देवी सरस्वतीका ध्यान मंत्र
Goddess Saraswati Meditation Mantra
देवी सरस्वतीका ध्यान मंत्र
आरुढा श्वेतहंसे भ्रमति च गगने दक्षिणे चाक्षसूत्रं
वामे हस्ते च दिव्याम्बरकनकमयं पुस्तकं ज्ञानगम्या।
सा वीणां वादयन्ती स्वकरकरजपः शास्वविज्ञानशब्दः
क्रीडन्ती दिव्यरूपा करकमलधरा भारती सुप्रसन्ना ॥
श्वेतपद्मासना देवी श्वेतगन्धानुलेपना ।
अर्चिता मुनिभिः सर्वेषिभिः स्तूयते सदा ॥
एवं ध्यात्वा सदा देवीं वाञ्छितं लभते नरः ॥
अर्थातः जो श्वेत हंसपर सवार होकर आकाशमें विचरण करती हैं, जिनके दाहिने हाथमें अक्षमाला और बायें हाथ में दिव्य स्वर्णमय वस्त्रसे आवेष्टित पुस्तक सुशोभित है, जो ज्ञानगम्या हैं, जो वीणावादन करती हुई और अपने हाथ की करमाला से शास्त्रोक्त बीज मन्त्रोंका जप करती हुई क्रीडारत हैं, जिनका रूप दिव्य है तथा जो अपने हाथमें कमल धारण करती हैं, वे सरस्वती देवी मुझपर प्रसन्न हों। जो देवी श्वेत कमलपर आसीन हैं, जिनके शरीर पर श्वेत चन्दन का अनुलेप है, मुनिगण जिनकी उपासना करते हैं तथा सभी ऋषि सदा जिनका स्तवन करते हैं। इस प्रकार नियमित देवी का ध्यान करके मनुष्य मनोवांछित लाभ प्राप्त कर लेता है।
मां सरस्वती के मंत्र जाप के लाभ
मां सरस्वती के ध्यान मंत्र के नियमित जाप से चंचल मन में ठहराव आता है, मन में शांति स्थापित होती है, एकाग्रता बढ़ती है, बुद्धि कुशल एवं तीव्र बनती है और स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी होती है। यह मंत्र व्यक्ति की शैक्षिक और धार्मिक समझ को बेहतर करने में मदद करती है। इनका नित्य जाप करने और मनन करने से परिस्थितियां भी अनुकूल बनती हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। इसकी वजह से पढ़ाई में एकाग्रता बनती है और मन भटकता नहीं है।