शनि जैन मंत्र
Shani Jain Mantra
शनि जैन मंत्र
शनि जैन मन्त्र का प्रयोग कुण्डली में जब शनि अपने परम शत्रु सूर्य, मंगल अथवा केतु से पीडि़त हो तो किसी भी लग्न में श्रेष्ठ फल देने वाला सिद्ध नहीं होता है, उस स्थिति में शनि मंत्र की दस माला का जाप एवं साथ में शनि जैन शांति मन्त्र का एक माला का जाप नियमित रूप से किया जाना चाहिए।
साथ हीं शनि ग्रह शांति के लिए शनि मंदिर में विग्रह पर तिल का तेल चढ़ाना लाभप्रद बताया गया है, इसके अलावा लोहे का दान और तिल का दान भी श्रेष्ठ बताया गया है।
शनि जैन मन्त्र
ॐ ह्रीं क्रौं ह्रीः श्रीं शनिग्रहअरिष्टनिवारक श्रीमुनिसुव्रतनाथजिनेन्द्राय नमः शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा।
इस मंत्र के जप के साथ मुनि सुव्रतनाथ प्रभु के अधिष्ठायक देव वरुण की पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसमानी वस्त्र, आसमानी आसन, उड़द के लड्डू, चावल को आसमानी रंग में रंगकर उसके स्वस्तिक तथा तिल के तेल के दीपक के साथ पूजा करनी चाहिए।
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