मुण्डन संस्कार चूडाकरण संस्कार
Mundan Sanskar Chudakaran Sanskar
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आलेख - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)
मुण्डन संस्कार चूडाकरण संस्कार
चूडाकरण संस्कार प्रथम या तीसरे वर्ष में किया जाता है। इससे बल, आयु तथा तेज की वृद्धि होती है।
हमारे शरीर में ज्ञान का केन्द्र सिर है तथा जीवन के सभी कार्यों की सफलता और निष्पादन के लिए शरीर को दी जाने वाली आवश्यक निर्देश यहीं अवस्थित मष्तिक द्वारा सुषुम्ना नाड़ी को दी जाती है जो दूसरी नाड़ियों और उपनाड़ियों के सहयोग से पुरे शरीर में सम्प्रेषित करती है।
जीवन के सभी कार्यों की सफलता में ऊर्जा तथा बुद्धि (क्रियाशक्ति) का आधार शरीर में स्थित मेरुदण्ड के भीतर रहनेवाली सुषुम्ना नाड़ी है। इसी नाड़ी से दूसरी नाड़ियाँ और उपनाड़ियाँ शरीर में जाल की तरह फैली हुई हैं। जिनके द्वारा शरीर के अंग प्रत्यंग में क्रिया करने की सामर्थ्य आती है। क्रियाशक्ति (बल) की आधारभूता यह सुषुम्ना नाड़ी सिर में जहाँ जाकर समाप्त होती है, वहाँ 'अधिपति' नाम का अति कोमल मर्मस्थान होता है। सुश्रुतसंहिता में कहा गया है कि यहाँ चोट लगने पर तत्काल मरण हो जाता है (सुश्रुत० शारीर० 6 । 27 ) ।
अधिपति नाम का मर्मस्थान सिर में कहां होता है? चोटी टीक क्यों रखा जाता है ?
मस्तक के भीतर ऊपर को जहाँ पर बालों का भँवर होता है, वहाँ सम्पूर्ण नाड़ियों और सन्धियों का मेल हुआ है। उसे 'अधिपति' नामका मर्मस्थान कहा जाता है। सुश्रुतसंहिता में कहा गया है कि यहाँ चोट लगने पर तत्काल मरण हो जाता है। ऐसे प्राणनाशक मर्मकी रक्षा के लिये तथा ज्ञानशक्ति और क्रियाशक्ति की सुरक्षा एवं वृद्धि के लिये ऋषियों ने उस स्थान पर चोटी (टीक) रखने का विधान किया है। मर्मस्थान के रक्षित हो जाने से आयु की वृद्धि होना तथा क्रियाशक्ति (बल) की और ज्ञानशक्ति की रक्षा तथा वृद्धि से बल तथा बुद्धि (ज्ञान) की वृद्धि होना बताया गया है।
मुण्डन - चूडाकरण की विधि एवं मंत्र -
यजुर्वेद में कहा गया है कि निम्न मन्त्र से बालक को सम्बोधित करके शुभ मुहूर्त में हल्के हाथवाले कुशल नाई से बालक का मुण्डन कराये -
नि वर्त्तयाम्यायुषेऽन्नाद्याय प्रजननाय रायस्पोषाय सुप्रजास्त्वाय सुवीर्याय ॥ (यजुर्वेद 3।63)
हिंदी अर्थ - हे बालक ! दीर्घायु के लिये, अन्नग्रहण में समर्थ बनाने के लिये, उत्पादनशक्ति के लिये, ऐश्वर्यवृद्धि के लिये, सुन्दर सन्तान के लिये, बल तथा पराक्रम-प्राप्ति के योग्य होने के लिये तेरा चूड़ाकरण (मुण्डन) करता हूँ।
मुंडन के बाद बाद में सिर पर मक्खन या मलाई की मालिश करे।