महालक्ष्मी व्रत 2024
Mahalakshmi Vrat 2024
आलेख - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)
॥ श्रीहरिः ॥
महालक्ष्मी व्रत 2024 - 10 सितंबर 2024, ज्येष्ठा गौरी महालक्ष्मी व्रत - 11 सितंबर 2024
महालक्ष्मी व्रत का समापन 24 सितंबर को है। यह व्रत गणेश चतुर्थी के 4 दिन बाद शुरू होकर करीब 16 दिनों तक चलता है।
स्कन्दपुराण के अनुसार महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद शुक्लक अष्टमी से आरम्भ करके आश्विन कृष्ण अष्टमी तक की जाती है। यह व्रत गणेश चतुर्थी के 4 दिन बाद शुरू होकर करीब 16 दिनों तक चलता है। आश्विन कृष्ण कृत्य महालक्ष्मी व्रत के लिए पूर्व या पर विद्ध अष्टमी चन्द्रोदय व्यापिनी ही ग्राह्य है। आश्विनकृष्ण पक्ष में जिस दिन चन्द्रोदय काल में अष्टमी प्राप्त हो उस दिन महालक्ष्मी व्रत करना चाहिए। अतः 10 सितंबर 2024 को महालक्ष्मी व्रत है।
महालक्ष्मी व्रत 2024 शुभ मुहूर्त -
काशी के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर को शाम में 6 बजकर 1 मिनट से अनुराधा नक्षत्र में शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 11 सितंबर को शाम में 6 बजकर 23 मिनट पर होगा। भाद्रपद माह में, शुक्ल पक्ष में, अनुराधा नक्षत्र में कुलाचार के अनुसार महालक्ष्मी/गौरी की प्रतिमा या प्रतीक स्थापित किये जाते हैं।
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि
महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat Puja) के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद मंदिर की सफाई करें। चौकी पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। मां लक्ष्मी का पंचामृत से स्नान कराएं और विधिपूर्वक पूजा करें। इसके पश्चात लालसूत, सुपारी नारियल, चंदन, पुष्प, अक्षत, फल समेत आदि चीजों को अर्पित करें। मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें और मां लक्ष्मी चालीसा का पाठ कर मंत्रों का जप करें। अंत में फल, मिठाई, कुट्टू के आटे के पकोड़े और साबूदाने की खीर का भोग लगाएं।
इस दौरान प्रतिदिन 16 अञ्जलि कुल्ले करके प्रातः स्नानादि नित्यकर्म कर चन्दनादि निर्मित लक्ष्मी की प्रतिमा का स्थापन करे। उसके समीप सोलह सूत्र के डोरे में 16 गाँठ लगाकर उनका 'लक्ष्म्यै नमः' से प्रत्येक गाँठ का पूजन करके लक्ष्मीकी प्रतिमाका पूजन करे। पूजन के पश्चात् 'धनं धान्यं धरां हर्म्य कीर्तिमायुर्यशः श्रियम् । तुरगान् दन्तिनः पुत्रान् महालक्ष्मि प्रयच्छ मे ।।' से उक्त डोरे को दाहिने हाथ में बाँधे और हरी दूर्वा के16 पल्लव और 16 अक्षत लेकर कथा सुने। इस प्रकार करके आश्विन कृष्ण अष्टमी को विसर्जन करे।
ज्येष्ठा गौरी महालक्ष्मी व्रत
महालक्ष्मी व्रत को ज्येष्ठा गौरी व्रत भी कहते हैं और ज्येष्ठा गौरी व्रत के रूप में यह तीन दिनों तक मनाई जाती है। तीन दिनों तक मनाई जाने वाली इस ज्येष्ठा गौरी पूजा में भाद्रपद शुक्ल पक्ष में अनुराधा नक्षत्र में आगमन होता है, ज्येष्ठा नक्षत्र में पूजा और भोग होता है एवं मूल नक्षत्र में उनका विसर्जन होता। ज्येष्ठा गौरी की पूजा करने वाले महालक्ष्मी व्रत का शुभारंभ 11 सितंबर से करेंगे। ज्येष्ठा नक्षत्र में महालक्ष्मी का पूजन और महानैवेद्य किया जाता है। गौरी को स्वयं महालक्ष्मी कहा जाता है और चूँकि उनकी पूजा ज्येष्ठा नक्षत्र में की जाती है इसलिए उन्हें ज्येष्ठा गौरी कहा जाता है।
1. पहला दिन आगम: पहले दिन मां महालक्ष्मी का आह्वान करते हैं जब उनका आगमन होता है और उन्हें विराजमान करके उनकी पूजा करते हैं। इस बार 10 सितंबर को आगम रहेगा।
2. दूसरा दिन भोग : इस दिन मां महा लक्ष्मी को सभी तरह के भोग लगाएं जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। इस बार 11 को महानवमी और भोग रहेगा। मुख्य पूजा 11 सितंबर 2024 बुधवार को रहेगी।
3. तीसरा दिन विसर्जन इस दिन माता लक्ष्मी की विदाई होती हैं यानी विसर्जन किया जाता है। 12 सितंबर 2024 को विसर्जन होगा
महालक्ष्मी व्रत पूजा सामग्री लिस्ट
कपूर, घी, दीपक, अगरबत्ती, धूपबत्ती, सुपारी, साबुत नारियल, कलश और 16 श्रृंगार की वस्तुएं जैसे इत्र, पायल, बिछिया, अंगूठी, गजरा, कान की बाली या झुमके, शादी का जोड़ा, मेहंदी, मांगटीका, काजल, मंगलसूत्र, चूड़ियां, बाजूबंद, कमरबंद, सिंदूर और बिंदी।
मां लक्ष्मी मंत्र
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
धिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