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हिंदू पंचांग क्या है? अयन किसे कहते हैं? पंचांग पञ्चाङ्ग में वार, तिथि, नक्षत्र, करण, योग क्या है ?

What is Hindu calendar? What is Panchangam? Panchang: What is Vaar, Tithi, Nakshatra, Karan, Yoga in Panchang?

शुभ मुहूर्त एवं नक्षत्र विज्ञान

विवाह शुभ मुहूर्त * वधूप्रवेश द्विरागमन मुहूर्त * नूतन वधु द्वारा पाकारंभ मुहूर्त * वर वरण वरीक्षा मुहूर्त * गृहप्रवेश मुहूर्त * उपनयन मुहूर्त * अन्नप्राशन मुहूर्त * नामकरण मुहूर्त * कर्णवेध मुहूर्त * मुंडन (चौल) मुहूर्त * अक्षरारंभ विद्यारंभ मुहूर्त * भूमि पूजन गृहारंभ मुहूर्त * वाहन मुहूर्त * सम्पत्ति क्रय मुहूर्त * व्यापार मुहूर्त * जलशयाराम देव प्रतिष्ठा मुहूर्त * हल प्रवहण बीजोप्ती मुहूर्त * कूपारम्भ बोरिंग मुहूर्त * स्वर्ण क्रय विक्रय मुहूर्त * मुहूर्त कितने प्रकार के होते हैं? * जानिए अपने सपनों का अर्थ * अंगों पर छिपकली गिरने का फल * हिंदू पंचांग एवं अयन * हिन्दू वर्ष एवं मास * भद्रा, तिथि,करण, योग, वार, पक्ष * खरमास, धनु संक्रान्ति क्या है? * मकर संक्रांति * कुंभ संक्रांति * मेष संक्रांति * कालसर्प योग एवं उसका निवारण
 
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हिंदू पंचांग क्या है? अयन किसे कहते हैं? पञ्चाङ्ग में वार, तिथि, नक्षत्र, करण, योग क्या है ?

आलेख © कॉपीराइट - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

पञ्चाङ का शाब्दिक अर्थ है, 'पाँच अङ्ग' (पञ्च + अङ्ग)। पञ्चाङ्ग में ये पांच अंग हैं - वार, तिथि, नक्षत्र, करण, योग। पञ्चाङ से वार, तिथि, नक्षत्र, करण, योग के साथ अयन प्रमुख त्यौहारों, घटनाओं (ग्रहण आदि) और शुभ मुहुर्त का भी जानकारी होती है।
गणना के आधार पर हिंदू पंचांग की तीन धाराएँ हैं- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति। भिन्न-भिन्न रूप में यह पूरे भारत में माना जाता है।

अयन किसे कहते हैं?

हिंदू पंचांग के अनुसार, 1 वर्ष में दो अयन होते हैं - उत्तरायण एवं दक्षिणायन। अयन का अर्थ होता है चलना, सूर्य पूरे वर्ष गतिमान रहते हैं और सूर्य की अवस्थाओं से ही ऋतुओं का निर्धारण होता है। सूर्य के उत्तर दिशा में अयन अर्थात गमन को उत्तरायण कहा जाता है और दक्षिण दिशा में अयन को दक्षिणायन कहा जाता है। उत्तरायण अयन 6 माह की एवं दक्षिणायन अयन 6 माह की होती है। सर्दियों (दक्षिणायन) के दौरान, 6 महीने सूर्य पूर्व से थोड़ा दक्षिण में उगता है और पश्चिम से थोड़ा दक्षिण में अस्त होता है। ग्रीष्मकाल (उत्तरायण) के दौरान, 6 महीने सूर्य पूर्व से थोड़ा उत्तर की ओर उगता है और पश्चिम से थोड़ा उत्तर की ओर अस्त होता है। सूर्य की 12 राशियों में स्थान परिवर्तन (एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश) को अयन कहते हैं। इन दो अयनों की राशियों में 27 नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं।

उत्तरायन अयन Uttarayan Ayan

शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करते हैं, तब तक के समय को उत्तरायन कहा जाता है। सूर्य के उत्तर दिशा में अयन अर्थात गमन को उत्तरायण कहा जाता है। ग्रीष्मकाल (उत्तरायण) के दौरान, सूर्य पूर्व से थोड़ा उत्तर की ओर उगता है और पश्चिम से थोड़ा उत्तर की ओर अस्त होता है। यह अवधि 6 माह की होती है। उत्तरायण का समय देवताओं का दिन होता है। उत्तरायण को देवयान जाता है। कहा हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष में छह ऋतुएं होती हैं। जब सूर्य उत्तरायण में आते हैं, तब 3 ऋतु पड़ती है, शिशिर, वसंत और ग्रीष्म ऋतु। मकर संक्रांति के बाद माघ मास में उत्तरायण से परिवारों में सभी शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य का मकर राशि में जाना (सूर्य कर्म के घर में जा रहे हैं ) पुण्यवर्द्धक होने से साथ ही पापों का विनाशक भी करता है। इस परिवर्तन के साथ ही पुण्य और मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। उत्तरायण में मृत्यु होने पर मोक्ष प्राप्ति की संभावना रहती है।

