ऋग्वेदोक्त सरस्वती सूक्त-मंत्र
Rigvedic Saraswati Sukta-Mantra
ऋग्वेदोक्त सरस्वती सूक्त-मंत्र
अम्बितमे नदीतमे देवितमे सरस्वति ।
अप्रशस्ताइव स्मसि प्रशस्तिमम्ब नस्कृधि ॥
अर्थ - माँ, नदी और देवियों में सर्वश्रेष्ठ हे सरस्वती, हम पृथिवी के अपने किसी पुण्य कर्म को स्वर्गलोक में स्थापित करने में असमर्थ हैं, कृपा करके हमें सामर्थ्य प्रदान करें।
ऋग्वेद के इस श्लोक के जाप से ज्ञान विद्या प्राप्त होती है और स्मरण शक्ति वृबढ़ती है। निरंतर अभ्यास से दिव्य शक्तियों की प्राप्ति होती है।
आदि सरस्वती मंत्र
1. ॐ ऐं ऐं ऐं आदि सरस्वत्यै ऐं ऐं ऐं नमः।
2. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं आदि सरस्वत्यै नमः।
3. ॐ ब्रहमविद्यायै विदमहे पराविद्यायै धीमहि तन्नो आद्यसरस्वती प्रचोदयात्।
वागीश्वरी सरस्वती मंत्र
वाक् सिद्धि के लिए वागीश्वरी सरस्वती मंत्र की साधना की जाती है। यह मन्त्र दीपावली की रात्रि को बारह हजार जपने से सिद्ध होता है। साधक को पूर्व मुख बैठकर सफेद वस्त्र धारण कर कमलासन से यह मन्त्र सिद्ध करना चाहिए। इस मन्त्र के सिद्ध होने पर सरस्वती प्रसन्न होती है और अविद्या का नाश होकर उसे विद्या के क्षेत्र में पूर्ण सफलता प्राप्त होती है।
1. ॐ ह्रीं श्रीं ऐं वाग्वादिनी भगवति अर्हनमुख निवासिनी सरस्वती ममास्यै प्रकाशंं कुरु कुरु स्वाहा ऐं नमः।
2. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्वादिनी सरस्वती देवी मम जिव्हायाम् सर्व विद्याम देही दापय नमः।
1. ॐ नमः पदमासने शब्द रूपे ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा।
4. ॐ ह्री श्रीं ऐं वद वद वाग्वादिनी सरस्वती तुष्टि पुष्टि तुभ्यं नमः।
चित्रेश्वरी सरस्वती मंत्र -
भविष्य ज्ञान के लिए चित्रेश्वरी सरस्वती मंत्र की साधना की जाती है।