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सङ्कटनाशन गणेश स्तोत्रम् हिंदी में अर्थ सहित

Sankatnashan Ganesh Stotram with meaning in hindi

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गणेश चतुर्थी Ganesh Chaturthi
 

श्रीगणपतिस्तोत्रम् हिंदी अर्थ सहित

आलेख © कॉपीराइट - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

सङ्कटनाशन गणेश स्तोत्रम्

नारद उवाच (नारदजी बोले - )

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुः कामार्थसिद्धये ॥ १ ॥

पार्वतीनन्दन देवदेव श्रीगणेशजी को सिर झुकाकर प्रणाम करे और फिर अपनी आयु, कामना और अर्थ की सिद्धि के लिये उन भक्तनिवास का नित्यप्रति स्मरण करे ॥ १ ॥

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥ २ ॥

पहला वक्रतुण्ड (टेढ़े मुखवाले), दूसरा एकदन्त (एक दाँतवाले), तीसरा कृष्णपिङ्गाक्ष (काली और भूरी आँखोंवाले), चौथा गजवक्त्र (हाथीके से मुखवाले) ॥ २ ॥

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥ ३ ॥

पाँचवाँ लम्बोदर (बड़े पेटवाले), छठा विकट (विकराल), सातवाँ विघ्नराजेन्द्र (विघ्न्नोंका शासन करनेवाले राजाधिराज) तथा आठवाँ धूम्रवर्ण (धूसर वर्णवाले) ॥ ३ ॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥ ४ ॥

नवाँ भालचन्द्र (जिसके ललाटपर चन्द्रमा सुशोभित है), दसवाँ विनायक, ग्यारहवाँ गणपति और बारहवाँ गजानन ॥ ४ ॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥ ५ ॥


इन बारह नामोंका जो पुरुष (प्रातः, मध्याह्न और सायंकाल) तीनों सन्ध्याओं में पाठ करता है, हे प्रभो ! उसे किसी प्रकार के विघ्न का भय नहीं रहता; इस प्रकार का स्मरण सब प्रकार की सिद्धियाँ देनेवाला है ॥ ५ ॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥ ६ ॥

इससे विद्याभिलाषी विद्या, धनाभिलाषी धन, पुत्रेच्छु पुत्र तथा मुमुक्षु मोक्षगति प्राप्त कर लेता है ॥ ६ ॥

जपेद्गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥ ७ ॥

इस गणपतिस्तोत्र का जप करे तो छः मास में इच्छित फल प्राप्त हो जाता है तथा एक वर्ष में पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो जाती है- इसमें किसी प्रकारका सन्देह नहीं है ॥ ७ ॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥ ८ ॥

जो पुरुष इसे लिखकर आठ ब्राह्मणों को समर्पण करता है, गणेशजी की कृपा से उसे सब प्रकार की विद्या प्राप्त हो जाती है ॥ ८ ॥

इति श्रीनारदपुराणे सङ्कटनाशनगणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।

भगवान् गणेश सब की मनोकामना पूर्ण करें

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सङ्कटनाशन गणेश स्तोत्रम् Sankatnashan Ganesh Stotram