांत मन से सोयें।
4. वीर्य के नाश से उतनी शक्ति नष्ट नहीं होती जितनी कामुक विचारों से। अतः विचार हमेशा श्रेष्ठ करें।
5. विवाह के प्रारम्भिक दिनों में अधिक उत्तेजना के कारण शीघ्रपतन होना स्वाभाविक है। अतः चिंता नहीं करनी चाहिए।
नपुंसकता - शारीरिक मिलन में असमर्थता और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Impotence - Inability to have physical union and its Ayurvedic Home treatment)
2. नपुंसकता (शारीरिक मिलन में असमर्थता )
1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या पुनर्नवादि अर्क और पुनर्नवादि वटी का सेवन करें।
2. बादाम (भीगाकर दूध में घिसकर), केसर छुहारा (खजूर) दूध में औटाकर घी डालकर पीयें।
अपथ्य : अश्लील विचार, हीन भावना, ग्लानि, भय, जल्दबाजी, हड़बड़ाहट, उत्तेजना, वात दोष बढ़ानेवाली चीजें जैसे पंखे की तेज हवा, फ्रिज की चीजें, आलू, मैदा, खमीरवाली चीजें, खटाई, चाय-कॉफी, रात्रि को देरी से भोजन करना। किसी भी प्रकार का व्यसन, अधिक स्त्री-संग।
पथ्य : पूरे शरीर पर तेल की मालिश करें। व्यायाम करें।
विशेष : 1. कामुक विचारों से शक्ति नष्ट होने से शारीरिक मिलन की शक्ति क्षीण हो जाती है। अतः कामुक विचारों से बचें।
2. शारीरिक मिलन के बाद ऊपरोक्त गर्म दूध का सेवन करने से शक्ति क्षीण नहीं होती।
3. शारीरिक मिलन के बाद पानी कभी ना पीयें।
4. कब्ज न होने दें।
5. तनाव, चिंता, भय, क्रोध, आदि के साथ शारीरिक मिलन में प्रवृत्त न हों।
नोट - यह वेब पेज सिर्फ पंचगव्य और गोमूत्र चिकित्सा संबंधी जानकारी प्रदान करने हेतु है। चिकित्सा हेतु प्रयोग से पूर्व किसी पंचगव्य और गोमूत्र चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।