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त्वचा के रोग

Skin diseases

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त्वचा के रोग - Skin diseases

सूखी खुजली और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Dry itching and its Ayurvedic Home Panchagavya treatment)

1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गोमूत्र की टी का सेवन करें।

2. गौमूत्र और तिल के तेल की बस्ति (एनिमा) लें।

3. घी का अधिकाधिक सेवन करें। रात को सोते समय दूध में घी डालकर पिएं।

4. नाक में घी डालें।

5. त्रिफलादि घृत का सेवन करें।

6. सरसों या तिल के तेल की पूरे शरीर पर मालिश करें।

7. ताजे गोबर से स्नान करें या अंगराग चूर्ण + कच्चा दूध या दही से स्नान करें। इन्हें 15-20 मिनिट शरीर पर लगा रहने दें। साबुन का प्रयोग बिल्कुल ना करें।

अपथ्य : फ्रिज की चीजें, तेज खटाई, आलू, गोभी, प्याज, बासी भोजन, मैदा, बेसन, कच्चा नमक, रूखी चीजें पंखे की तेज हवा, पाउडर।

पथ्य : स्निग्ध आहार, मीठा, तुलसी+शहद, लहसुन, करेला, नारियल, नींबू।

गीली खुजली - दाद, एक्जिमा और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Wet Itch - Ringworm, Eczema and its Panchagavya Chikitsa)

1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।

2. ताजे गोबर में गौमूत्र मिलाकर साबुन की जगह लगायें या अंगराग चूर्ण या अंगराग बट्टी से स्नान करें। साबुन का प्रयोग बिल्कुल ना करें।

3. जहाँ खुजली हो वहाँ गौमय दादनाशक बट्टी या गौमय मलहम का प्रयोग करें।

4. त्रिफलादि घृत का सेवन करें।

5. श्रम या व्यायाम कर शरीर से पसीना निकालें।

6. खादी के कपड़े व ढीले कपड़े सभी चर्मरोगों में बहुत लाभ पहुँचाते हैं।

अपथ्य : खटाई, तेल, मिर्च, गुड़, आलू, बैंगन, चाय-कॉफी, मावा, कॉस्मेटिक क्रीम, गीले चड्डी बनियान, तंग कपड़े, जिन्स।

पथ्य : भूना हुआ चना, जौ का सत्तू, घी।

पुराना घाव और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Old wound and its Panchagavya healing)

1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।

2. घाव को गौमूत्र से धोयें।

3. घाव पर जात्यादि घृत लगायें।

4. साबुन का प्रयोग ना करें।

5. दूध में हल्दी उबालकर घी डालकर पीयें।

अपथ्य खटाई, तली चीजें, गुड़, अधिक मीठा, खमीर वाली चीजें, आलू, प्याज, दही, छाछ।

पथ्य : सुपाँचय एवं सादा भोजन, घी।

फोड़े-फुन्सी और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Bounds and their Ayurvedic Home Panchagavya treatment)

1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क गौमूत्र घनवटी या गौवासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।

2. पर ताजा गोबर बाँध दें फोड़े को शीघ्र पकाकर पूरा मवाद खींच लेगा।

3. त्रिफलादि घृत का सेवन करें।

अपथ्य खटाई, दही, छाछ, तली चीजें, मिर्च, गुड़, आम।

त्वचा का कटना या छिलना और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Cutting or scraping of skin and its Ayurvedic Home treatment)

1. गौमय धूप की राख को कटी हुई त्वचा पर लगायें। घाव शीघ्र भरेगा।

2. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।

3. दूध में हल्दी उबालकर घी डालकर पीयें।

अपथ्य : साबुन, खटाई, खमीरवाली चीजें।

विशेष : त्वचा के कटते ही तुरन्त गर्म पानी पीयें।

त्वचा का फटना और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Cutting or peeling of skin and its Ayurvedic Home Panchagavya treatment)

1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।

2. दूध में घी डालकर पीयें। घी का प्रयोग अधिक करें।

3. नाक में घी डालें।

4. केवल जहाँ त्वचा फटी है वहाँ ही नहीं बल्कि पूरे शरीर पर तिल या सरसों का (गर्मियों में नारियल का) तेल लगायें इल्की मालिश करें।

5. साबुन का प्रयोग ना करें। अंगराग चूर्ण + कच्चा दूध या दही से स्नान करें।

अपथ्य रुरवा आहार, बासी भोजन, आलू, प्याज।

पथ्य आंवला, नींबू, शहद।

विशेष : त्वचा का फटना, वात के बढ़ने के कारण होता है, अतः केवल फटी हुई जगह का उपचार न कर पूरे शरीर का उपचार करना चाहिए।

त्वचा की एलर्जी और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Skin eruption and its Ayurvedic Home Panchagavya treatment)

त्वचा को पूरा पोषण न मिलने से या त्वचा के किसी विजातीय तत्व के संपर्क में रहने से उसमें किसी विशेष चीज (धूप, धूल, हवा, पानी), के प्रति विकर्षण (एलर्जी) हो जाती है।

1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमून अर्क गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।

2. दूध में हल्दी उबालकर घी डालकर पीयें।

3. ताजे गोबर से या अंगराग चूर्ण या अंगराग बट्टी से स्नान करें। साबुन का प्रयोग बिल्कुल ना करें।

4. तेज पंखे की हवा से पसीने को न रोकें।

5. सुबह की धूप का सेवन करें।

अपथ्य : तेज खटाई, तली चीजें, कच्चा नमक।

पथ्य : नींबू, तुलसी+शहद, आँवला, पपीता, करेला, नीम।

विशेष : त्वचा की एलर्जी किसी भीतरी बिमारी का संकेत हो सकते है। अतः भीतरी बीमारी पर भी ध्यान दें।

सिर में रूसी और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (Dandruff in head and its Ayurvedic Home Panchagavya treatment)

1. नाक में घी डालने से 40-45 दिन में रूसी बनना बंद हो जाता है।

2. छोटे बाल हो तो अंगराग चूर्ण + खट्टी छाछ सिर पर कुछ देर लगाकर धोयें।

3. बाल बड़े हों तो गौमूत्र या गौमूत्र में अरीठा, शिकाकाई, आंवला उबालकर उससे बाल धोयें।

4. केवल सिर ही नहीं पूरे शरीर की तेल मालिश करें।

अपथ्य : सिर में साबुन लगाना, रुखा भोजन, आलू, प्याज।

पथ्य : दूध, दही, छाछ, घी।

श्वेत कुष्ठ - सफेद दाग और उसका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा (White leprosy - White spot and its Ayurvedic Home treatment)

1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें।

2. दूध में घी डालकर पीयें।

3. साबुन का प्रयोग न करें। गोबर या अंगराग चूर्ण और दूध के उबटन से स्नान करें।

4. विभिन्न गौशालाओं द्वारा निर्मित श्वित्र हर टिकिया लगायें और श्वित्रहर नाशक वटी का सेवन करें।

अपथ्य : खटाई, तली चीजें, गर्म मसालें।

पथ्य : काले तिल, काला चना, नारियल, गाजर।

नोट - यह वेब पेज सिर्फ पंचगव्य और गोमूत्र चिकित्सा संबंधी जानकारी प्रदान करने हेतु है। चिकित्सा हेतु प्रयोग से पूर्व किसी पंचगव्य और गोमूत्र चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।

***** शरीर के रोग और उनका आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा ******

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