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दीपावली और धनतेरस के दिन धन के स्वामी कुबेर के नौ रुपों की आराधना

धनकुबेर पुष्प कुबेर चंद्र कुबेर पीत कुबेर हंस कुबेर राग कुबेर अमृत कुबेर प्राण कुबेर उग्र कुबेर

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॥ श्रीहरिः ॥

दीपावली और धनतेरस के दिन धन के स्वामी कुबेर के नौ रुपों की आराधना

धनकुबेर पुष्प कुबेर चंद्र कुबेर पीत कुबेर हंस कुबेर राग कुबेर अमृत कुबेर प्राण कुबेर उग्र कुबेर


आलेख - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

दीपावली और धनतेरस के दिन धन के स्वामी कुबेर के नौ रुपों में से किसी भी रूप की आराधना करने से मनचाहा फल प्राप्त होता है, उसे धन की कभी कमी नहीं होती। कुबेर के नौ रूप -

धनकुबेर — धनकुबेर की धन प्राप्त करने के लिए आराधना की जाती है इनकी आराधना मंगलवार के दिन की जाती है इनकी आराधना के समय पूर्व दिशा मैं मुख होना चाहिए।

पुष्प कुबेर — रिश्तो को सौम्या बनाने के लिए पुष्प रूप कुबेर की आराधना की जाती है इनका दिन मंगलवार है और इनकी दिशा उत्तर दिशा मानी गई है।

चंद्र कुबेर — चंद्र कुबेर की आराधना संतान प्राप्ति के लिए की जाती है इनकी आराधना रविवार के दिन की जाती है इस आराधना के लिए मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

पीत कुबेर — पीत कुबेर को संपत्ति के लिए पूजा जाता है जिन लोगों को प्रॉपर्टी चाहिए, उन्हें पीत कुबेर की पूजा करनी चाहिए पीत कुबेर की पूजा करने के लिए बुधवार का दिन शुभ माना गया है इसके लिए मुख पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए।

हंस कुबेर — कानूनी दावपेंच,मुकदमे में जीत आदि के लिए हंस कुबेर की पूजा की जाती है इनकी आराधना शनिवार के दिन की जाती है, और मुख दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए।

राग कुबेर — राग कुबेर की आराधना शिक्षा प्राप्ति के लिए लेखन,चित्र कला,नृत्य आदि में प्रसिद्धि के लिए की जाती है इसका दिन वीरवार है और दिशा पूर्व दिशा मानी गई है।

अमृत कुबेर — सभी रोगों की के नाश के लिए अमृत कुबेर की पूजा की जाती है इनकी आराधना शुक्रवार के दिन की जाती है और मुख पश्चिम दिशा में होना चाहिए।

प्राण कुबेर — ऋण नाशक प्राण कुबेर की आराधना सोमवार के दिन उत्तर दिशा की तरफ मुख करके करनी चाहिए इससे सभी प्रकार के ऋणों का नाश होता है।

उग्र कुबेर — उग्र कुबेर की आराधना शत्रु नाश के लिए की जाती है इनकी आराधना शनिवार के दिन की जाती है इस आराधना के समय मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

कुबेर पूजा सामग्री

कुबेर जी को बिठाने के लिए चौकी, चौकी पर बिछाने के लिए लाल कपडा, जल कलश, पंचामृत, रोली, मोली, लाल चन्दन, हल्दी, धनिया, कमलगट्टा, दूर्वा, गंगाजल, सिन्दूर, लाल फूल और माला, इत्र, मिठाई, धनिया, सुपारी, लौंग, इलायची, नारियल फल, पंचमेवा, घी का दीपक, धूपबत्ती, कपूर आदि । चौकी पर लाल कपडा बिछा कर कुबेर जी की मूर्ति स्थापित करे ( मूर्ति ना हो तो कुबेर यन्त्र या फिर तिजोरी की पूजा करे ) कुंकुम से स्वस्तिक का चिन्न बनाये।

कुबेर पूजा विधि

सबसे पहले अपना पवित्रीकरण करें - पवित्रीकरण से शरीर की मानसिक शुद्धि होती है ताकि आप में आपके भीतर दिव्य शक्ति का आवाहन हो सके। दिव्य शक्ति के आवाहन हेतु आपके भीतर भी दिव्यता होना चाहिये तभी उस शक्ति के संवेग को आपका शरीर सह सकेगा।

पवित्रीकरण

बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की अनामिका से (कुश की ब्रह्मदण्डी से) निम्न मंत्र बोलते हुए अपने ऊपर एवं पूजन सामग्री पर जल छिड़कें –

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा।
यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ।।

अतिनील् घनश्यामं नलिनायतलोचनं|
स्मरामि पुण्डरीकाक्षं तेन स्नातो भवाम्यहम् ।।

आसन :

निम्न मंत्र से अपने आसन पर उपरोक्त तरह से जल छिड़कें-

ॐ पृथ्वी त्वया घता लोका देवि त्वं विष्णुना घृता ।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु च आसनम् ॥

(हिंदी में - हे धरती माता ! वही जीव जगत को धारण किया है और विष्णु जी ने आपको धारण किया है। हे देवी ! तुम मुझे भी धारण करो एवं मेरे आसन को पवित्र करो।)

आचमन :

