विघ्ननाशक गणपति स्तोत्र
Destroyer of obstacles ganpati stotra
विघ्ननाशक गणपति स्तोत्र
परं धाम परं ब्रह्म परेशं परमीश्वरम्।
विघ्ननिघ्नकरं शान्तं पुष्टं कान्तमनन्तकम् ॥
जो परम धाम, परब्रह्म, परेश, परम ईश्वर, विघ्नों के विनाशक, शान्त, पुष्ट, मनोहर और अनन्त है।
सुरासुरेन्द्रैः सिद्धेन्द्रेः स्तुतं स्तौमि परात्परम्।
सुरपद्यदिनेशं च गणेशं मंगलायनम् ॥
प्रधान प्रधान सुर, असुर और सिद्ध जिनका स्तवन करते हैं जो देवरूपी कमल के लिए सूर्य और मंगलों के लिए आश्रय स्थान हैं। उन परात्पर गणेश की मैं स्तुति करता हूँ। यह उत्तम स्तोत्र महान् पुण
इदं स्तोत्रं महापुण्यं विघ्नशोकहरं परम् ।
यः पठेत् प्रातरुथाय सर्वविघ्नात् प्रमुच्यते ॥
यह उत्तम स्तोत्र महान् पुण्यमय विघ्न और शोक को हरने वाले हैं जो प्रातः काल इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह सम्पूर्ण विघ्नों से विमुक्त हो जाता है।यह उत्तम स्तोत्र महान् पुण्यमय विघ्न और शोक को हरने वाले हैं जो प्रातः काल इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह सम्पूर्ण विघ्नों से विमुक्त हो जाता है।
भगवान् गणेश सब की मनोकामना पूर्ण करें
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