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सरस्वती पूजा

Saraswati Puja

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देवी सरस्वती Godess Saraswati

सरस्वती पूजा

माघ मास की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इसको बसंत पंचमी भी कहते हैं। इस वर्ष 14 फरवरी 2024 को वसंत पंचमी है। वसंत पंचमी के सरस्वती पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 10 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक है। यह समय गुप्त नवरात्र का भी है जो 10 फरवरी से 18 फरवरी तक है।

सरस्वती पूजन विधि

सरस्वती माता के पूजन स्थल को गंगाजल पवित्र करें। सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप, अगरबत्ती, गुगुल जलाएं जिससे वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार बढ़े. इसके बाद पूजा आरंभ करें।

आसन को मंत्र से शुद्ध करने का मंत्र

इस मन्त्र से अपने को शुद्ध करें -

ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥

इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुश या पीले फूल से छींटें लगाएं फिर आचमन मंत्र बोलते हुए आचमन करें –

ऊं केशवाय नम:, ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:

फिर हाथ धोएं, पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें-

ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥

माथे पर चंदन लगाएं। अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए मंत्र बोलें

चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा

बसंत पंचमी सरस्वती पूजन के लिए संकल्प मंत्र -

हाथ में तिल, फूल, अक्षत मिठाई और फल लेकर इस मंत्र को बोलते हुए संकल्प लें फिर हाथ में रखी हुई सामग्री मां सरस्वती के सामने रखें -

सरस्वती पूजन के लिए संकल्प

ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः । ॐ अद्य ब्रह्मणो द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे बौद्धावतारे भूर्लोके जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे - (अपने नगर/गांव का नाम लें) - नगरे/ ग्रामे विक्रम संवत 2081 पिंगल नाम संवत्सरे माघ मासे शुक्ल पक्षे पञ्चमी तिथौ ... वासरे (दिन का नाम जैसे रविवार है तो "रवि वासरे ")..(अपने गोत्र का नाम लें) ... गोत्रोत्पन्न ... (अपना नाम लें)... शर्मा / वर्मा / गुप्तोऽहम् यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये।

अब गणपति की पूजा करें -

फूल लेकर गणपतिजी का ध्यान इस मंत्र से करें -

गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्. उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्

हाथ में अक्षत लेकर गणपति जी का आह्वान करें -

ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ

अब पात्र में अक्षत रखें।

जल लेकर बोलें -

एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:

रक्त चंदन लगाएं:

इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:

इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं

इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:

दूर्वा और विल्बपत्र गणेश जी को चढ़ाएं। गणेश जी को पीले वस्त्र चढ़ाएं।

इदं पीत वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि

गणपतिजी को प्रसाद अर्पित करने का मंत्र :

इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:

मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र:

इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:

प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन कराएं।

इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:

इसके बाद पान सुपारी चढ़ाएं-

इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:

अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें:

एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:

गणपति पूजन की तरह सूर्य सहित नवग्रहों की पूजा करें। यहां अब गणेशजी के स्थान पर नवग्रहों के नाम लें।

सरस्वती पूजा कलश पूजन विधि :

घड़े या लोटे पर मोली बांधकर कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत, मुद्रा रखें. कलश के गले में मोली लपेटें। नारियल पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आह्वान करें:-

ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:
अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:।
अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव:
स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ. स्थापयामि पूजयामि॥

इसके बाद जिस प्रकार गणेश जी की पूजा की है उसी तरह से वरुण और इन्द्रादि देवताओं की भी पूजा करें।

सरस्वती पूजन ध्यान मंत्र –

या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्॥
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥

देवी सरस्वती की प्रतिष्ठा मंत्र

हाथ में अक्षत लेकर बोलें -

ॐ भूर्भुवः स्वः सरस्वती देव्यै इहागच्छ इह तिष्ठ

इस मंत्र को बोलकर अक्षत छोड़ें। इसके बाद जल लेकर

एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्

प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं:

ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः, ॐ श्री सरस्वतयै नमः।

रक्त चंदन लगाएं -

इदं रक्त चंदनम् लेपनम्।

सिन्दूर लगाएं -

इदं सिन्दूराभरणं।

पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं -

ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः. पूजयामि शिवे, भक्तया, सरस्वतयै नमो नमः.. ॐ सरस्वतयै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।

पीला वस्त्र पहनाएं -

देवी सरस्वती को इदं पीत वस्त्रं समर्पयामि।

नैवैद्य अर्पित करें -

इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं सरस्वतयै समर्पयामि।

मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र: -

इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि।

प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करें -

इदं आचमनयं ऊं सरस्वतयै नम:।

देवी सरस्वती को पान सुपारी भेंट करें -

इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि।

अब एक फूल लेकर सरस्वती देवी पर चढ़ाएं और बोलें -

एष: पुष्पान्जलि ऊं सरस्वतयै नम:।

इसके बाद एक फूल लेकर उसमें चंदन और अक्षत लगाकर किताब कॉपी पर रखें।

आरती की थाल सजाकर देवी सरस्वती की आरती करें। और प्रसाद वितरण करें।

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