हमारा प्रयास सनातनियों, खासकर ग्रामीण भारत के बच्चों के लिए विज्ञान, समाज एवं धर्म -संस्कृति में उच्चस्तरीय विषय सामग्री उपलब्ध कराना है ताकि उनका बुनियाद विज्ञान विषय में मजबूत रहे, साथ ही अपने देश की सभ्यता संस्कृति से पूर्ण रूप से परिचित रहें। विज्ञान विषय की पृष्ठ्भूमि वेद, उपनिषद, गीता में हीं है, इस विषय में जानकारी देने पर हमारा विशेष जोर है। जैसे गीता के अध्याय दो के श्लोकों और हाई स्कूलों में पढ़ाई जा रही रसायन, भौतकी एवं जीव विज्ञान के विषय सामग्री को एक दूसरे के आलोक में अध्ययन करना एवं एकरूपता से परिचय कराना, जिससे हमारे छात्र अपने अनुभव से समझ सके कि गीता और उपनिषद, आधुनिक विज्ञान को अपने में समेटे उससे काफी आगे का विज्ञान है और हमारी सनातन संस्कृति उनके विकास के लिए परिपूर्ण है।
आम तौर पर विज्ञान की हिंदी माध्यम की जो पुस्तकें होती हैं उनकी हिंदी, विज्ञान के छात्रों के लिए उसी प्रकार बाधक हो जाती है जैसे बछड़े के लिए गाय की जंघा। इसी समस्या को सुलझाने के लिए बहुत मेहनत से व्यवहारिक तरीका अपनाते हुए विज्ञान विषय की सामग्री लिखा हूँ। उम्मीद करता हूँ हमारे छात्र इससे लाभान्वित होंगे।
हमारे विचार या शिक्षा उनके लिए है जो ईश्वर में आस्था रखते हैं। हम शिव और शक्ति के उपासक हैं जिसका निष्कल स्वरूप "ॐ" है। अत: हमारे विचारों पर इसका प्रभाव होता है। हमारी आस्था है कि ईश्वर को मानने वाले सभी एक हैं। सहजता जीवन शैली है। मानसिक शांति एवं शांत वातावरण परम लाभ है और ईश्वर कर्म का फल अवश्य देते हैं।
जिनका विश्वास अलग है, उनके लिए हमारे विचार नहीं हैं। अतः इस पर किसी अन्य चर्चा की आवश्यकता नहीं है।
हमारा कार्य क्षेत्र व्यक्ति के "योग्यता एवं क्षमता" बढ़ाने तथा "शांति" पाने से जुड़ा है। आस्था की इसमें बड़ी भूमिका है।
हम सभी व्यक्तियों का स्वागत करते हैं।
- साधक प्रभात कुमार
Our effort is to provide high-level subject material in science, society and religion-culture for Hindi speaking students, especially children of rural India, so that their foundation remains strong in science, as well as to be fully aware of the civilizational culture of their country. For this we are also running off-line classes in which we are teaching science and Gita. Generally, the Hindi medium books of science, their Hindi becomes a hindrance to the students of science in the same way as a cow's thigh for a calf. To solve this problem, I have written the material of science subject with a lot of hard work adopting practical method. Hope our students will be benefited by this.
- Sadhak Prabhat
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