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कुंभ संक्रांति माघ संक्रान्ति

Kumbh Sankranti

शुभ मुहूर्त एवं नक्षत्र विज्ञान

सूर्यग्रहण एवं चन्द्रग्रहण 2025 * विवाह शुभ मुहूर्त * वधूप्रवेश द्विरागमन मुहूर्त * नूतन वधु द्वारा पाकारंभ मुहूर्त * वर वरण वरीक्षा मुहूर्त * गृहप्रवेश मुहूर्त * उपनयन मुहूर्त * अन्नप्राशन मुहूर्त * नाकुंभण मुहूर्त * कर्णवेध मुहूर्त * मुंडन (चौल) मुहूर्त * अक्षरारंभ विद्यारंभ मुहूर्त * भूमि पूजन गृहारंभ मुहूर्त * वाहन मुहूर्त * सम्पत्ति क्रय मुहूर्त * व्यापार मुहूर्त * जलशयाराम देव प्रतिष्ठा मुहूर्त * हल प्रवहण बीजोप्ती मुहूर्त * कूपारम्भ बोरिंग मुहूर्त * स्वर्ण क्रय विक्रय मुहूर्त * इस वर्ष में पंचक * मुहूर्त कितने प्रकार के होते हैं? * जानिए अपने सपनों का अर्थ * अंगों पर छिपकली गिरने का फल * हिंदू पंचांग एवं अयन * हिन्दू वर्ष एवं मास * भद्रा, तिथि,करण, योग, वार, पक्ष * खरमास, धनु संक्रान्ति क्या है? * मकर संक्रांति * कुंभ संक्रांति * मेष संक्रांति * कालसर्प योग एवं उसका निवारण
 
कुंभ संक्रांति माघ संक्रान्ति  Kumbh Sankranti
 

कुंभ संक्रांति क्या है?

आलेख © कॉपीराइट - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

कुंभ संक्रांति का समय

कुंभ संक्रांति का समय 13 फरवरी दिन मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 54 मिनट पर है। इसी समय सूर्य मकर से कुंभ राशि में गमन करेंगे। सूर्य के संक्रमण के समय का नक्षत्र रेवती है, करण विष्टि है और चन्द्रराशि मीन है।

13 फरवरी , 2024, मंगलवार को कुंभ संक्रान्ति का पुण्य काल 9 बजकर 57 मिनट से दोपहर 03 बजकर 54 मिनट तक है। पुण्य काल की अवधि 10 घण्टे 40 मिनट की है। कुंभ संक्रान्ति का महा पुण्य काल दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से प्रारंभ होगा और 03 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। अवधि - 01 घण्टा 51 मिनट्स।

सूर्योदय के बाद 5 घटी अवधि (यदि संक्रांति पिछले दिन सूर्यास्त के बाद होती है) और संक्रांति क्षण के बाद 1 घटी अवधि (यदि संक्रांति दिन के समय होती है) अत्यधिक शुभ होती है। यदि यह मुहूर्त उपलब्ध है तो हम इसे महापुण्य काल मुहूर्त के रूप में सूचीबद्ध करते हैं। यदि उपलब्ध हो तो महापुण्य काल मुहूर्त को पुण्य काल मुहूर्त की तुलना में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यदि कुंभ संक्रांति सूर्यास्त के बाद होती है तो पुण्य काल की सभी गतिविधियाँ अगले दिन सूर्योदय तक के लिए स्थगित कर दी जाती हैं। इसलिए पुण्य काल के सभी कार्य दिन के समय ही करने चाहिए।

कुंभ संक्रांति महत्व -

कुंभ संक्रांति के दिन जब सूर्य देव अपने पुत्र शनि की राशि कुंभ में रहते हैं तो इस दिन स्नान करने के बाद मान-सम्मान में वृद्धि, अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कुंभ संक्रांति पर गेहूं, गुड़, लाल फूल, लाल वस्त्र, तांबा, तिल आदि का दान करना चाहिए। सूर्य के मजबूत होने से करियर में तरक्की मिलती है, पिता का प्यार और सहयोग प्राप्त होता है। राजनीति करने वालों के लिए बड़े पद की प्राप्ति का योग बनता है।

संक्रान्ति किसे कहते हैं?

सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने को संक्रांति कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 12 राशि हैं। सभी ग्रह बारी बारी से इन 12 राशियों में प्रवेश करते हैं। सूर्य के हर महीने राशि परिवर्तन करता है और जब एक राशि से दूसरे राशि में जाता है तो वह राशि परिवर्तन संक्रान्ति कहलाता है। इसलिए पूरे साल में 12 संक्रांतियां होती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसी के अनुसार संक्रांति का नाकुंभण किया जाता है।

संक्रांति के दिन पितृ तर्पण, दान, धर्म और स्नान आदि का बहुत महत्व माना जाता है। प्रत्येक संक्रांति का अपना अलग महत्व होता है।

कुंभ संक्रांति पूजा विधि - संक्रान्ति व्रत

जिस दिन संक्रान्ति हो उस दिन प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर यह संकल्प करें -

ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः । ॐ अद्य ब्रह्मणो द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे बौद्धावतारे भूर्लोके जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे - (अपने नगर/गांव का नाम लें) - नगरे/ ग्रामे विक्रम संवत 2080 पिंगल नाम संवत्सरे माघ मासे शुक्ल पक्षे चतुर्थी तिथौ ..वासरे (दिन का नाम जैसे सोमवार है तो "सोम वासरे ")..(अपने गोत्र का नाम लें) ... गोत्रोत्पन्न ... (अपना नाम लें)... शर्मा / वर्मा / गुप्तोऽहम् ज्ञाताज्ञातसमस्तपातकोपपातकदुरितक्षयपूर्वक श्रुतिस्मृति- पुराणोक्तपुण्यफलप्राप्तये श्रीसूर्यनारायणप्रीतये च कुम्भसंक्रमण- कालीनमयनकालीनं वा स्नानदानजपहोमादिकर्माहं करिष्ये ।'

( उदहारण के लिए - ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः । ॐ अद्य ब्रह्मणो, द्वितीयपरार्धे, श्रीश्वेतवाराहकल्पे, वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे, कलियुगे, कलिप्रथमचरणे, बौद्धावतारे, भूर्लोके, जम्बूद्वीपे, भरतखण्डे, भारतवर्षे, पटना नगरे, विक्रम संवत 2080 पिंगल नाम संवत्सरे, माघ मासे, शुक्ल पक्षे, चतुर्थी तिथौ, भौम वासरे, वाशिष्ठ गोत्रोत्पन्न, साधक प्रभात शर्मोऽहम्, ज्ञाताज्ञात समस्तपातकोपपातक दुरितक्षयपूर्वक श्रुतिस्मृति- पुराणोक्तपुण्यफलप्राप्तये श्रीसूर्यनारायणप्रीतये च कुम्भसंक्रमण- कालीनमयनकालीनं वा स्नानदानजपहोमादिकर्माहं करिष्ये ।' )

- यह संकल्प करके वेदी या चौकीपर लाल कपड़ा बिछाकर अक्षतों का अष्टदल लिखे और उसमें सुवर्णमय सूर्यनारायणकी मूर्ति-स्थापन करके उनका पञ्चोपचार (स्नान, गन्ध, पुष्प, धूप और नैवेद्य) से पूजन और तिराहार, साहार, अयाचित, नक्त या एकभुक्त व्रत करे तो सब प्रकारके पापों का क्षय, सब प्रकार की अधि-व्याधियों का निवारण और सब प्रकार की हीनता अथवा संकोच का निपात होता है तथा प्रत्येक प्रकार की सुख-सम्पत्ति, संतान और सहानुभूति की वृद्धि होती है।

आयुः संक्रान्ति व्रत -

स्कन्दपुराण में आयु की वृद्धि के लिया संक्रान्ति के दिन व्रत रखने का विधान बताया गया है। इसके अनुसार संक्रान्ति के दिन व्रत रखकर काँसा के पात्र में यथासामर्थ्य घी, दूध और सुवर्ण रखकर गन्धादि से पूजन करके उसका निम्न मंत्र से दान करना चाहिए -
क्षीरं च सुरभीजातं पीयूषममलं घृतम्।
आयुरारोग्यमैश्वर्यमतो देहि द्विजार्पितम् ॥

इससे व्यक्ति की आयु, तेज और आरोग्यता आदि की वृद्धि होती है।

कुंभ संक्रांति के दौरान क्या करें?

