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नरक चतुर्दशी, काली चौदस, रूप चौदस एवं हनुमान पूजा

Narak Chaturdashi, Kali Chaudas, Roop Chaudas and Hanuman Puja

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॥ श्रीहरिः ॥

नरक चतुर्दशी, काली चौदस, रूप चौदस एवं हनुमान पूजा

Narak Chaturdashi, Kali Chaudas, Roop Chaudas and Hanuman Puja


आलेख - साधक प्रभात (Sadhak Prabhat)

कार्तिक माह के चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है जिसे काली चौदस एवं रूप चौदस भी कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध सत्यभामा के सहयोग से इसी दिन किया था, इसी लिए धनतेरस के अगले दिन और दीपावली के ठीक एक दिन पहले छोटी दीपावली मनाई जाती है।

नरकचतुर्दशी का वर्णन जो लिङ्गपुराण में है उसके अनुसार इस दिन चार बत्तियों के दीपक को प्रज्वलित करके पूर्वाभिमुख होकर निम्न उच्चारण करके दान करना चाहिए -

दत्तो दीपश्चतुर्दश्यां नरकप्रीतये मया ।
चतुर्वर्तिसमायुक्तः सर्वपापापनुत्तये ।।

इसका इस अवसर में (आतिशबाजी आदिकी बनी हुई) प्रज्वलित उल्का लेकर निम्न मंत्र से दान करे तो उल्का आदि से मरे हुए मनुष्यों की सद्गति हो जाती है -

अग्निदग्धाश्च ये जीवा येऽप्यदग्धाः कुले मम ।
उज्ज्वलज्योतिषा दग्धास्ते यान्तु परमां गतिम् ॥

अभ्यंग स्नान मुहूर्त नरक चतुर्दशी 2024 (Narak Chaturdashi 2024 Muhurat) -

नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय के पूर्व शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करने की प्रक्रिया को अभ्यंग स्नान कहा जाता है। स्त्रियां इसमें उबटन लगाकर अपना रूप निखारती हैं।

नरक चतुर्दशी रविवार, अक्टूबर 30, 2024 को अभ्यंग स्नान मुहूर्त - सुबह 5 बजकर 28 मिनट से 6 बजकर 41 मिनट तक है। कुल अवधि 1 घंटा 13 मिनट्स की है।

नहाते समय इस मंत्र का जाप करें -

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 31 अक्टूबर 2024को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर होगा।

दीपावली हनुमान पूजा मूहूर्त -

इस दिन भगवान कृष्ण के साथ साथ हनुमान जी की भी पूजा करने का भी विधान है। मान्यता है कि काली चौदस की रात में प्रेत आत्मायें सर्वाधिक शक्तिशाली होती हैं। अतः सभी प्रकार की बुरी आत्माओं से सुरक्षा के लिये तथा शक्ति एवं बल की प्राप्ति के लिये हनुमान जी की पूजा की जाती है।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्यराज रावण को परास्त कर, अपने चौदह वर्षीय वनवास को पूर्ण करने के पश्चात् भगवान राम के पुनः अयोध्या आगमन की प्रसन्नता में दीवाली उत्सव मनाया जाता है। हनुमान जी की भक्ति व समर्पण से प्रसन्न हो कर, भगवान श्री राम ने हनुमान जी को वरदान दिया था कि उनसे पहले हनुमान जी का पूजन किया जायेगा। इसीलिये लोग दीवाली के एक दिन पूर्व भगवान हनुमान की पूजा करते हैं।

इसी दिन अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मन्दिर में श्री हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। हालाँकि, उत्तर भारत में अधिकांश भक्त चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जन्मोत्सव मनाते हैं।

दीपावली हनुमान पूजा मूहूर्त - रात्रि 11 बजकर 16 मिनट से 12 बजकर 7 मिनट तक है। कुल अवधि 51 मिनट्स की है।

काली चौदस पूजा मुहूर्त -

काली चौदस को महा निशिता समय के रूप में जाना जाता है। काली चौदस के अनुष्ठानों में अंधेरे की देवी और वीर वेताल की पूजा करने के लिए आधी रात के दौरान श्मशान में जाना शामिल होता है।

काली चौदस मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 16 मिनट से 12 बजकर 7 मिनट तक है। कुल अवधि 51 मिनट्स की है।

नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है ? नरक चतुर्दशी की कथा -

नरक चतुर्दशी का पर्व श्रीकृष्ण और नरकासुर से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में प्रागज्योतिषपुर का असुर राजा नरकासुर ने अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि-मुनियों के साथ 16 हजार एक सौ सुंदर कन्याओं को भी बंधक बना लिया था। नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और उसकी कैद से 16 हजार एक सौ कन्याओं को बचाया था।

श्रीकृष्ण की 16 हजार पत्नियां -

नरकासुर की बन्दी कन्याएँ समाज से बहिष्कृत होने के डर से कृष्ण को ही अपना सब कुछ मान लिया। श्रीकृष्ण ने भी इन कन्याओं से विवाह कर लिया। नरकासुर से मुक्ति पाने की खुशी में देवगण और समस्त लोग बहुत खुश हुए, ऐसे में इस दिन को नरकासुर पर श्रीकृष्ण की जीत के रूप में मनाया जाता है।

श्री महालक्ष्मी माई की जय

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