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सर्व देव कृत लक्ष्मी स्तोत्रं

Shri Lakshmi Stotram by Sarvadev

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 सर्व देव कृत लक्ष्मी स्तोत्रं

॥ श्रीहरिः ॥

सर्व देव कृत लक्ष्मी स्तोत्रं

क्षमस्व भगवत्यंब क्षमा शीले परात्परे।
शुद्ध सत्व स्वरूपेच कोपादि परि वर्जिते॥

उपमे सर्व साध्वीनां देवीनां देव पूजिते।
त्वया विना जगत्सर्वं मृत तुल्यंच निष्फलम्।
सर्व संपत्स्वरूपात्वं सर्वेषां सर्व रूपिणी।
रासेश्वर्यधि देवीत्वं त्वत्कलाः सर्वयोषितः॥

कैलासे पार्वती त्वंच क्षीरोधे सिंधु कन्यका।
स्वर्गेच स्वर्ग लक्ष्मी स्त्वं मर्त्य लक्ष्मीश्च भूतले॥

वैकुंठेच महालक्ष्मीः देवदेवी सरस्वती।
गंगाच तुलसीत्वंच सावित्री ब्रह्म लोकतः॥

कृष्ण प्राणाधि देवीत्वं गोलोके राधिका स्वयम्।
रासे रासेश्वरी त्वंच बृंदा बृंदावने वने॥

कृष्ण प्रिया त्वं भांडीरे चंद्रा चंदन कानने।
विरजा चंपक वने शत शृंगेच सुंदरी।

पद्मावती पद्म वने मालती मालती वने।
कुंद दंती कुंदवने सुशीला केतकी वने॥

कदंब माला त्वं देवी कदंब कानने2पिच।
राजलक्ष्मीः राज गेहे गृहलक्ष्मी र्गृहे गृहे॥

इत्युक्त्वा देवतास्सर्वाः मुनयो मनवस्तथा।
रूरूदुर्न म्रवदनाः शुष्क कंठोष्ठ तालुकाः॥

इति लक्ष्मी स्तवं पुण्यं सर्वदेवैः कृतं शुभम्।
यः पठेत्प्रातरुत्थाय सवैसर्वं लभेद्ध्रुवम्॥

अभार्यो लभते भार्यां विनीतां सुसुतां सतीम्।
सुशीलां सुंदरीं रम्यामति सुप्रियवादिनीम्॥

पुत्र पौत्र वतीं शुद्धां कुलजां कोमलां वराम्।
अपुत्रो लभते पुत्रं वैष्णवं चिरजीविनम्॥

परमैश्वर्य युक्तंच विद्यावंतं यशस्विनम्।
भ्रष्टराज्यो लभेद्राज्यं भ्रष्ट श्रीर्लभेते श्रियम्॥

हत बंधुर्लभेद्बंधुं धन भ्रष्टो धनं लभेत् ।
कीर्ति हीनो लभेत्कीर्तिं प्रतिष्ठांच लभेद्ध्रुवम्॥

सर्व मंगलदं स्तोत्रं शोक संताप नाशनम्।
हर्षानंदकरं शाश्वद्धर्म मोक्ष सुहृत्पदम्॥

॥ इति सर्व देव कृत लक्ष्मी स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

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