सरस्वती शाबर मंत्र
Saraswati Shabar Mantra
सरस्वती शाबर मंत्र
शाबर मंत्र क्या होता है ?
शाबर मंत्र बहुत जल्द सिद्ध हो जाते है। प्रत्येक शाबर मंत्र अपने आप में पूर्ण होता है। शास्त्रों से परे शाबर मंत्र अपने लाभ व उपयोगिता की दृष्टि से विशेष महत्व के हैं। शाबर मंत्र में पहले से ही गुरु प्राण प्रतिष्ठित रहते हैं इसलिए इस मंत्र को दीक्षा ले कर भी सिद्धि किया जा सकता है और और बिना दीक्षा लिए भी सिद्ध किया जा सकता है। शाबर मंत्र से ज्ञान या मोक्ष नहीं बल्की सांसारिक कार्य और सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। 'शाबर-मंत्र' तुरंत, विश्वसनीय, अच्छा और पूरा काम करते हैं। इसमें किसी भी प्रकार से तर्पन, न्यास, अनुष्ठान, हवन आदि कार्य नहीं किए जाते हैं। इस साधना को किसी भी जाति, वर्ण, आयु का पुरुष या स्त्री कर सकते हैं। इन मंत्रों की साधना में गुरु की इतनी आवश्यकता नहीं रहती क्योंकि इनके प्रवर्तक स्वयंसिद्ध-साधक रहे हैं। फिर भी इन मंत्रों को सिद्ध करने के लिए कोई अच्छा साधक या गुरु मिल जाए उसमें होने वाली किसी भी परेशानी से आसानी से बचा जा सकता है। षट्कर्मों की साधना तो बिना गुरु के न करें। शाबर मंत्र का प्रयोग हर गांव गांव में होता है। ये मंत्र शीघ्र सिद्ध होते हैं इसलिए इनका प्रभाव भी ज्यादा देर तक नहीं रहता है।
माता सरस्वती की कृपा पाने एवं स्मरण शक्ति बढ़ाने हेतु शाबर मंत्र
शाबर की जप विधि -
शाबर मंत्रो की साधना के लिए होली या दीपावली की रात्रि में 108 जाप हवन से करे । या किसी शुभ मुहूर्त में 21 दिन का अनुष्ठान कर नित्य एक या दो माला जाप करें अंतिम दिन एक माला हवन से करे। नवरात्रि में नौ दिन तक नित्य एक माला जप से भी अनुष्ठान पूर्ण होता है। किसी बुधवार या शुक्रवार से 21 दिन तक 2 माला जाप करें या 41 दिन तक 1 माला करें तो मंत्र सिद्ध होता है यह सर्व सिद्धि प्रदायक और ज्ञान विद्याप्राप्ति का अद्भुत चमत्कारी मंत्र है।
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विशेष - यह मंत्र किसी बुधवार या शुक्रवार से 21 दिन तक 2 माला जाप करें या 41 दिन तक 1 माला करें तो मंत्र सिद्ध होता है यह सर्व सिद्धि प्रदायक और ज्ञान विद्याप्राप्ति का अद्भुत चमत्कारी मंत्र है।
ॐ नमो आदेश गुरु को आदेश सरस्वती माई।
ब्रम्हा संग कंठ समाई।करें वाणी ह्रदय पर राज।
वाणी मोरी सत्य होय। विद्या बसे मुख ।
राज पर राज करूं। पल पल आठ पहर।
शब्द वाणी गुरु की। सत्य कृपा तोरी होय।
मोरी रक्षा करे। दुहाई दुहाई माई।
शब्द सांचा पिन्ड कान्चा फूरो मंत्र ईश्वरी वाचा।
2.
ॐ गुरु जी ,वीणा की देवी सरस्वती,
जिव्हा बैठो अनूकूल।
उसकी विद्या हर लो जो हो मेरे प्रतिकूल।
मेरी वाणी तेरी वीणा, हर शब्द में तेरा वासा,
जिसके सिर रखूं में हाथ,उसको कभी न हो निराशा।
हर मन्त्र में तेरी शक्ति, तेरे ज्ञान से मिले हैं मुक्ति,
मेरी जिव्हा विराजो आप, सदा शुभ फरमाओ।
विद्या ज्ञान के खोलो कपाट , मेरी जड़ता को मिटाओ।
ॐ ऐं वद वद वाग्वादिनी तुम आओ,
ॐ नमो आदेश गुरु को।