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सरस्वती स्त्रोत

Saraswati Strot

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देवी सरस्वती Godess Saraswati

सरस्वती स्त्रोत

रवि रुद्र पितामह विष्णु नुतं,
हरि चन्दन कुंकुम पंक युतम्,
मुनि वृन्द गजेन्द्र समान युतं,
तव नौमि सरस्वति! पाद युगम्।

अर्थात्:- हे सरस्वती माता! आपकी के गुणों के बखान को भगवान भास्कर, ब्रह्मदेव, श्रीचक्रपाणी एवं शिवजी भी करते है एवं आपकी स्तुति करते हैं, आपकी चन्दन एवं कुमकुम के द्वारा पूजा की जाती है और इनका लेपन होता है, मुनियों के द्वारा एवं इंद्रदेव के हाथी ऐरावत जो कि मंतगो का महीपति होता है उनके द्वारा एक जैसे ही वंदना की गई है, हे सरस्वती माता। आपके चरणों को में नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूँ।

शशि शुद्ध सुधा हिम धाम युतं,
शरदम्बर बिम्ब समान करम्,
बहु रत्न मनोहर कान्ति युतं,
तव नौमि सरस्वति! पाद युगम्।

अर्थात्:- हे सरस्वती माता! चन्द्रमास के स्वच्छ शीतत किरणों से युक्त रोशनी जब अमृत की तरह आप पर पड़ती है, शीतकाल में जब नभमंडल के अंधकार पूर्ण वातावरण पर प्रकाश की किरणें आवरण आदि के कारण नहीं पहुँच सकने से एक प्रतिकृति की तरह लगती है, बहुत सारे रनों के समान मन को हरने वाली आभा छाई हुई प्रतीत होती है, हे सरस्वती माताः आपके चरणों को में नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूँ।

कनकाब्ज विभूषित भीति युतं,
भव भाव विभावित भिन्न पदम्,
प्रभु चित्त समाहित साधु पदं,
तव नौमि सरस्वति! पाद युगम्।

अर्थात्:- हे सरस्वती माता! आप सोने की चमक के समान कमत के आसन विराजित होकर शोभित करते हुए दिखाई पड़ती हो, आपके चरण बहुत तरह के जीवन की आवश्यकताओं विषय-भोगों आदि के भाव को उत्पन्न करने वाले होते हैं, आपके पावन चरण ईश्वर चित्त में समाहित या समा जाते हैं, हे सरस्वती माता! आपके चरणों को में नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूँ।

भव सागर मज्जन भीति नुतं,
प्रति पादित सन्तति कारमिदम्,
विमलादिक शुद्ध विशुद्ध पदं,
तव नौमि सरस्वति! पाद युगम।

अर्थात्:- हे सरस्वती माता! जो संसार रूपी समुद्र या घटनाओं के सागर में तीन एवं डरे हुए मनुष्यों की पुकार करने पर अपने भक्त रूपी सन्तानों को संसार रूपी सागर से पार करती हो, समस्त तरह के बुरे विकारों के मेल को स्वच्छ या निर्मत करके अच्छी भावनाओं को जाग्रत करने वाली हो, हे सरस्वती माता! आपके चरणों को में नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूँ।

मति हीन जनाश्रय पारमिदं,
सकलागम भाषित भिन्न पदम्,
परि पूरित विशवमनेक भवं,
तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।

अर्थात्:- हे सरस्वती माता! जो सोचने-समझने की शक्ति से कमजोर होते हैं, उन लोगों को अपनी शरण में लेने वाली हो, आपके चरण ही एकमात्र मनुष्यों का शरणस्थल है, आपकी समस्त वेदों एवं तंत्रों में भिन्न-भिन्न रूप से आपके गुणों का आख्यान किया गया हैं। आप समस्त संसार के बहुत सारे भावों के द्वारा हर तरह से पूर्ण हो, हे सरस्वती माताः आपके चरणों को में नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूँ।

परिपूर्ण मनोरथ धाम निधिं,
परमार्थ विचार विवेक विधिम्,
सुर योषित सेवित पाद तमं,
तव नौमि सरस्वति! पाद।युगम्।

अर्थात्: है सरस्वती माताः जो मनुष्य के मन की समस्त तरह की इच्छाओं को पूर्ण करती है, जो दूसरों के हित में काम करने की भावनाओं को जागृत करती है, भले-बुरे का ज्ञान रूपी सम्मपत्ति की भावनाओं को उत्पन्न करके अनुकूलता प्रदान करती हो, देव एवं ऋषि भी जिनके बरणों की भाराधना करते है, हे सरस्वती माता आपके चरणों को में नतमस्तक होकर प्रणाम करता है।

सुर मौलि मणि द्युति शुभ्र करं,
विषयादि महा भय वर्ण हरम्,
निज कान्ति विलायित चन्द्र शिवं,
तव नौमि सरस्वति! पाद युगम्।

अर्थात्:- हे सरस्वती माता! आपकी आभा देवताओं के मस्तिष्क पर धारित मुकुटों में लगी मणियों के समान श्वेत है, जो संसार के तोकिक, ऐहिक अर्थात् संसार की विषयों एवं वस्तुओं के द्वारा उत्पन्न कष्ट और डर का निवारण करने वाली हो, शिवजी के मस्तिष्क पर धारित अर्धचन्द्र की तरह आपकी चमक होती हैं, हे सरस्वती माता! आपके चरणों को में नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूँ।

गुणनैक कुल स्थिति भीति पदं,
गुण गौरव गर्वित सत्य पदम्,
कमलोदर कोमल पाद तलं,
तव नौमि सरस्वति! पाद युगम्।

अर्थात्: है सरस्वती माताः आपके चरणों के बहुत सारे गुण है, आपके बरण यथार्थ है. किस तरह कमत के महता होती है, उसी तरह ही आपके चरणों के गुणों का महत्व है, आपके चरण कमल के उदर या बीच के भाग की तरह बहुत ही मुलायम है, हे शररवली माता। आपके चरणों को में नतमस्तक होकर प्रणाम करता है।

अथ श्री सरस्वती स्तुति स्तोत्रं के लाभ: निम्नलिखित है:

माता सरस्वती जी की आराधना करके अपने ज्ञान के क्षेत्र एवं उच्चविद्या को प्राप्त किया जा सकता है।

मनुष्य को अपनी स्मरण शक्ति को तेज करने के लिए भी माता सरस्वती जी के स्तुति स्तोत्रं के मन्त्रों का उच्चारण करना चाहिए।

जिन मनुष्य की यादशक्ति कम होती हैं, उनको हमेशा तीन बार सरस्वति स्तुति स्तोत्रं के मन्त्रों का उच्चारण करते रहना चाहिए।

जो पढ़ने वाले छात्रवृत्तिधारी होते हैं, उनके लिए श्रीसरस्वती स्तुति स्तोत्रं के श्लोकों का वांचन करने पर अच्छे नतीजे मिल सकते है।

वाणी में किसी तरह की रुकावट होने पर जो व्यक्ति इस स्तुति स्तोत्रं के श्लोक का पाठ करते हैं, उनकी वाणी में कमजोरी दूर हो जाती है।

वाणी के द्वारा ही किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं, इसलिए वाणी की शुद्धि के लिए इस स्तुति का वांचन करना चाहिए।

मनुष्य के द्वारा नियमित रूप से सरस्वती स्तुति स्तोत्रं के श्लोकों का पाठ करने पर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति होती हैं।

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