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सनातन संस्कार

Sanatan Sanskar

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आलेख - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

सनातन संस्कार

सनातन धर्म में हमारे आर्ष ऋषियों ने मानव जीवन के कल्याण हेतु कई संस्कारों का विधान किया है जिससे किसी भी वयक्ति को शुद्ध करके योग्य या उपयुक्त बनाया जा सके और उनको ज्ञान-विज्ञान से संयुक्त किया जा सके। ऋग्वेद के साथ अन्य वेदों में संस्कारों की संख्या का उल्लेख नहीं है किन्तु गौतम धर्मसूत्र के मुताबिक, सनातन धर्म में 40 संस्कारों का उल्लेख है जिसमें सोलह संस्कार विशेष महत्त्व के हैं जिनका संबंध सम्पूर्ण मानव जाति से है और उनके सामान्य जीवन को प्रभावित करने वाला है। इन्हें षोडश संस्कार भी कहा जाता है। यह सोलह संस्कार व्यक्ति के जन्म की प्रारंभिक प्रक्रिया गर्भाधान से लेकर जीवन की आखरी संस्कार अंत्येष्टि तक होते हैं। नीचे दिए गए लिंक से आप सभी संस्कारों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा सनातन शक्ति केंद्रों से जुड़े कर इसको अपने जीवन में आत्मसात कर अपने जीवन को उच्च शिखर तक ले जा सकते हैं।

कन्या के संस्कार के सन्दर्भ में व्यास स्मृति (1/15-16) में लिखा गया है कि बालक के संस्कार मंत्रयुक्त होंगे किन्तु कन्या के गर्भाधान से कर्णवेध तक नौ संस्कार बिना वेद मंत्रों के तथा दशवां विवाह संस्कार वेदोक्त मंत्रों से सम्पन्न होना चाहिये।

प्राचीन ग्रंथों में संस्कारों का विधान वर्ण आधारित था जो आज के समय में मैं उचित नहीं समझता और यह वैज्ञानिक पद्धति सभी सनातनियों की लिए सामान रूप से है यह मेरी स्पष्ट मान्यता है और एक गुरु के रूप में सभी सनातनियों को चाहे वो जिस जाति-समाज से आते हों, इन वैज्ञानिक गुरों को सिखाने का उपाय करता हूँ।

हिन्दू धर्म के 16 संस्कार -

(1) गर्भाधान संस्कार

(2) पुंसवन संस्कार

(3) सीमन्तोन्नयन संस्कार

(4) जातकर्म संस्कार

(5) नामकरण संस्कार

(6) निष्क्रमण संस्कार

(7) अन्नप्राशन संस्कार

(8) मुण्डन संस्कार

(9) कर्णवेध संस्कार

(10) यज्ञोपवीत संस्कार

(11) वेदारंभ संस्कार

(12) केशान्त संस्कार

(13) समावर्तन (ब्रह्मचर्य समाप्ति स्नान) संस्कार

(14) विवाह

(15) विवाहाग्नि ग्रहण

(16) अन्त्येष्टि संस्कार

गौतम धर्मसूत्र में बताये गये 48 संस्कारों में 40 संस्कार द्विज हेतु हैं और 8 संस्कार आत्मगुणीय हैं। द्विज हेतु 40 संस्कार हैं -

(1) गर्भाधान (2) पुंसवन (3) सीमन्तोन्नयन (4) जातकर्म (5) नामकरण (6) अन्नप्राशन (7) मुण्डन (8) उपनयन (9) ऋग्वेद का आरंभ (10) यजुर्वेदारम्भ (11) सामवेदारम्भ (12) अथर्ववेदारम्भ (13) समावर्त्त स्नान (14) विवाह (15) देवयज्ञ (16) पितृयज्ञ (17) मनुष्ययज्ञ (18) भूतयज्ञ (19) ब्रह्मयज्ञ (20) अगहन कृष्णाष्टका श्राद्ध (21) पौष कृष्ण सप्तमी श्राद्ध (22) माघ कृष्णाष्टका श्राद्ध (23) श्रावणी कर्म (24) आग्रहायणीि यज्ञ (25) चैत्रपूर्णिमा यज्ञ (26) आश्विन पूर्णिमा यज्ञ (27) अग्नियों का स्थापन (28) अग्निहोत्र (29) दर्श पोर्णमास यज्ञ (30) आग्रयणेष्टिक (नवान्नेष्टि) (31) चातुर्मास यज्ञ (32) पशुबन्ध यज्ञ (33) सौत्रामणि यज्ञ (34) अग्निष्टोम (35) अत्यग्निष्टोम यज्ञ (36) उक्थ्य (37) षोडशी (38) वाजपेय (39) अतिरात्र (40) अप्तोर्याम इस प्रकार के 40 संस्कार द्विज के होने का प्रमाण स्मृति में है। (गौतम स्मृति 913)

आत्मगुणीय 8 संस्कार के लिए निम्न श्लोक दिया गया है -

दया सर्वभूतेषु क्षान्तिरनसूया शौचमनायासो मंगलमकार्पण्यमस्पृहेति ।।

अर्थात 1. प्राणीमात्र पर दया, 2. क्षमा, 3. अनसूया, 4. शौच, 5. अनायास (क्षुद्र कार्य न करना), 6. मंगल (सदा उत्साही-आनंदी), 7. अकार्पण्य, 8. अस्पृहा (कोई इच्छा न करना।)

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