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शनि गायत्री मंत्र

Shani Gayatri Mantra

शनि बीज मंत्र एवं तंत्रोक्त प्रयोग * शनि रक्षा स्तोत * शनि चालीसा * शनि गायत्री मंत्र * शनि अष्टोत्तरशतनामावली * शनि पौराणिक महामंत्र * शनि मूल मंत्र * शनि वैदिक मन्त्र * शनि जैन मंत्र * शनि पत्नी मंत्र * शनि माला मंत्र * शनि वज्रपिञ्जर कवचम् * शनि जयंती
 
शनि गायत्री मंत्र
 
आलेख © कॉपीराइट - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

शनि गायत्री मंत्र

शनि गायत्री मंत्र के जाप के लाभ -

शनि गायत्री मंत्र जातक के कुन्डली के शनि दोषों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली मंत्र है। जो व्यक्ति साढ़े साती और शनि की कुंडली की प्रतिकूल स्थिति से पीड़ित हैं, उन्हें इस मंत्र का उच्चारण करने से बहुत लाभ हो सकता है। शनि के सभी नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करता है और दुख और कष्टों को दूर करता है। चूंकि शनि भाग्य के नियंत्रक हैं, ऐसे में यह मंत्र कभी भी आपके जीवन में सौभाग्य और समृद्धि ला सकता है। यह वैवाहिक मुद्दों के साथ-साथ अज्ञात रोगों को भी ठीक करता है।

शनि गायत्री मंत्र -

॥ॐ कृष्णांगाय विद्य्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात॥

अर्थ- ॐ, मैं उस प्रभु को नमन करता हूं, जिसके ध्वज पर काक बना हुआ है। जिनके हाथ में तलवार है। शनैश्वर को मेरे जीवन को ज्योतिमान करने दो।

शनि गायत्री मंत्र के जाप के लाभ -

शनि के सभी नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करता है और दुख और कष्टों को दूर करता है। चूंकि शनि भाग्य के नियंत्रक हैं, ऐसे में यह मंत्र कभी भी आपके जीवन में सौभाग्य और समृद्धि ला सकता है। यह वैवाहिक मुद्दों के साथ-साथ अज्ञात रोगों को भी ठीक करता है।

शनि गायत्री मंत्र जप विधि -

शनि गायत्री मंत्र का जाप करने का सबसे अच्छा समय प्रात:काल है। इस मंत्र को 108 बार जाप करना चहिए। रुद्राक्ष या काली हकीक की माला पर जाप करना ज्यादा ठीक होता है। उत्तर पूर्व या पूर्व दिशा की तरफ मुख करके इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

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