वाणी तंत्र के रोग - स्वर विकार
Diseases of the Voice system - Voice Disorders
वाणी तंत्र के रोग - स्वर विकार Diseases of the Voice system - Voice Disorders
तुतलाना और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Stuttering and its Ayurvedic Home treatment)
प्राय: तुतलाना उम्र बढ़ने के साथ-साथ ठीक हो जाता है।
1. यदि मस्तिष्क की कमजोरी के कारण तुतलाना होता है तो ब्राह्मी घृत को नाक में डालें तथा सुबह-शाम गर्म दूध में डालकर पीयें।
2. वाकेन्द्रिय (जीभ) की कमजोरी के कारण तुतलाना होता है तो सामान्य गाय का घी नाक में डालें और सुबह-शाम गर्म दूध में डालकर पीयें।
3. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क गौमूत्र घनवटी या गोमूसव व गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।
4. सुबह गौमय दंतमंजन करें और मंजन करने के बाद आऽऽ आवाज करते हुए उंगलियों से जीभ को रगड़े, इससे न केवल जीभ और कंठ ही साफ होगा बल्कि नाक, आँख, कान आदि की वाहिनियाँ भी साफ हो जाती हैं।
5. दिन में 4-5 बार जीभ पर काली मिर्च रखकर चूसना ।
अपथ्य : : चॉकलेट, सुपारी, अधिक मीठा ।
पथ्य : लौंग, आँवला, बादाम।
विशेष : बच्चे से तुतलाकर बात न करें, ताकि वह सही उच्चारण सुने और सुनकर सही उच्चारण करने का प्रयत्न करें।
हकलाना और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Stammer and his Ayurvedic Home treatment)
हकलाना (Stammer) में तुतलाने वाले उपचार करें।
1. यदि मस्तिष्क की कमजोरी के कारण हकलाना होता है तो ब्राह्मी घृत को नाक में डालें तथा सुबह-शाम गर्म दूध में डालकर पीयें।
2. वाकेन्द्रिय (जीभ) की कमजोरी के कारण तुतलाना होता है तो सामान्य गाय का घी नाक में डालें और सुबह-शाम गर्म दूध में डालकर पीयें।
3. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क गौमूत्र घनवटी या गोमूसव व गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।
4. सुबह गौमय दंतमंजन करें और मंजन करने के बाद आऽऽ आवाज करते हुए उंगलियों से जीभ को रगड़े, इससे न केवल जीभ और कंठ ही साफ होगा बल्कि नाक, आँख, कान आदि की वाहिनियाँ भी साफ हो जाती हैं।
5. दिन में 4-5 बार जीभ पर काली मिर्च रखकर चूसना ।
अपथ्य : भय, जल्दबाजी, क्रोध।
विशेष : 1. गाने का अधिक से अधिक अभ्यास करें। 2. ठहाका मारकर हँसे ।
नोट - यह वेब पेज सिर्फ पंचगव्य और गोमूत्र चिकित्सा संबंधी जानकारी प्रदान करने हेतु है। चिकित्सा हेतु प्रयोग से पूर्व किसी पंचगव्य और गोमूत्र चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।