भारत में उत्तरायण को शीतकालीन संक्रांति के रूप में जाना जाता है, यह चरण मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर सूर्य के उत्तर की ओर गति का प्रतीक है। यह चरण 22 दिसंबर के आसपास शुरू होता है और लगभग 21 जून तक चलता है।

दक्षिणायन अयन Dakshinayan Ayan

जब सूर्य कर्क राशि से धनु राशि में विचरण करते हैं, तब उस समय को दक्षिणायन कहते हैं। दक्षिण दिशा में अयन को दक्षिणायन कहा जाता है। सर्दियों (दक्षिणायन) के दौरान, सूर्य पूर्व से थोड़ा दक्षिण में उगता है और पश्चिम से थोड़ा दक्षिण में अस्त होता है। यह अवधि भी छह माह की होती है। दक्षिणायन का समय देवताओं की रात्रि होती है। दक्षिणायन को पितृयान कहा गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष में छह ऋतुएं होती हैं। जब सूर्य दक्षिणायन में होते हैं तो वर्षा, शरद और हेमंत ऋतु होती है।

दक्षिणायन, वह चरण है जो जून के महीने में शुरू होता है और सूर्य के कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर दक्षिण की ओर गति को चिह्नित करता है। यह चरण 21 या 22 जून के आसपास शुरू होता है और 22 दिसंबर तक चलता है। इसे आमतौर पर ग्रीष्म संक्रांति कहा जाता है एवं "काल देवों की रात" की अवधि के रूप में उद्धृत किया जाता है। संक्रांति का यह चरण छोटे दिनों और लंबी रातों से जुड़ा है।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है जबकि सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तब सूर्य दक्षिणायन होता है। दक्षिणायन व्रत और उपवास का समय होता है जबकि चंद्रमास अनुसार अषाढ़ या श्रावण मास चल रहा होता है। मकर संक्रांति के दिन व्रत रखने से रोग और शोक मिटते हैं। दक्षिणायन में विवाह और उपनयन आदि संस्कार वर्जित है, परंतु यदि सूर्य वृश्चिक राशि में हो तो अग्रहायण मास में ये सब किया जा सकता है। उत्तरायण में मीन मास में विवाह वर्जित है।

उत्तरायण और दक्षिणायन में अंतर Difference between Uttarayan and Dakshinayan

  उत्तरायण दक्षिणायन
  ग्रीष्म संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। शीतकालीन संक्रांति को दक्षिणायन के नाम से भी जाना जाता है।
  उत्तरायण में सर्दी, बसंत और ग्रीष्म शामिल हैं। दक्षिणायन में सर्दी, शरद और मानसून शामिल हैं।
  उत्तरायण सकारात्मकता यानी शुभ का प्रतीक है । दक्षिणायन का संबंध नकारात्मकता से है।
  उत्तरायण में दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। दक्षिणायन का संबंध लंबी रातों और छोटे दिनों से है।
  उत्तरायण के दौरान शुभ कार्यों को बढ़ावा दिया जाता है। दक्षिणायन के दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
  उत्तरायण 22 दिसंबर के आसपास शुरू होता है और लगभग 21 जून तक 6 महीने तक रहता है। दक्षिणायन 21 या 22 जून के आसपास प्रारंभ होता है।

उत्तरायण काल ​​क्या है? What is Uttarayan period?

यह मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति के बीच की अवधि है। उत्तरायण का अर्थ है उत्तर दिशा की ओर बढ़ना। यह छह महीने की अवधि है जो आकाशीय गोलार्ध पर सूर्य की उत्तर की ओर गति के अर्थ को इंगित करती है। इस काल में दिन रात से बड़े होते हैं।

दक्षिणायन काल क्या है? What is Dakshinayan period?

दक्षिणायन ग्रीष्म संक्रांति और शीतकालीन संक्रांति के बीच छह महीने की अवधि है, जब सूर्य आकाशीय क्षेत्र में दक्षिण की ओर यात्रा करता है। दक्षिणायन कर्क संक्रांति या 16 जुलाई को शुरू होता है, क्योंकि इस दिन सूर्य मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश कर जाते हैं।

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