कुंभ संक्रांति के दिन भगवान सूर्य देव की पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान को तिल और खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए और ब्राह्मण को भोजन करवाना चाहिए। भगवान सूर्य का पूजन सम्पन्न होने के पश्चात तिल, उड़द दाल, चावल, गुड़, सब्जी कुछ धन – दक्षिणा एवं यथाशक्ति वस्त्र इत्यादि किसी ब्राह्मण को दान करें।

कुंभ संक्रांति के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान के जल में तिल मिलाकर स्नान करें।

तत्पश्चात लाल वस्त्र धरण करें तथा दाहिने हाथ में जल लेकर पूरे दिन बिना नमक खाए व्रत करने का संकल्प ग्रहण करें।

प्रातः सूर्य देव को तांबे के लोटे में शुद्ध जल, तिल, लाल चंदन, लाल पुष, अक्षत, गुड़ इत्यादि डालकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें। सूर्यदेव को जल अर्पित करते हुए नीचे एक तांबे का पात्र रख लें जिसमे सारा जल एकत्रित कर लें। तांबे के बर्तन में इकट्ठा किया जल मदार के पौधे में डाल दें।

जल चढ़ाते हुए निम्नलिखित मंत्र बोलें –

ऊं घृणि सूर्यआदित्याय नम:

इसके बाद निम्नलिखित मंत्रों के माध्यम से सूर्य देव की स्तुति करें और सूर्य देवता को नमस्कार करें –

1. ऊं सूर्याय नम:।
2. ऊं आदित्याय नम:।
3. ऊं सप्तार्चिषे नम:।
4. ऊं सवित्रे नम:।
5. ऊं मार्तण्डाय नम:।
6. ऊं विष्णवे नम:।
7. ऊं भास्कराय नम:।
8. ऊं भानवे नम:।
9. ऊं मरिचये नम:।

कुंभ संक्रांति के दिन श्रीनारायण कवच, आदित्य हृदय स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं इससे आपको विशेष शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

संक्रान्तिव्रत (वङ्गऋषिसम्मत) -

मेषादि किसी भी संक्रान्ति का जिस दिन संक्रमण हो उस दिन प्रातः स्नानादिसे निवृत्त होकर
मम ज्ञाताज्ञातसमस्तपातकोपपातकदुरितक्षयपूर्वक श्रुतिस्मृति- पुराणोक्तपुण्यफलप्राप्तये श्रीसूर्यनारायणप्रीतये च अमुकसंक्रमण- कालीनमयनकालीनं वा स्नानदानजपहोमादिकर्माहं करिष्ये ।'
यह संकल्प करके वेदी या चौकीपर लाल कपड़ा बिछाकर अक्षतोंका अष्टदल लिखे और उसमें सुवर्णमय सूर्यनारायणकी मूर्ति-स्थापन करके उनका पञ्चोपचार (स्नान, गन्ध, पुष्प, धूप और नैवेद्य) से पूजन और तिराहार, साहार, अयाचित, नक्त या एकभुक्त व्रत करे तो सब प्रकारके पापोंका क्षय, सब प्रकारकी अधि-व्याधियोंका निवारण और सब प्रकारकी हीनता अथवा संकोचका निपात होता है तथा प्रत्येक प्रकारकी सुख-सम्पत्ति, सं तान और - सहानुभूतिकी वृद्धि होती है।

कुंभ संक्रांति का दान

कुंभ संक्रांति का स्नान करने के बाद सूर्य देव से जुड़ी वस्तुओं का दान करना चाहिए। उस दिन आप गेहूं, गुड़, लाल फूल, लाल वस्त्र, तांबा, तिल आदि का दान कर सकते हैं। दान करने से कुंडली का सूर्य दोष दूर होता है। सूर्य के मजबूत होने से करियर में तरक्की मिलती है, पिता का प्यार और सहयोग प्राप्त होता है। राजनीति करने वालों के लिए बड़े पद की प्राप्ति का योग बनता है।

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