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अङ्गारक संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत

Angarak Sankashti Shri Ganesh Chaturthi Vrat

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गणेश चतुर्थी Ganesh Chaturthi
 

अङ्गारक संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत

आलेख © कॉपीराइट - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

19 नवम्बर 2024, मंगलवार को है

अंगारक संकष्टी चतुर्थी, भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित एक व्रत है। अंगार की चतुर्थी मंगलवार को पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी है। संकष्टी चतुर्थी के सभी दिनों में यह अत्यधिक शुभ माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी जिसे 'संकटहर चतुर्थी' के नाम से भी जाना जाता है, भगवान गणेश को समर्पित एक शुभ दिन है। यह दिन प्रत्येक चंद्र हिंदू कैलेंडर या हिन्दू पंचांग के अनुसार माह में कृष्ण पक्ष के चौथे दिन (चंद्रमा के घटते पखवाड़े) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है। मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का स्वरूप चार मस्तक और चार भुजाओं वाला होता है, जिन्हें संकटमोचन गणेश कहा जाता है। अंगारक संकष्टी चतुर्थी पर पूजा करने से मंगल दोष दूर होता है और कुंडली में मंगल की स्थिति शुभ रहती है।

अंगारक संकष्टी चतुर्थी पर पूजा करने की विधि -
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य को जल चढ़ाएं।
घर के मंदिर में गणेश जी की मूर्ति को गंगाजल और शहद से साफ़ करें।
गणेश जी के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न न खाएं।
गणेश जी की मूर्ति पर सिंदूर, चंदन, फूल, और फूलों की माला चढ़ाएं।
गणेश जी को सुगंधित धूप दिखाएं।
गणेश जी के मंत्र, चालीसा, और स्तोत्र का वाचन करें।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने के बाद शाम को स्वयं भोजन ग्रहण करें।

गणेश चतुर्थी व्रत का संकल्प

ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः । ॐ अद्य ब्रह्मणो द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे बौद्धावतारे भूर्लोके जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे - (अपने नगर/गांव का नाम लें) - नगरे/ ग्रामे विक्रम संवत 2081 पिंगल नाम संवत्सरे मार्गशीर्ष मासे कृष्ण पक्षे चतुर्थी तिथौ मंगल वासरे ..(अपने गोत्र का नाम लें) ... गोत्रोत्पन्न ... (अपना नाम लें)... शर्मा / वर्मा / गुप्तोऽहम् यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः मार्गशीर्ष मासे चतुर्थी तिथौ मम सर्वकर्मसिद्धये सिद्धिविनायकपूजनमहं करिष्ये।

अंगारक संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा - मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष


हिंदू शिक्षाओं के अनुसार पृथ्वी (माता) और भारद्वाज ऋषि के पुत्र अंगारक एक सिद्ध ऋषि थे। भगवान गणेश के एक महान भक्त होने के कारण उन्होंने भगवान गणेश की पूजा की और उनसे आशीर्वाद माँगा। माघ कृष्ण चतुर्थी (मंगलवार) के दिन भगवान गणेश ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनसे एक इच्छा के बारे में पूछा। अंगारक ने कहा कि उनकी एकमात्र इच्छा है कि भगवान गणेश के नाम के साथ उनका नाम हमेशा के लिए जुड़ा रहे। भगवान ने उनकी इच्छापूर्ति की और यह घोषणा की, कि जो कोई भी अंगारकी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करेगा, उसे वह सब कुछ मिलेगा जिसकी वह कामना करता है। उसी दिन से माघ कृष्ण चतुर्थी को अंगारक चतुर्थी के नाम से जाना जाने लगा।

भगवान् गणेश सब की मनोकामना पूर्ण करें

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