प्रत्येक कार्यमें आचमनका विधान है। आचमनसे हम केवल अपनी ही शुद्धि नहीं करते, अपितु ब्रह्मासे लेकर तृणतकको तृप्त कर देते हैं। आचमन न करनेपर हमारे समस्त कृत्य व्यर्थ हो जाते हैं। लाँग लगाकर, शिखा बाँधकर उपवीती होकर और बैठकर तीन 'बार आचमन करना चाहिये। उत्तर, ईशान या पूर्वकी ओर मुख करके बैठ हाथ घुटनों के भीतर रखे। दक्षिण और पश्चिमकी ओर मुख करके आचमन न करें। दाहिने हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें-

ॐ केशवाय नमः स्वाहा ।
ॐ नारायणाय नमः स्वाहा ।
ॐ माधवाय नमः स्वाहा ।

इसके बाद अब यह बोलकर हाथ धो लें -

ॐ गोविन्दाय नमः हस्तं प्रक्षालयामि ।

अब अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, अक्षत व द्रव्य लेकर श्री कुबेर के पूजन का संकल्प करें -

संकल्प :

ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः । ॐ अद्य ब्रह्मणो द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे बौद्धावतारे भूर्लोके जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे - (अपने नगर/गांव का नाम लें) - नगरे/ ग्रामे विक्रम संवत 2080 पिंगल नाम संवत्सरे कार्तिकमासे, शुभ कृष्णपक्ष, अमावस्यां शुभ पुण्यतिथौ ..वासरे (दिन का नाम जैसे रविवार है तो "रवि वासरे ")..(अपने गोत्र का नाम लें) ... गोत्रोत्पन्न ... (अपना नाम लें)... शर्मा / वर्मा / गुप्तोऽहम् मम अस्मिन् धन ऐश्वर्यम्श्वर्याधभिवृद्धयर्थम् व्यापारे उत्तरोत्तरलाभार्थम् च दीपावली महोत्सवे कुबेर देवानाम् पूजनम् च करिष्ये।

( उदहारण के लिए - ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः, ॐ विष्णवे नमः । ॐ अद्य ब्रह्मणो, द्वितीयपरार्धे, श्रीश्वेतवाराहकल्पे, वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे, कलियुगे, कलिप्रथमचरणे, बौद्धावतारे, भूर्लोके, जम्बूद्वीपे, भरतखण्डे, भारतवर्षे, पटना नगरे, विक्रम संवत 2080 पिंगल नाम संवत्सरे, कार्तिकमासे, शुभ कृष्णपक्ष, अमावस्यां शुभ पुण्यतिथौ, रवि वासरे, वाशिष्ठ गोत्रोत्पन्न, साधक प्रभात शर्मोऽहम्, मम अस्मिन् धन ऐश्वर्यम्श्वर्याधभिवृद्धयर्थम् व्यापारे उत्तरोत्तरलाभार्थम् च दीपावली महोत्सवे कुबेर देवानाम् पूजनम् च करिष्ये।)

अब निधिपति कुबेर का निम्न वाक्य बोलकर आह्वान करें :-

आह्वान

आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरु ।
कोशं वर्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर ॥
॥ श्री कुबेर देवं आवाहयामि॥

आह्वान के पश्चात निम्न मंत्र द्वारा पाँच पुष्प से पुष्पाञ्जलि करें, आसन दें -

नाना-रत्न-समायुक्तं कात्तं - स्वर - विभूषितम् ।
आसनं देव - देवेश ! प्रीत्यर्थं प्रति गृह्यताम् ॥
॥ श्रीकुबेर देवाय आसनार्थे पञ्च पुष्पाणि समर्पयामि ॥

अब कुबेर जी की मूर्ति को जल, कच्चे दूध और पंचामृत से स्नान कराये ( मिटटी की मूर्ति हो तो सुपारी को स्नान कराये )। कुबेर जी की मूर्ति को नवीन वस्त्र और आभूषण अर्पित करे । रोली/कुमकुम, अक्षत, सिंदूर, इत्र ,दूर्वां , पुष्प और माला अर्पित करे । हल्दी, धनिया, कमलगट्टा, दूर्वा अर्पित करे । धुप और दीप दिखाए । भगवान् श्रीकुबेर का पूजन निम्न मन्त्रों द्वारा करें -

ॐ श्रीकुबेराय नमः पादयोः पाद्यं समर्पयामि ।
ॐ श्रीकुबेराय नमः शिरसि अर्घ्यं समर्पयामि ।
ॐ श्रीकुबेराय नमः गन्धाक्षतं समर्पयामि ।
ॐ श्रीकुबेराय नमः पुष्पं समर्पयामि ।
ॐ श्रीकुबेराय नमः धूपं घ्रापयामि ।
ॐ श्रीकुबेराय नमः दीपं दर्शयामि ।
ॐ श्रीकुबेराय नमः नैवेद्यं समर्पयामि ।
ॐ श्रीकुबेराय नमः आचमनीयं समर्पयामि ।
ॐ श्रीकुबेराय नमः ताम्बूलं समर्पयामि ।

कुबेर का पूजन कर प्रार्थना करें :-

धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च ।
भगवन् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः ॥

अब कुबेर मंत्र का काम से काम 1 माला का जाप इन तीन मंत्रों में से किसी भी एक से करें अथवा अपने गुरु द्वारा दिए गए मंत्र से करें।

1 . ऊं श्रीं ऊं ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः।

2. ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय स्वाहा।

3. ऊँ कुबेराय नमः।

मंत्र जाप के उपरांत श्री कुबेर जी की आरती करे । आरती के बाद पुष्पांजलि दे । धन प्राप्ति की प्रार्थना करते हुए पूजा में प्रयोग की गई हल्दी, धनिया, कमलगट्टा, दूर्वा आदि को एक कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें।

श्री महालक्ष्मी माई की जय

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